सूफी आन्दोलन से जुड़े ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं व्याख्या - Sufi Movement GK Quiz (set-3)

सूफी आन्दोलन से जुड़े ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं व्याख्या - Sufi Movement GK Quiz (set-3).

सूफी आंदोलन

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 3)

व्याख्या: दक्षिण भारत में चिश्ती सिलसिले को प्रारंभ करने का श्रेय निजामुद्दीन औलिया के शिष्य 'शेख बुरहानुद्दीन गरीब' को जाता है। इन्होंने दौलताबाद को अपने प्रचार-प्रसार का केंद्र बनाया। मुगल शासक अकबर फतेहपुर सीकरी के चिश्ती संत शेख सलीम चिश्ती के प्रति आदर भाव रखता था तथा अपने पुत्र जहाँगीर को उनका ही आशीर्वाद समझता था।

व्याख्या: सय्यद वल शरीफ़ कमालुद्दीन बिन मुहम्मद बिन यूसुफ़ अल हुसैनी : जिन्हें आम तौर पर ख्वाजा बन्दा नवाज़ गेसू दराज़ कहते हैं। बंदा नवाज़ ने अरबी, फारसी और उर्दू में लगभग 195 किताबें लिखीं। उनके महान कृति, ताफसीर मल्तिकात, को हाल ही में एक पुस्तक में संकलित किया गया था। उन्होंने उर्दू और दक्कनी भाषा में मेराज उल-आशिक़ीन नामक पुस्तक इस्लाम के पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद पर लिखी।

व्याख्या: सलीम चिश्ती अजमेर के ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती के पौत्र थे। उन्हीं के आशीर्वाद से अकबर को महारानी मरीयम-उज़्-ज़मानी से पुत्र प्राप्ति हुई और बाबा के नाम पर उसका नाम भी सलीम रखा गया। बाबा सलीम चिश्ती के सम्मान में ही बादशाह अकबर ने बुलंद दरवाज़ा बनवाया था।

व्याख्या: exx

व्याख्या: फ़िरदौसी सिलसिला के संस्थापक मध्य एशिया के सैफ़ुद्दीन बखरजी थे। यह सिलसला सुहरावर्दी सिलसिले की ही एक शाखा थी। भारत में इसका कार्य क्षेत्र बिहार में था। बदरुद्दीन समरंगजी और अहमद याहया मनैरी आदि इस सिलसिले के प्रमुख सन्त थे।

व्याख्या: बारहवीं शताब्दी में अनेक सूफी संत भारत आये। 1192 में मुहम्मद गोरी के साथ ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भारत आये। उन्होंने यहां चिश्ती सिलसिले की स्थापना की। इनकी गतिविधियों का मुख्य केन्द्र अजमेर था। मध्यकालीन बिहार में फिरदौसी सिलसिला सबसे अधिक लोकप्रिय था। बिहार के सुप्रसिद्ध संत सर्पूक्तदीन मनेरी का सम्बन्ध इसी सिलसिले से था। बिहार-शरीफ में संत सर्पूक्तद्दीन मनेरी की दरगाह है। सुहरावर्दी संघ की स्थापना शेख शिहाबुद्दीन उमर सुहरावर्दी ने की थी, किन्तु इसके सुदृढ़ संचालन का श्रेय शेख बहाउद्दीन जकारिया को है। ‘कादिरी संघ’ की स्थापना सैयद अब्दुल कादिर जिलानी ने की थी। भारत में इस सिलसिले के प्रमुख संत मुहम्मद गौस थे।

व्याख्या: मज्म उल बहरैन'दो समुद्रों का संगम' दारा शुकोह द्वारा लिखित तुलनात्मक धर्म पर एक पुस्तक है। यह सूफ़ी और वेदांतिक अटकलों के बीच रहस्यमय और बहुलवादी समानताओं के एक रहस्योद्घाटन के लिए समर्पित थी। यह पुस्तक 1654-55 में फारसी में एक संक्षिप्त ग्रंथ के रूप में लिखी गई थी। इसके हिंदी संस्करण को समुद्र संगम ग्रंथ कहा जाता है।

व्याख्या: दाराशिकोह ने एक मौलिक पुस्तक मज्म-उल-बहरीन ( दो समुद्रों का संगम ) की रचना की। जिसमें हिन्दू और इस्लाम धर्म को एक ही ईश्वर की प्राप्ति के दो मार्ग बताया गया है। दारा ने स्वयं तथा काशी के कुछ संस्कृत के पंडितों की सहायता से बावन उपनिषदों का सिर्र-ए-अकबर नाम से फारसी में अनुवाद कराया।

व्याख्या: नक़्शबंदिया एक सूफ़ी सिलसिला है, जिसकी स्थापना ख़्वाजा उबेदुल्ला द्वारा की गई थी।ख़्वाजा मीर दर्द नक्शबंदी सम्प्रदाय के अन्तिम विख्यात सन्त थे। उन्होंने एक अलग मत 'इल्मे इलाही मुहम्मदी' चलाया और सम्प्रदाय के प्रचार-प्रसार के लिए बहुत कार्य किया। इससे सम्बन्धित तरह-तरह के नक्शे बनाकर उसमें रंग भरते थे।


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