भक्ति आन्दोलन से जुड़े ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं व्याख्या - Bhakti Movement GK Quiz (set-3)

भक्ति आन्दोलन से जुड़े ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन एवं व्याख्या - Bhakti Movement GK Quiz (set-3).

भक्ति आंदोलन

समान्य ज्ञान क्विज (सेट - 3)

व्याख्या: ‘ब्रह्म सत्य है और जगत मिथ्या (भ्रम या माया) है'— यह शंकराचार्य उक्ति है।आदि शंकराचार्य अद्वैत वेदांत के प्रणेता थे। उनके विचारोपदेश आत्मा और परमात्मा की एकरूपता पर आधारित हैं जिसके अनुसार परमात्मा एक ही समय में सगुण और निर्गुण दोनों ही स्वरूपों में रहता है। स्मार्त संप्रदाय में आदि शंकराचार्य को शिव का अवतार माना जाता है।

व्याख्या: आदि शंकराचार्य का काल 7-8 सदी माना गया है, यह वह काल था जब हर्ष के बाद बौद्ध धर्म के संरक्षक कमजोर हो रहे थें। ऐसे में शंकराचार्य बौद्ध परम्परा अपना के बौद्ध धर्म को समाप्त करने निकल पड़े। बौद्ध परम्परा के शून्यवाद और विज्ञानवाद की नक़ल कर वे ब्रह्मात्मैक्य -अद्वैतवाद का गठन करते हैं। इसलिए रामानुज और अन्य आधुनिक विद्वानों ने उन्हें ' प्रच्छन्न बौद्ध' कहते हैं।

व्याख्या: विष्णुवर्धन होयसल वंश का एक वीर और प्रतापी राजा था, जो 1110 ई. में द्वारसमुद्र की राजगद्दी पर आरूढ़ हुआ। इसने 1141 ई. तक राज्य किया और अनेक युद्ध किए तथा अपने राज्य का विस्तार किया। प्रारम्भ में वह जैन मतावलम्बी था, किंतु प्रख्यात वैष्णव आचार्य रामानुज के प्रभाव से वह वैष्णव मतावलम्बी हो गया। मत परिवर्तन के बाद उसने अपना पहले का नाम 'विहिदेव' या 'विहिव' त्याग दिया और 'विष्णुवर्धन' नाम धारण कर लिया।

व्याख्या: निम्बार्काचार्य एक महत्त्वपूर्ण वैष्णव सम्प्रदाय के प्रवर्तक आचार्य के रूप में प्रख्यात रहे हैं। यह ज्ञातव्य है कि वैष्णवों के प्रमुख चार सम्प्रदायों में निम्बार्क सम्प्रदाय भी एक है। इसको 'सनकादिक सम्प्रदाय' भी कहा जाता है।निम्बार्क का जन्म भले ही दक्षिण में हुआ हो, किन्तु उनका कार्य क्षेत्र मथुरा रहा।निम्बार्क से पहले मथुरा में बौद्ध और जैनों का प्रभुत्व हो गया था। निम्बार्क ने मथुरा को अपना कार्य क्षेत्र बनाकर यहाँ पुन: भागवत धर्म का प्रवर्तन किया।

व्याख्या: मध्यकाल में भक्ति आन्दोलन को विकसित करने तथा लोकप्रिय बनाने में महाराष्ट्र के सन्तों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। महाराष्ट्र में भक्ति पंथ 'पण्ढरपुर' के मुख्य देवता 'विठोवा' या 'बिट्ठल' के मन्दिर के चारों ओर केन्द्रित था। विट्ठल या विठोवा को कृष्ण का अवतार माना जाता था, इसलिए यह आन्दोलन पण्ढरपुर आन्दोलन के रूप में प्रसिद्ध हुआ।

व्याख्या: ज्ञानेश्वरी महाराष्ट्र के संत कवि ज्ञानेश्वर द्वारा मराठी भाषा में रची गई श्रीमदभगवतगीता पर लिखी गई सर्वप्रथम भावार्थ रचना है। इसमें गीता के मूल 700 श्लोकों का मराठी भाषा की 1000 ओवियों में अत्यंत रसपूर्ण विशद विवेचन है।संत ज्ञानेश्वर महाराष्ट्र तेरहवीं सदी के एक महान सन्त थे। संत ज्ञानेश्वर की गणना भारत के महान संतों एवं मराठी कवियों में होती है। ये संत नामदेव के समकालीन थे और उनके साथ इन्होंने पूरे महाराष्ट्र का भ्रमण कर लोगों को ज्ञान-भक्ति से परिचित कराया और समता, समभाव का उपदेश दिया।

व्याख्या: प्रसिद्ध मराठी संत एकनाथ जी का जन्म हिन्दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र कृष्ण षष्ठी को पैठण में हुआ था। उनकी रचनाओं में श्रीमद्भागवत एकादश स्कंध की मराठी-टीका, रुक्मिणी स्वयंवर, भावार्थ रामायण आदि प्रमुख हैं। संत एकनाथ ने जिस दिन समाधि ली, वह दिन एकनाथ षष्‍ठी के नाम से मनाया जाता है। इस दिन पैठण में उनका समाधि उत्सव मनाया जाता है।

व्याख्या: भक्त तुकाराम जहाँगीर मुगल सम्राट के समकालीन थे। तुकाराम का काल 1608 से 1649 ई. के मध्य माना जाता है। मराठा भक्त संतों में इनका महत्वपूर्ण स्थान है। मुगल शासकों में तुकाराम की कालावधि में दो शासक हुए जो इस प्रकार हैं – 1. जहाँगीर 1605-1627 ई. तक 2. शाहजहाँ 1627-1657 ई. तक तुकाराम ने ईश्वर की भक्ति पर बल दिया तथा उसमें स्वयं को लीन कर लिया। उन्होंने अपना मुख्य उद्देश्य मानव जाति का उद्धार बताया।

व्याख्या: रामानंद उत्तरी भारत के पहले महान भक्त संत थे। उन्होंने विष्णु के स्थान पर राम की भक्ति आरंभ की। उन्होंने अपमे उपदेश संस्कृत के स्थान पर हिन्दी में दिये जिससे यह आंदोलन लोकप्रिय हुआ और हिन्दी साहित्य का निर्माण आरंभ हुआ

व्याख्या: दासबोध मराठी संत-साहित्य का एक प्रमुख ग्रंथ है। इसकी रचना 17वीं शताब्दी में महाराष्ट्र के तेजस्वी संत श्री समर्थ रामदास ने की। इस ग्रंथ का महाराष्ट्र में बहुत अधिक सम्मान है। हिंदी भाषा जाननेवाले श्रीरामचरित मानस को जितने आदर की दृष्टि से देखते हैं उतने ही आदर की दृष्टि से मराठी जाननेवाले दासबोध को देखते हैं। महाराष्ट्र का व्यक्तित्व गढ़ने में इस ग्रंथ का महत्व सर्वाधिक है।


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