ऊष्मा ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर व्याख्या सहित | Heat GK Quiz (Set-3)

ऊष्मा (Heat) से ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ, जो प्रतियोगी परीक्षा जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC के लिए महत्वपूर्ण है।

ऊष्मा समान्य ज्ञान

व्याख्या: ऊष्मा का सुचालकता का कारण धातुओं में उपस्थित मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या के कारण होता है। चांदी (संकेत Ag, परमाणु क्रमांक 47) एक मृदु, सफेद और चमकदार धातु है। यह एक बहुत ही नमनीय और आघातवर्धनीय धातु है और सभी धातुओं की तुलना में इसकी विद्युत चालकता तथा तापीय चालकता उच्च होती हैं अर्थात यह ऊष्मा का सबसे अच्छा चालक है। अन्य अच्छे सुचालक धातुओं में तांबा, अल्युमिनियम, पारा, सोना आदि हैं।

व्याख्या: भौतिकी में, ऊष्मा चालकता (थर्मल कण्डक्टिविटी) पदार्थों का वह गुण है जो दिखाती है कि पदार्थ से होकर ऊष्मा आसानी से प्रवाहित हो सकती है या नहीं। ऊष्मा चालकता को k, λ, या κ से निरूपित करते हैं। जिन पदार्थों की ऊष्मा चालकता अधिक होती है उनसे होकर समान समय में अधिक ऊष्मा प्रवाहित होती है (यदि अन्य परिस्थितियाँ, जैसे ताप का अन्तर, पदार्थ की लम्बाई और क्षेत्रफल आदि समान हों)।

ऊष्मा का सुचालकता का कारण धातुओं में उपस्थित मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या के कारण होता है। 'चाँदी' को ऊष्मा का सबसे सबसे अच्छा सुचालक माना जाता है। अन्य अच्छे सुचालक धातुओं में तांबा, अल्युमिनियम, पारा, सोना आदि हैं।

व्याख्या: बोलोमीटर एक वैज्ञानिक उपकरण है। इसका प्रयोग ऊष्मीय विकिरण मापने के लिए किया जाता है।

व्याख्या: वह पदार्थ जिसमें ऊष्मा का संचरण बहुत ही आसानी से तीव्र वेग से होता है ऊष्मा का सुचालक कहलाता है। ऊष्मा चालक पदार्थों की ऊष्मा चालकता का मान भी बहुत अधिक होती है और इनमें मुक्त इलेक्ट्रान बहुतायत से पाए जाते है। लकड़ी की तुलना में लोहा ऊष्मा का अच्छा चालक है।

व्याख्या: बर्फ़ ऊष्मा की कुचालक होती है। झील की सतह पर बर्फ़ जमने के बाद भी नीचे का जल द्रव अवस्था में ही रहता है क्योकि झील पर जमी बर्फ़ अंदर की ऊष्मा को बाहर नहीं आने देती है।

व्याख्या: एक टेबल पंखे को बंद कमरे में चलाने पर कमरे की हवा गर्म होगी। इसलिए कमरे का तापमान धीरे-धीरे बढ़ेगा ।

व्याख्या: जब फ्रिज या रेफ्रिजरेटर का दरवाजा खुला छोड़ देते हैं, तब कंप्रेसर ऑन हो जाता है और ठंडी हवा बाहर की तरफ जाने लगती है। इसके कारण रुम गर्म होने लगता है और रेफ्रिजरेटर में रखे खाने को ठंडा रखने में कड़ी मशक्कत लगती है। अगर फ्रिज का दरवाजा ज्यादा देर तक खुला रहा तो वहां रखा खाना गर्म होने लगता है।

व्याख्या: भौतिकी में, ऊष्मा चालकता (थर्मल कण्डक्टिविटी) पदार्थों का वह गुण है जो दिखाती है कि पदार्थ से होकर ऊष्मा आसानी से प्रवाहित हो सकती है या नहीं। ऊष्मा चालकता को k, λ, या κ से निरूपित करते हैं। जिन पदार्थों की ऊष्मा चालकता अधिक होती है उनसे होकर समान समय में अधिक ऊष्मा प्रवाहित होती है (यदि अन्य परिस्थितियाँ, जैसे ताप का अन्तर, पदार्थ की लम्बाई और क्षेत्रफल आदि समान हों)। जिन पदार्थों की ऊष्मा चालकता बहुत कम होती हैं उन्हें ऊष्मा का कुचालक (थर्मल इन्सुलेटर) कहा जाता है। ऊष्मा चालकता के व्युत्क्रम (रेसिप्रोकल) को उष्मा प्रतिरोधकता (thermal resistivity) कहते हैं।

व्याख्या: समुद्र का पानी ऊष्मा का अच्छा सुचालक है। ऊष्मा का सुचालकता का कारण धातुओं में उपस्थित मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या के कारण होता है। 'चाँदी' को ऊष्मा का सबसे सबसे अच्छा सुचालक माना जाता है। अन्य अच्छे सुचालक धातुओं में तांबा, अल्युमिनियम, पारा, सोना आदि हैं।

व्याख्या: ऊष्मा का सुचालकता का कारण धातुओं में उपस्थित मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या के कारण होता है। 'चाँदी' को ऊष्मा का सबसे सबसे अच्छा सुचालक माना जाता है। अन्य अच्छे सुचालक धातुओं में तांबा, अल्युमिनियम, पारा, सोना आदि हैं।

व्याख्या: अवरक्त किरणें, अधोरक्त किरणें या इन्फ़्रारेड वह विद्युत चुम्बकीय विकिरण है जिसका तरंग दैर्घ्य (वेवलेन्थ) प्रत्यक्ष प्रकाश से बड़ा हो एवं सूक्ष्म तरंग से कम हो। इसका नाम 'अधोरक्त' इसलिए है क्योंकि विद्युत चुम्बकीय तरंग के वर्णक्रम (स्पेक्ट्रम) में यह मानव द्वारा दर्शन योग्य लाल वर्ण से नीचे (या अध:) होती है। इसका तरंग दैर्घ्य 750 nm और 1 mm के बीच होता है। सामान्य शारिरिक तापमान पर मानव शरीर 10 माइक्रॉन की अधोरक्त तरंग प्रकाशित कर सकता है।

व्याख्या: शीतकाल में कपड़े में गर्म शरीर की ऊष्मा को बाहर जाने से रोकते हैं। शीतकाल के कपड़े ऊनी हमें गर्म रखते हैं क्योंकि कपड़ों के वायुगर्त (Air pockets) में वायु भरी रहती हैं, जो ताप का कुचालक होती है। अत: कपड़े बाहर की ठंड भीतर नहीं आने देते तथा शरीर की गर्मी को बाहर नहीं निकलने देते और इस प्रकार कपड़े हमें गरम रखते हैं।

व्याख्या: श्वेत रंग प्रकाश का पूर्णतया परावर्तक है, जिससे बहुत कम मात्रा में ऊष्मा अवशोषित हो पाती है। अत: छाते की ऊपरी सतह सफ़ेद होने से ही गर्मी में धूप से बचा जा सकेगा। काला तल प्रकाश का पूर्णत: अवशोषक होता है जो ऊष्मा का अवशोषण कर गर्मी बढ़ाएगा।

व्याख्या: सुबह का सूरज इतना गर्म नहीं होता है जितना दोपहर का क्यूंकि सुबह के समय सूरज की किरणों को अन्तरिक्ष में अधिक दूरी तय करनी पड़ती है।

व्याख्या: काले वस्त्रों के मुकाबले श्वेत वस्त्र सम्पूर्ण विकिरण को अवशोषित नहीं कर पाते है जिसके फलस्वरूप गरमाहट का अनुभव श्वेत वस्त्रों से कम होता है। काले वस्त्र सभी प्रकार के विकिरणों को अवशोषित कर लेते है जिससे व्यक्ति गरमाहट का अनुभव करता है।

व्याख्या: ऊनी कपड़े सूती वस्त्रों की अपेक्षा गर्म होते हैं, क्योंकि ऊनी कपड़े के बीच में हवा होती है जो ऊष्मा के कुचालक का कार्य करती है। इसलिए ऊनी कपड़े ज्यादा गर्म होते है।

व्याख्या: उबलते जल द्वारा जलने की तुलना में भाप द्वारा जलना अधिक कष्टदायक (गंभीर) होता है क्योंकि उबलने पर जल के भाप में बदलने के लिए जल के कण अतिरिक्त ऊष्मा ग्रहण करते है, जिसे वाष्पन की गुप्त ऊष्मा कहते है जल के लिए इसका मान 540 कैलोरी प्रति ग्राम होता है। इसके अतिरिक्त ऊष्मा के कारण भाप से जलने पर तीव्र कष्ट होता है।

व्याख्या: वायु में उपस्थित जलवाष्प, जल की ठंडी गिलास के संपर्क में आने से संघनित हो जाता है और जल की बूंदों की रूप में गिलास की सतह पर जाता है। ये जल की बुँदे ठंठी गिलास की नहीं बल्कि ये जल वायु में जलवाष्प के रूप में मौजूद रहता है। वही हमें संघनित होकर गिलास की सतह पर दिखाई देता है।

व्याख्या: किरचौफ के नियम से अच्छे उत्सर्जक अच्छे अवशोषक होते है'। किरचौफ़ के सिद्धांत अनुसार किसी तल द्वारा किसी समय विशेष में अवशोषित विकिरण ऊर्जा की मात्रा तथा उसी समय में उस पर आपतित कुल विकिरण ऊर्जा की मात्रा का अनुपात अवशोषण क्षमता गुणांक (e) कहलाता है।

व्याख्या: स्टीफन का नियम: सन 1879 में जोसफ स्टीफन ने ऊष्मा संचरण या उत्सर्जन – अवशोषण पर कुछ प्रयोग किये जिनके आधार पर इन्होने अपना एक नियम दिया जिसे स्टीफन का नियम कहते है, इस नियम के अनुसार “किसी भी पृष्ठ द्वारा उत्सर्जित ऊष्मा ऊर्जा का मान, परम शून्य ताप के चतुर्थ घात के समानुपाती होती है।


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