ऊष्मा ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर व्याख्या सहित | Heat GK Quiz (Set-1)

ऊष्मा (Heat) से ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ, जो प्रतियोगी परीक्षा जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC के लिए महत्वपूर्ण है।

ऊष्मा समान्य ज्ञान

व्याख्या: उच्च ताप वाली वस्तु से न्यून ताप वाली वस्तु की ओर ऊष्मा के प्रवाह को ऊष्मा का स्थानांतरण कहते हैं। ऊष्मा स्थानांतरण तीन प्रक्रमों द्वारा हो सकता है। ये हैं-

  1. चालन
  2. संवहन
  3. विकिरण

संवहन (Convection): संवहन द्वारा ऊष्मा का स्थानांतरण केवल द्रवों तथा गैसों में होता है। संवहन की प्रक्रिया में पदार्थ के कण स्वयं स्थानांतरित होते हैं। उदाहरण, आग पर रखी पतीली का जल संवहन द्वारा गर्म होता है।

चालन (Conduction): चालन तब होता है जब ऊष्मा सीधे स्पर्श के माध्यम से एक वस्तु से दूसरी वस्तु तक जाती है। उदाहरण, यदि किसी धातु की छड़ का एक सिरा को गर्म करने पर सिरा ऊष्मा पाकर गर्म हो जाता है तथा चालन द्वारा ऊष्मा दूसरे सिरे तक पहुंचकर उसे भी गर्म कर देती है।

विकिरण (Radiation): विकिरण ऊष्मा स्थानांतरण वह ऊर्जा है जो पदार्थ द्वारा फोटॉन या विद्युत चुम्बकीय तरंगों के रूप में उत्सर्जित होती है। ये विकिरण अवरक्त किरणों तथा तरंगों के रूप में होते हैं। इनमें ऊष्मा तो होती है, परन्तु दिखाई नहीं देती। सूर्य द्वारा पृथ्वी का गर्म होना विकिरण द्वारा ऊर्जा स्थानांतरण का एक उदाहरण है। खुले चूल्हे की चिमनी द्वारा एक कमरे को गर्म करना एक और उदाहरण है।

व्याख्या: किसी वस्तु का ताप (Temperature) उस वस्तु की आंतरिक गतिज ऊर्जा (Internal kinetic energy) का सूचक है। आंतरिक गतिज ऊर्जा :- अणुओं की गति के कारण निकाय में उपस्थित ऊर्जा को आंतरिक ऊर्जा कहते है। यह अणुओं की स्थानांतरीय, पुर्णन तथा कम्पन गति के कारण होती है।

व्याख्या: ऊष्मा (Heat) या ऊष्मीय ऊर्जा (Heat energy), ऊर्जा का एक रूप है जो ताप के कारण होता है। ऊर्जा के अन्य रूपों की तरह ऊष्मा का भी प्रवाह होता है। किसी पदार्थ के गर्म या ठंढे होने के कारण उसमें जो ऊर्जा होती है उसे उसकी ऊष्मीय ऊर्जा कहते हैं। अन्य ऊर्जा की तरह इसका मात्रक भी जूल (Joule) होता है पर इसे कैलोरी (Calorie) में भी व्यक्त करते हैं।

तापीय प्रसार (Thermal expansion): जब ठोस, द्रव और गैसों को किसी तापमान पर गर्म किया जाता है, तो वे अपना आकार बदलना शुरू कर देते हैं और उस प्रक्रिया को तापीय प्रसार कहा जाता है।

व्याख्या: ऊष्मा एक प्रकार की ऊर्जा है, जो दो वस्तुओं के बीच उनके तापान्तर के कारण एक वस्तु से दूसरी वस्तु में स्थानान्तरित होती है। स्थानान्तरण के समय ही ऊर्जा ऊष्मा कहलाती है। ऊष्मा एक प्रकार की ऊर्जा है, जिसे कार्य में बदला जा सकता है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण सबसे पहले रमफोर्ड ने दिया। बाद में डेवी ने दो बर्फ़ के टुकड़े को आपस में घिसकर पिघला दिया।

व्याख्या: किसी संकाय (सिस्टम) की कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं। किसी संकाय पर काम करके या उसके द्वारा काम कराकर ही उसकी ऊर्जा को बदला जा सकता है क्योंकि ऊर्जा वह राशि है जो संरक्षित (कंजर्व्ड) होती है।

व्याख्या: ब्वायलर (Boiler) एक बन्द पात्र होता है जिसमें जल या कोई अन्य द्रव गरम किया जाता है। इसमें गरम करने (उबालने) से उत्पन्न वाष्प को बाहर निकालने की समुचित व्यवस्था भी होती है जिससे वाष्प को विभिन्न प्रक्रमों या गर्म करने के लिये उपयोग में लाया जा सके। इसकी डिजाइन इस प्रकार की होती है कि गर्म करने पर कम से कम उष्मा बर्बाद हो तथा यह वाष्प का दाब भी सहन कर सके। इसमें उबलते हुए जल का तापमान उच्च दाब के कारण से उच्च हो सकता है।

व्याख्या: हैंडपंप का पानी सर्दियों में गर्म और गर्मियों में ठंडा रहता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि सर्दी के मौसम में बाहर का टेम्प्रेचर हैंडपंप के पानी के टेम्प्रेचर से कम होता है और गर्मियों में बाहर का टेम्प्रेचर हैंडपंप के पानी के टेम्प्रेचर से ज्यादा होता है। तापमान के इस अंतर का मुख्य कारण यह है कि पृथ्वी के भीतर तापमान वायुमंडल के तापमान से अधिक होता है।

व्याख्या: कैल्विन (चिन्ह: K) तापमान की मापन इकाई है। यह सात मूल इकाईयों में से एक है। कैल्विन पैमाना ऊष्मगतिकीय तापमान पैमाना है, जहाँ, परिशुद्ध शून्य, पूर्ण ऊर्जा की सैद्धांतिक अनुपस्थिति है, जिसे शून्य कैल्विन भी कहते हैं। सेल्सियस तापमान पैमाना; जबकि कैल्विन SI इकाई दैनिक प्रयोग में काम आती है।

व्याख्या: अल्कोहल का द्रवांक निम्नतर होने के कारण ठंडे स्थानों पर इसका हिमांक काफी नीचे होता है, जिससे शून्य से काफी कम तापमान हो जाने पर भी यह द्रव अवस्था में ही बना रहता है। यही कारण है कि ठंडे देशों के लिए पारे की अपेक्षा अल्कोहल तापमापी बेहतर साबित होते हैं।

व्याख्या: वह तापमान जिस पर एक ठोस द्रव में परिवर्तित हो जाता है, यह एक ठोस के गलनांक की परिभाषा है। बर्फ का गलनांक 0°C या 273K है। उच्चतम गलनांक वाला रासायनिक तत्व टंगस्टन है जो प्रकाश बल्ब में तंतु बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। पिघलने की प्रक्रिया के दौरान जब तक सभी बर्फ पिघला नही जाते, इस प्रणाली के तापमान बढ़ता नही जब तक गलनांक नही पहुंचता। आपूर्ति की उष्म ऊर्जा पूरा बर्फ अणुओं की स्थितिज ऊर्जा बढ़ाने में प्रयुक्त किया जाता है। पिघलना जारी होने तक अणु की गतिज ऊर्जा नही बढ़ती और तापमान भी नही बढ़ता।

व्याख्या: पूर्ण विकरण तापमापी (पाइरोमीटर) तापमापी एक विशेष प्रकार का तापमापी होता है जिसमे तापमान का मापन वस्‍तु से उत्‍सर्जित होने वाले विकरणो के आधार पर किया जाता है यह तापमापी स्‍टीफन के नियम पर आधारित होता है। इसे पूर्ण विकरण तापमापी अथवा Total Radiation Pyrometer कहते है।

व्याख्या: पूर्ण विकरण तापमापी (पाइरोमीटर) तापमापी एक विशेष प्रकार का तापमापी होता है जिसमे तापमान का मापन वस्‍तु से उत्‍सर्जित होने वाले विकरणो के आधार पर किया जाता है यह तापमापी स्‍टीफन के नियम पर आधारित होता है। इसे पूर्ण विकरण तापमापी अथवा Total Radiation Pyrometer कहते है।

व्याख्या: पूर्ण विकिरण तापमापी की सहायता से अत्‍यन्‍त दूर स्थित वस्‍तुओं के तापमान केा भी मापा जा सकता है। पाइरोमीटर की सहायता से 800°C या इससे अधिक तापमान वाली वस्‍तुओ का ही तापमान मापा जा सकता है क्‍योकिं 800°C से कम तापमान वाली वस्‍तुऐं ऊष्‍मीय विकरण उत्सर्जित नही करती है। पायरोमीटर का प्रयोग अति उच्‍चतापमान केा मापने केे लिये किया जाता हैै इसलिये इसे उच्‍चतापमापी भी कहते है।

व्याख्या: थर्मोकपल दो एक असदृश धातुओं द्वारा बनाया जाता है। यदि दो भिन्नभिन्न धातु की छड़ के गर्म तथा ठण्डे सिरों के बीच तापान्तर पैदा कर लिया जाये तो उन छड़ों के मध्य एक विद्युत वाहक बल उत्पन्न होता है। यह प्रभाव थर्मो इलेक्ट्रिक प्रभाव कहलाता है।

व्याख्या: ताप-वैद्युत के किसी एक जंक्शन पर अवशोषित या विकसित होने वाली ऊष्मा ऊर्जा की मात्रा जब एक एम्पीयर धारा एक सेकंड के लिए प्रवाहित होती है, पेल्टियर गुणांक कहलाती है। पेल्टियर गुणांक की इकाई जूल/कूलम्ब है।

व्याख्या: ताप वैद्युत तापमापी का प्रयोग 200 से 1200°C तक ताप मापन में किया जाता है। विकिरण तापमापी को ही पायरोमीटर कहा जाता है जिससे उस ताप का मापन किया जाता है जिसका स्त्रोत अधिकतम दूरी पर स्थित है जहां पहुंचना अत्यंत ही कठिन है। इसमें विकिरण द्वारा ताप मापन की क्रिया करते है।

व्याख्या: किसी विलायक में कोई विलेय मिलाने पर, विलायक के क्वथनांक बढ़ जाने की प्रक्रिया क्वथनांक उन्नयन (Boiling-point elevation) कहलाती है। यह तब होता है जब कोई अवाष्पशील विलेय (जैसे, नमक) किसी शुद्ध विलायक (जैसे, जल) में मिश्रित कर दिया जाता है। उदाहरण के लिये, जल का क्वथनांक 100 डिग्री सेल्सियस है, किन्तु यदि जल में नमक मिला दिया जाय तो जल का क्वथानांक, 100 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है।

किसी विलायक में कोई विलेय मिलाने पर, विलायक के हिमांक का कम हो जाने की प्रक्रिया हिमांक अवनमन (Freezing-point depression) कहलाती है। उदाहरण के लिये, जल का हिमांक शून्य डिग्री सेल्सियस है, किन्तु यदि जल में नमक मिला दिया जाय तो जल का हिमांक, शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है।

व्याख्या: उष्मागतिक ताप (Thermodynamic temperature) या परम ताप, ताप का निरपेक्ष माप है। यह ऊष्मागतिकी का एक प्रमुख प्राचल (पैरामीटर) भी है। ऊष्मागतिक ताप को ऊष्मागतिकी के तृतीय नियम की सहायता से परिभाषित किया जाता है जिसमें सैद्धान्तिक रूप से जो सबसे कम ताप सम्भव है उसे शून्य बिन्दु (परम शून्य) कहते हैं। 'परम शून्य' (ऐब्सोल्यूट जीरो) न्यूनतम सम्भव ताप है तथा इससे कम कोई ताप संभव नही है। इस ताप पर पदार्थ के अणुओं की गति शून्य हो जाती है। इसका मान -273 डिग्री सेन्टीग्रेड होता हैं।

व्याख्या: -40 डिग्री सेल्सियस तापमान पर सेल्सियस तथा फारेनहाईट तापमापियों के पाठ्यांक एक समान होते है।


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