ऊष्मा ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर व्याख्या सहित | Heat GK Quiz (Set-4)

ऊष्मा (Heat) से ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ, जो प्रतियोगी परीक्षा जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC के लिए महत्वपूर्ण है।

ऊष्मा समान्य ज्ञान

व्याख्या: न्यूटन का शीतलन का नियम (Newton's law of cooling) के अनुसार, किसी पिण्ड के ऊष्मा ह्रास की दर उस पिण्ड के ताप तथा उसके चारो ओर के माध्यम के ताप के अन्तर के समानुपाती होता है।

व्याख्या: यह नियम कहता है कि, 'ऊष्मा अन्तरण गुणांक' (heat transfer coefficient) का मान नियत रहता है। वास्तव में यह नियम ऊष्मा चालन में तो बहुत सीमा तक सत्य है किन्तु संवहन द्वारा ऊष्मा के स्थानान्तरण की दशा में यह नियम अंशतः ही सत्य है (पूर्णतः नहीं)। संवहन के द्वारा ऊष्मा अन्तरण में ऊष्मा अन्तरण गुणांक पूर्णतः नियत नहीं होता बल्कि कुछ सीमा तक तापान्तर पर भी निर्भर करता है। अन्ततः विकिरण के द्वारा ऊष्मा स्थानान्तरण के केस में तो यह नियम और भी गलत है क्योंकि वहाँ ऊष्मा अन्तरण की दर वस्तु के ताप के चतुर्थ घात के समानुपाती होती है।

व्याख्या: गर्म जल 90°C से 80°C तक ठंडा होने में 10 मिनट लेता है तो 80°C से 70°C तक ठंडा होने में 10 मिनट से अधिक समय लेगा।

व्याख्या: थर्मस फ्लास्क के अविष्कारक जेम्स डीवार है। थर्मस फ्लास्क में ठण्ड पेय पदार्थ अधिक देर तक ठंडा रहता है और साथ ही गर्म पेय पदार्थ को भी ज्यादा समय तक गर्म रखा जा सकता है। इसलिए सामान्यत: पेय पदार्थो को अधिक समय तक ठंडा और गर्म रखने के लिए, बिना किसी ईंधन के थर्मस फ्लास्क में रखा जाता है। इस थर्मस फ्लास्क को डीवार फ्लास्क भी कहा जाता है।

व्याख्या: थर्मस फ्लास्क दो भित्तियों वाली बोतल होती है। जिसकी बाह्या भित्ति का अन्त: पृष्ठ तथा अंत: भित्ति का बाह्या पृष्ठ रजतित होता है ताकि विकिरण के कारण ऊष्मा क्षय को रोका जा सके।

व्याख्या: थर्मस को खोलें और देखे की आपके थर्मस में ऊष्मा के क्षय को रोकने वाली पोलिश होगी जो कि चांदी की पोलिश होती है, आप पाएंगे कि यह किसी तरह से क्रैक हो गई है। यही कारण है की आपके थर्मस का टेम्परेचर सामान्य नही हो रहा जैसा आप चाहते है

व्याख्या: थर्मस फ्लास्क दो भित्तियों वाली बोतल होती है। जिसकी बाह्या भित्ति का अन्त: पृष्ठ तथा अंत: भित्ति का बाह्या पृष्ठ रजतित होता है ताकि विकिरण के कारण ऊष्मा क्षय को रोका जा सके।

व्याख्या: किसी वस्तु का ताप बढ़ाने के लिये उसे उष्मा देनी पड़ती है। किन्तु अलग-अलग पदार्थों की समान मात्रा का ताप समान मात्रा से बढ़ाने के लिये अलग-अलग मात्रा में उष्मा की जरूरत होती है। किसी पदार्थ की इकाई मात्रा का ताप एक डिग्री सेल्सियस बढ़ाने के लिये आवश्यक उष्मा की मात्रा को उस पदार्थ का विशिष्ट उष्मा धारिता (Specific heat capacity) या केवल विशिष्ट उष्मा कहा जाता है।

व्याख्या: द्रव्यमान का ताप 1°C बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को उस पदार्थ की विशिष्ट ऊष्मा कहते हैं।

जल की विशिष्ट ऊष्मा का मान 4.186 जूल प्रति ग्राम होता है जो किसी भी अन्य सामान्य पदार्थ की तुलना में अधिक है।

व्याख्या: भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान में प्रयुक्त होने वाली द्रव ईंधन चालित इंजन में ईंधन बहुत कम तापमान पर भरा जाता है, इसलिए ऐसे इंजन निम्नतापी रॉकेट इंजन या तुषारजनिक रॉकेट इंजन (अंग्रेज़ी:क्रायोजेनिक रॉकेट इंजिन) कहलाते हैं। इस तरह के रॉकेट इंजन में अत्यधिक ठंडी और द्रवीकृत गैसों को ईंधन और ऑक्सीकारक के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस इंजन में हाइड्रोजन और ईंधन क्रमश: ईंधन और ऑक्सीकारक का कार्य करते हैं। ठोस ईंधन की अपेक्षा यह कई गुना शक्तिशाली सिद्ध होते हैं और रॉकेट को बूस्ट देते हैं। विशेषकर लंबी दूरी और भारी रॉकेटों के लिए यह तकनीक आवश्यक होती है।

व्याख्या: ऊर्ध्वपातन की क्रिया एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें ठोस द्रव में बदले बिना सीधे वाष्प में बदल जाता है। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान पदार्थ की अवस्था किसी मध्यवर्ती द्रव अवस्था में परिवर्तित नहीं होती है। ऊर्ध्वपात पदार्थ के उदाहरण: कपूर (कपूर ठोस अवस्था से सीधे वाष्प के रूप में उड़ जाता है), अमोनियम क्लोराइड, आयोडीन, नेफ़थलीन इत्यादि है।

व्याख्या: मिश्रधातु (Alloy): दो या अधिक धातुओं या एक या अधिक धातु एवं एक अधातु के समांगी मिश्रण को मिश्रधातु कहा जाता है। यदि मिश्रधातु का एक अवयव पारा (Hg) हो, तो वैसा मिश्रधातु अमलगम कहलाता है। मिश्रधातुओं में निम्नलिखित विशेषताएं पायी जाती है-

  • मिश्रधातुएँ अपनी अवयवी धातुओं से प्रायः अधिक कठोर होती हैं।
  • मिश्रधातुएँ अपनी अवयवी धातुओं की अपेक्षा अधिक संक्षारणरोधी होती हैं।
  • इनके गलनांक शुद्ध अवयवी धातुओं की तुलना में प्रायः कम होते हैं।

व्याख्या: अमलगम एक अन्य धातु के साथ पारे का मिश्रण है। लगभग सभी धातुएँ पारे के साथ मिश्रण बना सकती हैं, लोहा, प्लैटिनम, टंगस्टन और टैंटलम उल्लेखनीय अपवाद हैं। दंत चिकित्सा में चांदी-पारा मिश्रण महत्वपूर्ण हैं, और सोना-पारा मिश्रण का उपयोग अयस्क से सोना निकालने में किया जाता है।

व्याख्या: "टंगस्टन एक धातु है जिसका गलनांक बहुत अधिक होता है जो 3380 °C होता है। टंगस्टन अपने उच्च गलनांक के कारण बहुत अधिक तापमान में अस्तित्व में रह सकता है। इस धातु का उपयोग बिजली के बल्बों के तन्तु बनाने के लिए किया जाता है।

व्याख्या: वह ताप और दाब जिस पर किसी पदार्थ की ठोस, द्रव और वाष्प अवस्थाएं संतुलन में होती हैं, त्रिगुणात्मक बिंदु (Triple point) कहलाता है।

पानी का त्रिगुणात्मक बिंदु 273.16°K (0.01°C) होता है। पानी का त्रिगुणात्मक बिंदु 273.16 K और 611.2 पास्कल है।

त्रिगुण बिंदु वो तापमान है जिस पर जल अपनी तीनो रूपों में मौजूद होता है अर्थात बर्फ़, पानी और जलवाष्प।

व्याख्या: वाष्पीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें द्रव उबलने की तुलना में कम गैस में परिवर्तित होता है। द्रव के सतह क्षेत्र में वृद्धि से वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती है, ऐसा वायु में जल के अधिक संपर्क में आने के कारण होता है। अत: द्रव का पृष्ठीय क्षेत्रफल कम होने से वाष्पन की दर कम हो जाती है। वाष्पीकरण, तापमान के समानुपाती होता है।

व्याख्या: जिस तापमान और दबाव पर एक शुद्ध पदार्थ के ठोस, तरल और वाष्प चरण साम्यावस्था में मौजूद होते हैं, उसे त्रिक बिंदु कहा जाता है।

व्याख्या: वाष्पीकरण की दर द्रव के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करती। यह द्रव के तापमान, उसके तलक्षेत्र एवं वायुदाब पर निर्भर करती है।


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