यांत्रिकी ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर व्याख्या सहित | Mechanics GK Quiz (Set-5)

यांत्रिकी (Mechanics) से ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ, जो प्रतियोगी परीक्षा जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC के लिए महत्वपूर्ण है।

यांत्रिकी समान्य ज्ञान

व्याख्या: तरल पदार्थों का वह गुण जिसके कारण वह अपनी परतों के बीच होने वाली गति का विरोध करता है। तरल के इस गुण को श्यानता (Viscosity) कहते हैं। सामान्य शब्दों में, यह उस तरल के गाढे़पन या उसके बहने का प्रतिरोध करने की क्षमता का परिचायक है।

  • श्यानता को प्राय: η (ईटा) द्वारा व्यक्त किया जाता है, जहां η एक नियतांक है, जो द्रव की श्यानता का गुणांक कहलाता है।
  • किसी द्रव या गैस को दो क्रमागत परतों के बीच उनकी आपेक्षिक गति का विरोध करने वाले घर्षण-बल को श्यान बल कहा जाता हैं।
  • इसकी अन्य इकाइयाँ न्यूटन-सेकंड प्रति वर्ग मीटर (N-s/m-2) या पास्कल-सेकंड (Pa-s) हैं।

व्याख्या: तेल दीप में बत्ती का तेल 'केशिका क्रिया' (Capillary Action) के कारण ऊपर उठता है। जिस नली का छिद्र केश के समान बारीक होता है, उसे 'केशनली' कहते हैं। केश्नली में द्रव के ऊपर चढ़ने अथवा नीचे उतरने की घटना केशिक्त्व कहलाती है।

व्याख्या: आर्कीमिडीज सिद्धान्त भौतिक नियम है जिसके अनुसार, किसी तरल माध्यम में किसी वस्तु पर लगने वाला उत्प्लावन बल उस वस्तु द्वारा विस्थपित तरल के भार के बराबर होगा।

किसी तरल (द्रव या गैस) में आंशिक या पूर्ण रूप से डूबी किसी वस्तु पर ऊपर की ओर लगने वाला बल उत्प्लावन बल कहलाता है। उत्प्लावन बल का परिमाण तरल पदार्थ के घनत्व पर निर्भर करता है।

व्याख्या: सेराक्यूस के आर्किमिडीज़, एक यूनानी गणितज्ञ, भौतिक विज्ञानी, अभियंता, आविष्कारक और खगोल विज्ञानी थे। हालांकि उनके जीवन के कुछ ही विवरण ज्ञात हैं, उन्हें शास्त्रीय पुरातनता का एक अग्रणी वैज्ञानिक माना जाता है। भौतिक विज्ञान में उन्होनें जलस्थैतिकी, सांख्यिकी और उत्तोलक के सिद्धांत की व्याख्या की नीव रखी थी।

व्याख्या: उछाल की मात्रा ठोस द्वारा हटाए गए द्रव की मात्रा पर निर्भर करती है। प्रत्येक द्रव, द्रव के अन्दर डूबी हुई वस्तुओं पर एक उछाल बल लगता है। द्रव के जिस गुण के कारण उपरोक्त बल कार्य करता है वाही गुण 'उत्क्षेप' कहलाता है। इस गुण के कारण द्रव में पिंड पर ऊपर की ओर जितना बल कार्य करता है उसे उत्प्लावन बल कहते हैं। उत्प्लावन बल (Buoyancy Force) का परिमाण ठोस द्वारा हटाए गए द्रव की मात्रा पर निर्भर करता है।

व्याख्या: लोहे के टुकड़े का भार उसके द्वारा हटाए गए जल के भार से अधिक होता है, जिससे वह जल में डूब जाता है। जब वस्तु द्रव पर तैरती है, तो उसका भार उसके द्वारा हटाए गए द्रव के भार के बराबर होता है।

व्याख्या: पानी के अणुओं के बीच ससंजक बल, पानी तथा तेल के अणुओं के बीच लगने वाला 'आसंजक बल' से अधिक होने के कारण पानी की बूँदे तलीय पृष्ठ पर नहीं चिपकती हैं।

आसंजक बल (Adhesive Force): भिन्न-भिन्न पदार्थ के अणुओं के बीच जो आकर्षण बल कार्य करता है, उसे आसंजक बल कहते हैं। उदाहरण, जल कांच के पृष्ठ को भिगोता है परन्तु पारा नहीं क्योकि जल व काँच के अणुओं के बीच लगने वाला आसंजक बल, जल के अणुओं के बीच ससंजक बल से अधिक होता है।

ससंजक बल (Cohesive Force): एक ही पदार्थ के अणुओं के मध्य लगने वाले बल को 'ससंजक बल' कहते हैं। उदाहरण, बारिश बूंदों में गिरती है क्योंकि पानी के अणुओं में उनके बीच मजबूत ससंजक बल होता है और ससंजकता के कारण वे बूंदों को बनाते हैं। आसंजक बल विभिन्न सामग्रियों के अणुओं के बीच एक आकर्षक बल है।

व्याख्या: तुल्यकाली या भूस्थिर उपग्रह पृथ्वी के घूर्णन दिशा (पश्चिम से पूर्व) के समान 24 घंटे के आवर्तकाल से पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। इन उपग्रहों का लगभग 36,000 किलोमीटर को उंचाई पर स्थापित किया जाता है। ये अपने आवर्तकाल के कारण पृथ्वी पर स्थित प्रेक्षक की स्थाई प्रतीत होते हैं।

व्याख्या: बॉल बेयरिंग में छोटी चिकनी स्टील की गोलियाँ होती हैं। इनका उपयोग गतिशील भागों में घर्षण कम करने के लिए किया जाता है।

जब किसी वस्तु पर बाह्य बल कार्य करता है लेकिन फिर भी वस्तु गति नहीं करती है तो बल के विपरीत जो घर्षण बल कार्य करता है उसे स्थैतिक घर्षण बल कहते है। यदि बल का मान धीरे-धीरे बढाया जाये और जब तक वस्तु गति शुरू नहीं कर दे तब तक उस पर स्थैतिक घर्षण बल कार्यरत रहता है।

दो सतहों के बीच का घर्षण जब सतहों के बीच एक सापेक्ष गति होती है तो इसे गतिज घर्षण कहा जाता है। जब एक सतह पर एक बक्से (आमतौर पर एक वृत्ताकार निकाय जैसे गेंद, टायर) को घुमाया जाता है तो कार्यरत घर्षण को लोटनिक घर्षण कहा जाता है। इस घर्षण के कारण घर्षण के गुणांक को स्थैतिक घर्षण गुणांक कहा जाता है।

व्याख्या: रॉकेट और जेट इंजन का कार्य करने का सिद्धांत एक ही होता है, लेकिन इस दोनो मे अंतर केवल यह है कि जहाँ रॉकेट अपना ईंधन स्वयं ढोता है और जेट इंजन आस पास की वायु को ही ईंधन के रूप मे उपयोग करता है। इसिलिये जेट इंजन पृथ्वी के वातावरण से बाहर जहाँ वायु नही होती है।

व्याख्या: पानी के एक गिलास में एक बर्फ का टुकड़ा तैर रहा है। यदि वह वर्फ का टुकड़ा पिघल जाता है तो पानी के स्तर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा अर्थात पानी उतना ही रहेगा। क्योंकि, बर्फ अपने आयतन के बराबर पानी को विस्थापित करती है और जब यह पिघलती है, तो यह पानी में समान मात्रा में रहती है।

व्याख्या: एक ऊँची इमारत से एक गेंद 9.8 मी./से. के समान त्वरण के साथ गिराई जाती है। 3 सेकण्ड के बाद उसका वेग 29.4 मी./से. से होगा, अर्थात वेग बढ़ जाता है।

त्वरण (Acceleration): किसी वस्तु के वेग में परिवर्तन की दर को त्वरण कहते हैं। इसका मात्रक मीटर प्रति सेकेण्ड2 (m/s2) होता है तथा यह एक सदिश राशि हैं।

  • \(a = \frac{dv}{dt}\)

  • जहा a त्वरण, dv गति में अंतर और dt वह समय है जिसमें त्वरण होता है।

व्याख्या: एक केशनली में जल की अपेक्षा एक तरल अधिक ऊंचाई तक चढ़ता है, तो इसका कारण है तरल का पृष्ठ तनाव जल की अपेक्षा अधिक है।

व्याख्या: गुरुत्वाकर्षण के सार्वभौमिक नियम का प्रतिपादन न्यूटन ने किया था। इस नियम के अनुसार विश्व का प्रत्येक कण प्रत्येक अन्य कण को अपनी ओर आकर्षित करता है। दो कणों के बीच कार्य करने वाला आकर्षण बल का परिमाण उन कणों के द्रव्यमान के गुणनफल का समानुपाती तथा उनकी बीच की दूरी के व्युत्क्रमानुपाती होता है।

दो कणों के बीच कार्य करनेवाला आकर्षण बल उन कणों की संहतियों के गुणनफल का (प्रत्यक्ष) समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग का व्युत्क्रमानुपाती होता है।

कणों के बीच कार्य करनेवाले पारस्परिक आकर्षण को गुरुत्वाकर्षण (Gravitation) तथा उससे उत्पन्न बल को गुरुत्वाकर्षण बल (Force of Gravitation) कहते है।

व्याख्या: ऊर्जा संरक्षण के मूल सिद्धांत के अनुसार ऊर्जा का न तो सृजन हो सकता है और न ही विनाश हो सकता है। बल्कि इसे एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जाता है।

उदाहरण- गतिज उर्जा, स्थितिज उर्जा में बदल सकती है। विद्युत उर्जा, उष्मा में बदल सकती है। यांत्रिक कार्य से उष्मा उत्पन्न हो सकती है। ऊर्जा को ना तो बनाया जा सकता है और न ही खत्म किया जा सकता है।

व्याख्या: पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव से बचने के लिए प्रयोग किये जाने वाले सबसे कम वेग को पलायन वेग कहा जाता हैं। पृथ्वी का पलायन वेग 11.2 किमी/सेकंड है।

  • अलग अलग ग्रहों का पलायन वेग उनके गुरुत्वाकर्षण बल के आधार पर भिन्न होता है।
  • सभी ग्रहों में बृहस्पति का पलायन वेग 59.5 किमी/सेकंड सबसे अधिक है।

व्याख्या: आर्किमिडिज़ के सिद्धांत के अनुसार किसी वस्तु का भार पानी के अन्दर कम तथा पानी की सतह के ऊपर अधिक प्रतीत होता है। जब कोई ठोस वस्तु द्रव में डुबोई जाती है, तो उसके भार में कुछ कमी प्रतीत होती है। भार में यह आभासी होती है। इस बल को उत्प्लावन बल या उत्क्षेप कहते हैं। जब पानी की बाल्टी ऊपर आती है तो उत्प्लावन बल समाप्त हो जाता है और बाल्टी भारी महसूस होने लगती है।

व्याख्या: यांत्रिकी में प्रत्यास्थता (elasticity) पदार्थों के उस गुण को कहते हैं जिसके कारण उस पर वाह्य बल लगाने पर उसमें विकृति (deformation) आती है परन्तु बल हटाने पर वह अपनी मूल स्थिति में आ जाता है। यदि वाह्यबल के परिमाण को धीरे-धीरे बढ़ाया जाय तो विकृति समान रूप से बढ़ती जाती है, साथ ही साथ आंतरिक प्रतिरोध भी बढ़ता जाता है।

व्याख्या: पानी में नमक मिलाने से घोल का घनत्व बढ़ जाता है क्योंकि नमक आयतन में बहुत अधिक परिवर्तन किए बिना द्रव्यमान बढ़ाता है। जब पानी में पर्याप्त नमक मिलाया जाता है, तो खारे पानी के घोल का घनत्व अंडे से अधिक हो जाता है , इसलिए अंडा तैरने लगता है।

घनत्व: भौतिकी में किसी पदार्थ के इकाई आयतन में निहित द्रव्यमान को उस पदार्थ का घनत्व कहते हैं। इसे ρ या d से निरूपित करते हैं। अतः घनत्व किसी पदार्थ के घनेपन की माप है। यह इंगित करता है कि कोई पदार्थ कितना 'घना' बना हुआ है। इसकी इकाई किग्रा प्रति घन मीटर (kg/m3) होती है।

  • \(\displaystyle \rho ={\frac {m}{V}}\) ($\rho$ = घनत्व, m = द्रव्यमान तथा v = आयतन)

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