प्रकाश ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर व्याख्या सहित | Light GK Quiz (Set-4)

प्रकाश तरंग (Light wave) से ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ, जो प्रतियोगी परीक्षा जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC के लिए महत्वपूर्ण है।

प्रकाश समान्य ज्ञान

व्याख्या: लाल और हरा रंग प्राथमिक रंग का भाग है। इन रंगों का सम्मिश्रण दिन और रात के समय सर्वाधिक सुविधाजनक होता है।

व्याख्या: किसी अपारदर्शी वस्तु का रंग का निर्धारण, उस वस्तु के द्वारा परावर्तित किये गये प्रकाश के रंग द्वारा होता है। अर्थात कोई वस्तु सूर्य के सात रंगों के प्रकाश में से जिस रंग को सबसे अधिक परावर्तित करती है वही उस वस्तु का रंग होता है।

ज्ञातव्य है कि नीले रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन सर्वाधिक होने के कारण हमें आकाश नीला दिखाई देता है। प्रकाश का अवशोषण हो जाने पर वस्तुएँ हमे काली दिखाई पड़ती है। जबकि प्रकाश के पूर्ण आंतरिक परावर्तन के कारण वस्तुएँ हमे चमकदार दिखाई देती है जैसे हीरा।

व्याख्या: वस्तु जिस रंग की दिखलाई देती है वह वास्तव में उसी रंग को परिवर्तित करती है शेष सभी रंगों को अवशोषित कर लेती है। इसलिए जब हरी पत्तियों का पौधा लाल रौशनी में रखा जाता है तो वह काला दिखाई देता है क्योंकि उसे परावर्तित करने के लिए हरा प्रकाश नहीं मिलता और लाल प्रकाश को अवशोषित कर लेता है।

व्याख्या: प्रकाश का रंग तरंग दैर्ध्य द्वारा निश्चित किया जता है। प्रकाश के रंग का निर्धारण उसके तरंग दैर्ध्य से होता है भिन्न-भिन्न रंग के प्रकाश का तरंग दैर्ध्य भिन्न-भिन्न होता है। लाल रंग के प्रकाश का तरंग दैर्ध्य सबसे अधिक और बैंगनी रंग के प्रकाश का तरंग दैर्ध्य सबसे कम होता है।

भौतिकी में, कोई साइन-आकार की तरंग, जितनी दूरी के बाद स्वयं को दोहराती है, उस दूरी को उस तरंग का तरंगदैर्घ्य (Wavelength) कहते हैं।

व्याख्या: यदि वायुमंडल न हो तो हमें आकाश काला दिखाई देगा क्योंकि वायुमंडल के न होने से सूर्य के प्रकाश को फैलाने के लिए माध्यम ही नहीं होगा।

व्याख्या: फोटोग्राफी में मुख्यत: तीन रंग लाल, हरा, नीला प्रयोग होते हैं।

व्याख्या: प्रेस्बिओपिया उम्र बढ़ने की प्रक्रिया का एक प्राकृतिक हिस्सा है। यह आंखों के लेंस की सख्त होने के कारण होता है जिससे आँखें नज़दीकी वस्तुओं को देखते समय रेटिना के बजाए प्रकाश को पीछे छोड़ देती हैं। यह निकटता, दूरदृष्टि, और अस्थिरता के साथ अपवर्तक त्रुटि का एक प्रकार है।

व्याख्या: परितारिका (आइरिस) मानव तथा अधिकांश स्तनधारियों एवं पक्षियों की आँख के भीतर की एक पतली वृत्ताकार संरचना है जिसका काम आँख के तारे (pupil) के व्यास को नियंत्रित करना होता है। इस प्रकार आइरिस, रेटिना पर पहुँचने वाले प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करती है।

व्याख्या: मानव आँख - मानव आँख मूल रुप से 'उतल लेंस' से बनी होती है, यह लेंस रेटिना पर किसी वस्तु को 'वास्तविक या उल्टा' बनाता है। रेटिना में दो प्रकार की द्रष्टि कोशिकाएं होती है,उन्हे छड़ और शंकु उनके अजीब आकार के कारण कहा जाता है। छड़ प्रकाश तीव्रता का निर्णय करती है, शंकू प्रकाश के रंगो को भेदते है। स्पष्ट द्रष्टि की न्यूनतम दूरी 25 सेंटी मीटर होती है।

व्याख्या: परितारिका (आइरिस) मानव तथा अधिकांश स्तनधारियों एवं पक्षियों की आँख के भीतर की एक पतली वृत्ताकार संरचना है जिसका काम आँख के तारे (pupil) के व्यास को नियंत्रित करना होता है। इस प्रकार आइरिस, रेटिना पर पहुँचने वाले प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करती है।

व्याख्या: कॉर्निया - पारदर्शी उभार जिसके माध्यम से प्रकाश प्रवेश करता है। नेत्रदान में कॉर्निया दान किया जाता है।

व्याख्या: रेटिना - झिल्ली प्रकाश-संवेदनशील कोशिकाएं रखती है,जो विद्धुत संकेतो को उत्पन्न करते है।

व्याख्या: निकट दृष्टि दोष को चिकित्सीय भाषा में मायोपिया कहते हैं, इसमें दूर की चीजों को स्पष्ट रूप से देखने में परेशानी आती है। मायोपिया में आंख की पुतली (आई बॉल) का आकार बढ़ने से प्रतिबिंब रेटिना पर बनने के बजाय थोड़ा आगे बनता है।

व्याख्या: निकट दृष्टि दोष (मायोपिया) को "माइनस पावर लेंस" नामक लेंस से ठीक किया जाता है। वे अवतल आकार के होते हैं और आंखों को प्रकाश को ठीक से फोकस करने में मदद करते हैं।

व्याख्या: दूर दृष्टि दोष में मनुष्य को दूर की वस्तु स्पष्ट दिखाई देती है और नजदीकी वस्तुओं स्पष्ट दिखाई नहीं देती। इस दोष को दूर करने के लिए उत्तल लेंस का प्रयोग किया जाता है।

व्याख्या: वर्णांधता (Colourblindness) आँखों का एक रोग है जिसमें रोगी को किसी एक या एक से अधिक रंगों का बोध नहीं हो पाता है, जिससे उसकी रंगबोध की शक्ति साधारण व्यक्तियों के रंगबोध की शक्ति से कम होती है। यह रोग जन्म से हो सकता है, अथवा कतिपय रोगों के बाद उत्पन्न हो सकता है। कभी कभी नेत्ररोग, जैसे दृष्टितंत्रिका (optic nerve) विकार या मस्तिष्क विकार, के कारण वर्णांधता उत्पन्न हो जाती है, जो उचित उपचार द्वारा दूर की जा सकती है, पर जन्म की वर्णांधता का कोई उपचार नहीं है।

व्याख्या: इस दृष्टि दोष में निकट दृष्टि दोष और दूर दृष्टि दोष दोनों दोष होता है जिसमें मनुष्य दूर की वस्तु तथा नजदीक की वस्तु को स्पष्ट नहीं देख पाता है इस दृष्टि दोष को जरा दृष्टि दोष कहते हैं कारण-समायोजन क्षमता का कम हो जाना यह दोष उम्र ढलने के पश्चात ही दिखाई देता है इस प्रकार के दोष से निवारण के लिए हमें द्विफोकसी लेंस का प्रयोग करना चाहिए।

व्याख्या: फोटोग्राफिक कैमरे का कौन सा भाग आँख की रेटिना की तरह कार्य करता है। मनुष्य की आँख फोटोग्राफिक कैमरे की भांति कार्य करती है। जिस वस्तु को हम देखते है उससे चलने वाली किरणें कार्निया और नेत्रोद द्रव से होकर पुतली के रास्ते से लेंस पर पड़ती है। दृष्टिपटल इसे फोकस कर देता है जहां पर वस्तु का छोटा तथा उल्टा प्रतिबिम्ब बन जाता है।

व्याख्या: दूर दृष्टि दोष में मनुष्य को दूर की वस्तु स्पष्ट दिखाई देती है और नजदीकी वस्तुओं स्पष्ट दिखाई नहीं देती। इस दोष को दूर करने के लिए उत्तल लेंस का प्रयोग किया जाता है।


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