प्रकाश ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर व्याख्या सहित | Light GK Quiz (Set-3)

प्रकाश तरंग (Light wave) से ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ, जो प्रतियोगी परीक्षा जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC के लिए महत्वपूर्ण है।

प्रकाश समान्य ज्ञान

व्याख्या: वाहनों में आगे की तरफ़ लगने वाली हेडलाईट में अवतल दर्पण का प्रयोग किया जाता है। यह समानांतर किरण पुंज प्राप्त करके बहुत दूर की वस्तु को प्रकाशित करता है। इस दर्पण की सहायता से चिकित्सक कान, नाक, दांत आदि का परिक्षण करता है।

व्याख्या: दाढ़ी बनाने के लिए अवतल दर्पण का प्रयोग करते है। अवतल दर्पण के फोकस पर चेहरे का प्रतिबिम्ब बड़ा और साफ़ बनता है जिससे दाढ़ी बनाने में आसानी होती है। अवतल दर्पण आभिसारी लेंस का कार्य करता है। अत: इसके फोकस और दर्पण के मध्य में चेहरा बड़ा और ऊपर उठा हुआ बनता है।

व्याख्या: दर्पण सूत्र को 1/f = 1/v + 1/u के रूप में व्यक्त किया जा सकता है, जहां f फोकल लंबाई का प्रतिनिधित्व करता है, v प्रतिबिंब दूरी को दर्शाता है, और u वस्तु की दूरी को दर्शाता है।

व्याख्या: किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब मनुष्य की आँख में दृष्टि पटल यानि रेटिना (Retina) पर बनता है। कॉर्निया नामक एक पतली झिल्ली के माध्यम से प्रकाश आंख में प्रवेश करता है। मानव आँख के रेटिना पर बनने वाला प्रतिबिम्ब वास्तविक तथा उल्टा होता है। रेटिना एक तरह का प्रकाश संवेदी पर्दा होता है जो कि आँखों के पृष्ट भाग में स्थित होता है।

व्याख्या: यदि कोई h ऊंचाई का व्यक्ति समतल दर्पण में अपना पूर्ण प्रतिबिम्ब देखना चाहता है तो समतल दर्पण की न्यूनतम ऊंचाई h/2 होनी चाहिए।

व्याख्या: दो समानांतर समतल दर्पणों के बीच यदि कोई वस्तु रख दी जाए तो बनने वाले प्रतिबिंबों की संख्या अनंत होती है, क्योंकि प्रत्येक प्रतिबिंब परावर्तित होकर एक नया प्रतिबिंब बनाता है, और इस तरह यह क्रम चलता रहता है।

व्याख्या: यदि दो समतल दर्पण 90 डिग्री के कोण पर हैं तो उनके बीच बनने वाले प्रतिबिंब की संख्या 3 होगी। दो समतल दर्पणों के बीच का कोण अगर x⁰ है तो प्रतिबिम्बों की संख्या का सूत्र इस प्रकार होगा:

  • प्रतिबिंबों की संख्या = 360/θ - 1

व्याख्या: डायोप्टर (D) लेंस के प्रकाशीय शक्ति का मात्रक है। किसी लेंस की फोकस दूरी f मीटर हो तो उसकी प्रकाशीय शक्ति 1/f डायोप्टर होगी। उत्तल लेंस में धनात्मक शक्ति होती है और अवतल लेंस में ऋणात्मक शक्ति होती है। एक समतल कांच की प्लेट की शक्ति 0 है।

व्याख्या: मुख्य रूप से एक धूप का चश्मा आंखों को सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाने के लिए है। वे पढ़ने या लंबी दूरी के देखने के लिए नहीं हैं। इसलिए, उनकी शक्ति शून्य है।

व्याख्या: लेंस की क्षमता को लेंस की फोकल लंबाई (मीटर में) के व्युत्क्रम के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह लेंस द्वारा उत्पन्न प्रकाश किरण के विचलन की मात्रा का माप है, जितनी अधिक शक्ति, उतना अधिक विचलन। शक्ति की इकाई डायोप्टर (D) है।

  • P = \(\frac{1}{f (m)}\) = \(\frac{100}{f (cm)}\) = \(\frac{100}{25 cm}\) = +4

व्याख्या: किसी प्रकाशीय वस्तु (जैसे दर्पण, लेंस आदि) की फोकस दूरी (फोकल लेन्थ) वह दूरी है जहाँ इस पर पड़ने वाली समान्तर रेखीय प्रकाश किरणें आकर मिलती हैं। फोकस दूरी, किसी प्रकाशीय तन्त्र के प्रकाश को मोड़ने की क्षमता की परिचायक है। किसी लेंस की फोकस दूरी दूसरे लेंस से कम है तो इसका अर्थ है कि कम फोकस दूरी वाला लेंस प्रकाश को मोड़ने में अधिक सक्षम है।

  • \( f = \frac{{100}}{{{P}}} = \frac{{100}}{{ 2}} = 50\,cm\)

व्याख्या: एक उत्तल लेंस को जब पानी में डुबाया जाता है तो उसकी क्षमता कम हो जाती है।

व्याख्या: जब सफेद प्रकाश की एक किरण एक शीशे के प्रिज्म के माध्यम से गुजरता है तो सात रंगों के पट्टी (बैंड) बनता है, इसे श्वेत प्रकाश का स्पेक्ट्रम कहा जाता है।

प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण (Dispersion of light) : सफेद प्रकाश का एक पारदर्शी माध्यम से गुजरने पर सात रंगों में बँटने को प्रकाश का प्रसार कहा जाता है।

व्याख्या: जब सूर्य का प्रकाश प्रिज़्म से होकर गुजरता है तो वह अपवर्तन के पश्चात् प्रिज़्म के आधार की ओर झुकने के साथ-साथ विभिन्न रंगों के प्रकाश में बँट जाता है। इस प्रकार से प्राप्त रंगों के समूह को वर्णक्रम कहते हैं तथा श्वेत प्रकाश का अपने अवयवी रंगों में विभक्त होना वर्ण विक्षेपण कहलाता है।

व्याख्या: जब हम सफेद प्रकाश को प्रिजम से गुज़ारते है तो यह रगं हमे स्पष्ट दिखाई देते है। श्वेत प्रकाश में सात घटक रंग: बैंगनी (V), इंडिगो (I), नीला (B), हरा (G), पीला (Y), नारंगी (O), लाल (R) होते हैं।

व्याख्या: जब कोई प्रकाश किरण प्रिज्म में से गुजरती है तो वह अपने मार्ग से विचलित होकर प्रिज्म के आधार की ओर झुक जाती है और विभिन्न रंगों में विभाजित हो जाती है।

प्रकाश के रंगों में विभक्त होने की क्रिया वर्ण विक्षेपण कहलाती है। श्वेत प्रकाश जब प्रिज्म से होकर गुजरता है तो जो वर्ण सबसे अधिक बैंगनी रंग विचलित होता है।

व्याख्या: जब श्वेत प्रकाश को प्रिज्म में से गुजारा जाता है तो वह सात रंगों में विभक्त हो जाता है। इस घटना को वर्ण विक्षेपण कहते है तथा प्राप्त रंगों के समुह को वर्ण क्रम कहते है। अधिक तरंग दैध्र्य वाले प्रकाश अर्थात लाल रंग का विचलन कम तथा कम तरंगदैध्र्य वाले प्रकाश अर्थात बैंगनी का विचलन अधिक होता है।

व्याख्या: प्राथमिक रंग या मूल रंग वे है जो किसी मिश्रण के द्वारा प्राप्त नहीं किये जा सकते हैं। प्राथमिक रंग प्रकाश के वे रंग होते है जिन्हें समान अनुपात में मिलाने पर श्वेत प्रकाश आता है। लाल, पीला और नीला प्राथमिक रंग है । ये तीनों रंग अन्य रंगों का आधार हैं और इनसे अन्य रंग भी बनाये जा सकते हैं।

व्याख्या: जब कोई प्रकाश किरण प्रिज्म में से गुजरती है तो वह अपने मार्ग से विचलित होकर प्रिज्म के आधार की ओर झुक जाती है और विभिन्न रंगों में विभाजित हो जाती है। प्रकाश के रंगों में विभक्त होने की क्रिया वर्ण विक्षेपण कहलाती है।


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