प्रकाश ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर व्याख्या सहित | Light GK Quiz (Set-2)

प्रकाश तरंग (Light wave) से ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ, जो प्रतियोगी परीक्षा जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC के लिए महत्वपूर्ण है।

प्रकाश समान्य ज्ञान

व्याख्या: जब प्रकाश की किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम में जाती है तो अभिलम्ब की ओर मुड़ जाती है तथा जब प्रकाश की किरण सधन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है तो अभिलम्ब से दूर मुड़ जाती है।

  • जब प्रकाश किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम में जाती है तो अपवर्तन कोण आपतन कोण से छोटा होता है ।

प्रकाश की किरण की इस विरल माध्यम से सघन माध्यम में जाने पर अभिलम्ब की ओर तथा सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाने पर अभिलम्ब से दूर मुड़ने की प्रक्रिया को प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of Light) कहते हैं।

व्याख्या: मृगमरीचिका (Mirage) एक प्रकार का वायुमंडलीय दृष्टिभ्रम है, जिसमें प्रेक्षक अस्तित्वहीन जलाशय एवं दूरस्थ वस्तु के उल्टे या बड़े आकार के प्रतिबिब तथा अन्य अनेक प्रकार के विरूपण देखता है। वस्तु और प्रेक्षक के बीच की दूरी कम होने पर प्रेक्षक का भ्रम दूर होता है और वह विरूपित प्रतिबिंब नहीं देख पाता।

मरीचिका वायुमंडलीय अपवर्तन का एक अनोखा एवं आश्चर्यजनक प्रभाव है, जो आमतौर पर गर्म रेगिस्तान में दिखाई पड़ती है। रेगिस्तान में दिन के समय जब भूमि के निकट की वायु की परतें गर्म हो जाती हैं, तब वह विरल हो जाती हैं और ऊपर की ठंडी परतों की अपेक्षा कम अपवर्तक होती हैं।

अतः किसी सुदूर वस्तु से आने वाला प्रकाश ज्यों ज्यों हवा की परतों से अपवर्तित होता है, त्यों त्यों वह अभिलंब से अधिकाधिक विचलित होता जाता है और अंत में पूर्णत: आंतरिक रूप से परावर्तित हो जाता है।

व्याख्या: एंडोस्कोप (गुहांतदर्शी) का अर्थ है अन्दर देखना, और खासतौर पर इसका अर्थ होता है चिकित्सीय कारण से एंडोस्कोप की मदद से शरीर के अन्दर देखना। एंडोस्कोप एक ऐसा उपकरण है, जिसका प्रयोग शरीर के खोखले अंग अथवा छिद्रों के अन्दर जाँच करने के लिए किया जाता है।

व्याख्या: इन्द्रधनुष पानी की बूंदों में प्रकाश के परावर्तन , अपर्वतन और फैलाव के कारण बनने वाला एक संयोजन होता है जिसके परिणामस्वरूप आकाश में प्रकाश का एक स्पेक्ट्रम यानि रंगावली दिखाई पड़ता है। अंतत: यह बहुरंगी गोलाकार चाप का रूप ले लेता है सूरज की रौशनी से होने वाले इन्द्रधनुष आकाश में हमेशा सूर्य के विपरीत दिशा में दिखाई देती है। आकाश में संध्या समय पूर्व दिशा में तथा प्रात:काल पश्चिम दिशा में, वर्षा के पश्चात् लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला, तथा बैंगनी वर्णो का एक विशालकाय वृत्ताकार वक्र कभी-कभी दिखाई देता है।

व्याख्या: प्रकाशीय तंतु (या केवल तंतु) कांच या प्लास्टिक से निर्मित एक तंतु होता है जिसके लम्बाई की दिशा में प्रकाश का संचरण हो सकता है। इस प्रक्रिया में प्रकाश का पूर्ण आन्तरिक परावर्तन होता है।

व्याख्या: पूर्ण आंतरिक परावर्तन परिभाषा : जब प्रकाश सघन माध्यम से विरल माध्यम में गुजरता है तथा उस माध्यम के लिए क्रांतिक कोण से अधिक कोण पर आपतित होता है, तो यह पूर्णतया सघन माध्यम में लोट जाती है। पूर्ण इस प्रकार का प्रकाश का पुन: लौटना पूर्ण आन्तरिक (अन्दर की ओर) परावर्तन कहलाता है।

व्याख्या: आकाश के रंग के पीछे मुख्य घटना प्रकीर्णन के कारण होती है। नीला रंग अधिक प्रकीर्णित होता है और इसलिए आकाश नीला दिखाई देता है। नीले रंग के अधिक प्रकीर्णन का कारण यह है कि नीले प्रकाश की तरंग दैर्ध्य अन्य प्रकाश की तुलना में कम होती है। नीला प्रकाश पृथ्वी के वायुमंडल में हवा के छोटे अणुओं द्वारा सभी दिशाओं में प्रकीर्णित होता है। इसी कारण आकाश नीला दिखाई देता है।

व्याख्या: जब प्रकाश किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाती है तो अपवर्तनांक में परिवर्तन के कारण, प्रकाश की तरंगदैर्ध्य बदल जाती है। किसी भी तरंग की आवृत्ति उस माध्यम पर निर्भर नहीं करती है जिसमें वह गति कर रहा है। तो प्रकाश किरण की आवृत्ति समान रहती है।

व्याख्या: वातावरण में प्रकाश का विसरण धूल कणों की वजह से होता है। कार्बन डाईआक्साइड पौधों के लिए प्राणदायिनी गैस है। वायुमंडल में पाई जाने वाली गैसों में co2 की मात्रा 0.03% है। co2 गैस जन्तु जगत द्वारा श्वास के रूप में बाहर छोड़ी जाती है। यह गैस ग्रीन हाउस प्रभाव के लिए मुख्य रूप से उत्तरदायी है।
हीलियम हल्की तथा अज्वलनशील असंतृप्त हाइड्रोकार्बन गैस है। इसका उपयोग गुब्बारों में भरने, मौसम सम्बन्धी अध्ययन, ठण्डी वायु वाली नाभिकीय भट्ठी आदि में होता है।

व्याख्या: चन्द्रमा पर वायुमंडल नहीं होता है जिसके कारण प्रकाश का प्रकीर्णन नहीं होता है। प्रकीर्णन के अभाव में चंद्रमा से आकाश देखने पर आकाश का रंग काला दिखाई देता है।

व्याख्या: अपसारी लेंस- क्योंकि अवतल लेंस पर आपतित किरणें लेंस के दोनों ओर से अपवर्तित होकर लेंस की मुख्य अक्ष से बाहर की ओर मुड़ जाती है तथा फैल कर और अधिक दूर दूर हो जाती है इसी कारण इसी कारण इसे अपसारी लेंस कहा जाता है।

व्याख्या: वायुमंडल में उपस्थित धुल आदि के कण प्रकाश किरणों का प्रकीर्णन करते है जिसके कारण प्रकाश किरणों का प्रकीर्णन होता है जिसमें नील रंग का प्रकाश अधिक तथा लाल रंग का प्रकाश कम प्रकिर्नित होता है। इसी कारण यातायात सिग्नलों में लाल प्रकाश प्रयुक्त होता है।

व्याख्या: समुद्र के नीले प्रतीत होने का प्रमुख कारण नीले रंग के प्रकाश का जल में प्रकिर्नित होना। इसके साथ ही सूर्य का प्रकाश जब जल पर पड़ता है तो नीला प्रकाश प्रकिर्नित होकर चारों ओर फ़ैल जाता है और जल का रंग नीला दिखने लगता है।

व्याख्या: प्रकाश का प्रकीर्णन (Light scattering) वह प्रकीर्णन है जिसमें ऊर्जा का वाहक और प्रकीर्ण होने वाला विकिरण प्रकाश होता है। जब प्रकाश किसी ऐसे माध्यम से गुजरता है, जिसमे धुल तथा अन्य पदार्थों के अत्यंत सूक्ष्म कण होते है, तो इनके द्वारा प्रकाश सभी दिशाओं में प्रसारित हो जाता है, जिसे प्रकाश का प्रकीर्णन कहते हैं।

व्याख्या: इन्द्रधनुष में लाल रंग का विक्षेपण अधिकतम तथा बैंगनी रंग का न्यूनतम होता है। इन्द्रधनुष में बैंगनी किरण आँख पर 40.8डिग्री तथा लाल किरण 42.8 डिग्री का कोण बनाती है।

व्याख्या: पेरिस्कोप एक प्रकाशिक यंत्र है। पेरिस्कोप की सहायता से हम एक अपारदर्शी पिंड के आर-पार, ऊपर-नीचे या आस-पास के छिपे हुए भागों को देख सकते हैं।

पेरिस्कोप में समतल दर्पण का प्रयोग होता है। साधारण पेरिस्कोप दो समानान्तर समतल दर्पणों (जिन्हें 45° के कोण पर रखा जाता है।) के मध्य परावर्तन के सिद्धांत पर आधारित है। साधारण पेरिस्कोप अंतिम सिरों के निकट समलम्ब पर झुकी एक खोखली बेलनाकार ट्यूब से निर्मित होती है। दो समतल दर्पणों को एक दूसरे के एक दूसरे के समानान्तर रखा जाता है।

व्याख्या: साबुन के पतले झाग में चमकदार रंगों का बनना बहुलित परावर्तन और व्यतिकरण का परिणाम है। जब किसी पारदर्शक पतली परत (पानी की सतह पर तेल की पतली परत या साबुन के घोल के बुलबुले) पर श्वेत प्रकाश आपतित किया जाता है, तो परत के दोनों पृष्ठों से परावर्तित तथा अपवर्तित प्रकाश किरणों में व्यतिकरण (Interference) होता है। इस परिघटना के परिणामतः वह परत चमकदार दिखाई पड़ती है।

व्याख्या: उत्तल दर्पण में प्रत्येक स्थिति में प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे उसके ध्रुव और फोकस के बीच बनता है जो वस्तु से छोटा, सीधा एवं आभासी होता है इसका उपयोग वाहन चालक की सीट के पास पीछे से आने वाली वस्तुओं को देखने में किया जाता है। उत्तल दर्पण का उपयोग सोडियम परावर्तन लैम्प में भी किया जाता है।

व्याख्या: सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य का लाल दिखाई पड़ना प्रकाश प्रकीर्णन की घटना पर आधारित है। सुबह तथा शाम के समय सूर्य क्षितिज के पास होता है। ऐसी स्थिति में प्रकाश की किरणों को अधिक दूरी तय करनी पड़ती है जिससे लाल वर्ण को छोड़कर अन्य वर्णों का प्रक्रिर्णन पहले ही हो जाता है केवल लाल वर्ण ही दर्शक तक पहुंच पाता है।

व्याख्या: अवतल दर्पण एक गोलाकार दर्पण है जिसके उभरे हुए तल पर पौलिश की हुई होती है तथा अंदर का तल परावर्तक होता है। इसके द्वारा प्रतिबिम्ब दर्पण के सामने और वस्तु से बड़ा बनता है इसलिए इस दर्पण का प्रयोग दन्त चिकित्सकों द्वारा किया जाता है।


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