प्रकाश ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर व्याख्या सहित | Light GK Quiz (Set-1)

प्रकाश तरंग (Light wave) से ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ, जो प्रतियोगी परीक्षा जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC के लिए महत्वपूर्ण है।

प्रकाश समान्य ज्ञान

व्याख्या: गतिमान तरंग को अनुप्रस्थ कहा जाता है यदि उसके सभी बिंदु तरंग की दिशा के लंबवत पथों पर दोलन करते हैं। इस तथ्य के कारण कि इसके घटक भाग इसके प्रसार की दिशा के लंबवत कंपन करते हैं । प्रकाश एक अनुप्रस्थ तरंग है। विद्युत चुम्बकीय तरंग एक प्रकाश तरंग है।

व्याख्या: प्रकाश दोहरी प्रकृति प्रदर्शित करता है-कभी कण के समान तथा कभी तरंग के समान। प्रकाश के कुछ गुणों जैसे व्यतिकरण, विवर्तन, ध्रुवण आदि की व्याख्या प्रकाश की प्रकृति को तरंग मानकर की जाती है, जबकि कुछ अन्य गुणों जैसे प्रकाश विद्युत प्रभाव, कॉम्पटन प्रभाव आदि की व्याख्या यह मानकर की जाती है कि प्रकाश ऊर्जा के छोटे छोटे पैकेटों से मिलकर बना है।

व्याख्या: जिस वस्तु या पदार्थ का अपवर्तनांक ज्यादा होता है, उसमें प्रकाश की गति न्यूनतम होती है। कांच, निर्वात, जल तथा वायु में से कांच का अपवर्तनांक सबसे ज्यादा होता है, इसलिए प्रकाश की गति कांच में न्यूनतम होती है।

माध्यम जितना अधिक सघन होगा, इसका अपवर्तनांक उतनी ही अधिक होगा। इस प्रकार, प्रकाश की चाल कम होगी। प्रकाश की चाल इस प्रकार ठोस में न्यूनतम होती है क्योंकि वे सघन होते हैं और निर्वात में अधिकतम होगी क्योंकि निर्वात सबसे कम सघन माध्यम होता है।

इस प्रश्न के अनुसार, घटते क्रम में प्रकाश की चाल- निर्वात > वायु > जल > काँच

व्याख्या: ध्रुवीयक विद्युत चुंबकीय तरंगों (प्रकाश) के एक अस्पष्ट या मिश्रित ध्रुवीकरण वाले किरणपुंज को एक सु-स्पष्ट किरणपुंज में परिवर्तित करने वाली युक्ति है। ध्रुवको का प्रयोग कई प्रकाशीय तकनीकों और उपकरणों में किया जाता है और ध्रुवीकरण फिल्टर फोटोग्राफी (छायांकन) और द्रव क्रिस्टल प्रादर्शी प्रौद्योगिकी में प्रयोग किए जाते है।

व्याख्या: जब कोई प्रकाश तरंग वायु से कांच या एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाती है, तो प्रकाश की आवृत्ति वही रहती है, लेकिन उसका तरंगदैर्ध्य तथा वेग बदल जाता है।

व्याख्या: जब प्रकाश की किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में गमन करती है, तो इसकी चाल बढ़ जाती है तथा यह अभिलंब से दूर हट जाती है। ज्ञातव्य है कि जब कोई प्रकाश की किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करती है, तो यह अभिलंब की ओर झुक जाती है।

व्याख्या: जब प्रकाश की किरण किसी सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है, तो आपतन कोण के क्रांतिक कोण से अधिक हो जाने पर अपवर्तित किरण सघन माध्यम में वापस लौट आती है, जिसे पूर्ण आंतरिक परावर्तन' कहते हैं। प्रश्नगत विकल्पों में हीरे का अपवर्तनांक कांच से अधिक होने के कारण हीरे से कांच में प्रकाश के जाने पर पूर्ण आंतरिक परावर्तन होगा।

व्याख्या: ध्रुवण (Polarization) अनुप्रस्थ तरंगों (जैसे, प्रकाश) का गुण है जो उनके दोलनों की दिशा (orientation) से सम्बन्धित है। ध्रुव का अर्थ है 'निश्चित'। ध्रुवित तरंग में किसी सीमित रूप में ही दोलन होते हैं जबकि अध्रुवित तरंग में सभी दिशाओं में समान रूप से दोलन होता है।

व्याख्या: जब प्रकाश व ध्वनि तरंगे किसी अवरोध से टकराती हैं, तो वे अवरोध के किनारों पर मुड जाती हैं और अवरोधक की ज्यामितिय छाया में प्रवेश कर जाती हैं। तरंगो के इस प्रकार मुड़ने की घटना को विवर्तन (Diffraction) कहते हैं। ऐसा पाया गया है कि लघु आकार के अवरोधों से टकराने के बाद तरंगें मुड़ जातीं हैं तथा जब लघु आकार के छिद्रों (openings) से होकर तरंग गुजरती है तो यह फैल जाती है। सभी प्रकार की तरंगों से विवर्तन होता है (ध्वनि, जल तरंग, विद्युतचुम्बकीय तरंग आदि)।

व्याख्या: व्यतिकरण (Interference) से किसी भी प्रकार की तरंगों की एक दूसरे पर पारस्परिक प्रक्रिया की अभिव्यक्ति होती है, जिसके परिणामस्वरूप कुछ विशेष स्थितियों में कंपनों और उनके प्रभावों में वृद्धि, कमी या उदासीनता आ जाती है। व्यतिकरण का विस्तृत अध्ययन विशाल विभेदन शक्ति वाले सभी यंत्रों के मूल में काम करता है।

व्याख्या: प्रकाश की चाल (जिसे c से निरूपित किया जाता है) एक भौतिक नियतांक है। निर्वात में इसका सटीक मान 299,792.458 मीटर प्रति सेकेण्ड है, जिसे प्राय: 3 लाख किमी/से. (3×108मी./से.) कह दिया जाता है।

व्याख्या: प्रकाश की गति एक सार्वभौमिक स्थिरांक है और इसलिए यह तापमान पर निर्भर नहीं करती है। अतः तापमान में वृद्धि के साथ, प्रकाश की गति अप्रभावित और स्थिर रहती है।

व्याख्या: माध्यम जितना अधिक सघन होगा, इसका अपवर्तनांक उतनी ही अधिक होगा। इस प्रकार, प्रकाश की चाल कम होगी। प्रकाश की चाल इस प्रकार ठोस में न्यूनतम होती है क्योंकि वे सघन होते हैं और निर्वात में अधिकतम होगी क्योंकि निर्वात सबसे कम सघन माध्यम होता है।

व्याख्या: सूर्य ग्रहण (सूर्योपराग) तब होता है, जब सूर्य आंशिक अथवा पूर्ण रूप से चन्द्रमा द्वारा आवृ्त (व्यवधान / बाधा) हो जाए। इस प्रकार के ग्रहण के लिए चन्दमा का पृथ्वी और सूर्य के बीच आना आवश्यक है। इससे पृ्थ्वी पर रहने वाले लोगों को सूर्य का आवृ्त भाग नहीं दिखाई देता है।

व्याख्या: चंद्रग्रहण उस खगोलीय स्थिति को कहते है जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है। ऐसा तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में अवस्थित हों। इस ज्यामितीय प्रतिबंध के कारण चंद्रग्रहण केवल पूर्णिमा को घटित हो सकता है।

व्याख्या: सूर्य ग्रहण एक तरह का ग्रहण है जब चन्द्रमा, पृथ्वी और सूर्य के मध्य से होकर गुजरता है तथा पृथ्वी से देखने पर सूर्य पूर्ण अथवा आंशिक रूप से चन्द्रमा द्वारा आच्छादित होता है। भौतिक विज्ञान की दृष्टि से जब सूर्य व पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा आ जाता है तो चन्द्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढक जाता है, उसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करती है और चाँद पृथ्वी की।

कभी-कभी चाँद, सूरज और धरती के बीच आ जाता है। फिर वह सूरज की कुछ या सारी रोशनी रोक लेता है जिससे धरती पर साया फैल जाता है। इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। यह घटना सदा सर्वदा अमावस्या को ही होती है।

व्याख्या: पूर्ण आंतरिक परावर्तन एक माध्यम जैसे कि पानी या कांच के भीतर प्रकाश की किरण का आसपास की सतहों से पर्णतः परावर्तित होकर वापस माध्यम में जाना है। यह घटना तब होती है जब आपतन कोण एक नियत कोण से अधिक होता है, जिसे क्रांतिक कोण कहा जाता है।

हीरे में आने वाली किरण के लिए क्रांतिक कोण बहुत ही कम (24 डिग्री) होता है। जब बाहर का प्रकाश किसी कटे हुए सिरे में प्रवेश करता है तो वह उसके भीतर विभिन्न तलों पर बार-बार पूर्ण परावर्तित होता रहता है। जब किसी तल पर आपतन कोण (20 डिग्री) से कम हो जाता है, तब प्रकाश हीरे से बाहर हो जाता है।

हम देखते हैं कि जो प्रकाश हीरे में सभी दिशाओं से प्रवेश करता है वह कुछ ही दिशाओं से बाहर आ जाता है और इन दिशाओं से देखने पर हीरा अत्यधिक चमकदार दिखाई देता है।

व्याख्या: पानी से भरे किसी बर्तन में पड़ा हुआ सिक्का प्रकाश के अपवर्तन के कारण थोडा उठा हुआ प्रतीत होता है।

व्याख्या: ऑडियो एवं वीडियो प्रणाली में प्रयुक्त होने वाली CD में सतह पर सुरक्षात्मक लेसर कोटिंग होती है जो की फिल्म की भांति कार्य करती है और परावर्तन एवं विवर्तन की परिघटना के लिए जिम्मेदार होती है। यदि परिघटना CD को सूर्य के प्रकाश में देखने पर इंद्रधनुषी रंग दिखाई देने का कारण होता है।

व्याख्या: जब प्रकाश की किरणें एक पारदर्शी माध्यम से दूसरे पारदर्शी माध्यम में प्रवेश करती हैं, तो दोनों माध्यमों को अलग करने वाले तल पर अभिलम्बवत् आपाती होने पर बिना मुड़े सीधे निकल जाती हैं, परन्तु तिरछी आपाती होने पर वे अपनी मूल दिशा से विचलित हो जाती हैं। इस घटना को प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं।


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