विद्युत ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर व्याख्या सहित | Electricity GK Quiz (Set-1)

विद्युत धारा (Electric current) से ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ, जो प्रतियोगी परीक्षा जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC के लिए महत्वपूर्ण है।

विद्युत धारा समान्य ज्ञान

व्याख्या: विपरीत आवेश वाली दो वस्तुओं के बीच लगने वाले आकर्षण बल के विपरीत, समान आवेश वाली दो वस्तुएँ एक दूसरे को प्रतिकर्षित करेंगी। अर्थात्, एक धनावेशित वस्तु दूसरी धनावेशित वस्तु पर प्रतिकारक बल लगाएगी। यह प्रतिकारक बल दो वस्तुओं को अलग कर देगा।

व्याख्या: किसी आवेशित चालक का 'सम्पूर्ण' आवेश किसी खोखले पृथक्कृत चालक आवेशित चालक को खोखले पृथक्कृत चालक के भीतर रखकर दोनों चालकों को सम्बन्धित करने पर सम्पूर्ण आवेश बाहरी पृष्ठ पर आ जाएगा।

व्याख्या: कूलम्ब का नियम (Coulomb's law) भौतिक विज्ञान का एक नियम है जो स्थिर इलेक्ट्रिक चार्ज कणों के बीच लगता है। इस नियम के अनुसार, दो स्थिर बिंदु आवेशों के बीच लगने वाला आकर्षण या प्रतिकर्षण बल दोनों आवेशों के परिणामों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा दूरी के व्युत्क्रमानुपाती होता है।

व्याख्या: यदि दो विद्युत आवेशों के मध्य दूरी को आधा कर दिया जाये तो उनके मध्य विद्युत बल का मान चौगुना हो जायेगा।

  • F = \(\frac{1}{4π∈_0}.\frac{q_1q_2}{r^2}\) ....... (i)
  • F' = \(\frac{1}{4π∈_0}.\frac{q_1q_2}{(r/2)^2}\) ....... (ii)
  • समीकरण (i) एवं (ii) से,
  • \(\frac{F'}{F}\) = \(\frac{r^2}{r^2/4}\)
  • \(\therefore\) F' = 4F

व्याख्या: दूसरे शब्दों में, इकाई धनावेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में किए गए कार्य को उन दो बिन्दुओं के बीच का विभवान्तर कहते हैं। विभवान्तर को वोल्टमापी द्वारा मापा जाता है।

व्याख्या: धातुएं विद्युत की सुचालक होती है क्योंकि उनमे मुक्त इलेक्ट्रॉन होते है।

व्याख्या: चांदी विद्युत का सबसे अच्छा सुचालक होता है। इन्हें समझने के लिए, यहां दिए गए सभी धातु के चालकता का मान नीचे दर्शाया गया है। अतः दिए गए मान से यह स्पष्ट है कि चांदी विद्युत का अच्छा सुचालक है। विद्युत के सुचालक का तात्पर्य विद्युत धारा के प्रवाह की क्षमता से है।

व्याख्या: जब किसी मैटेरियल को 0°k तक ठंडा किया जाता है तो उसका प्रतिरोध पूर्णतः शून्य प्रतिरोधकता प्रदर्शित करते हैं। उनके इस गुण को अतिचालकता (superconductivity) कहते हैं। शून्य प्रतिरोधकता के अलावा अतिचालकता की दशा में पदार्थ के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र भी शून्य हो जाता है जिसे मेसनर प्रभाव (Meissner effect) के नाम से जाना जाता है।

व्याख्या: सिलिकॉन, जर्मेनीयम तथा गैलियम आर्सेनाइड अर्द्धचालक की श्रेणी में आते हैं जबकि क्वार्ट्ज कुचालक होता है।

व्याख्या: अर्धचालक (Semiconductor) उन पदार्थों को कहते हैं जिनकी विद्युत चालकता चालकों (जैसे ताँबा) से कम किन्तु अचालकों (जैसे काच) से अधिक होती है। (आपेक्षिक प्रतिरोध प्रायः 10-5 से 108 ओम-मीटर के बीच) सिलिकॉन, जर्मेनियम, कैडमियम सल्फाइड, गैलियम आर्सेनाइड इत्यादि अर्धचालक पदार्थों के कुछ उदाहरण हैं।

व्याख्या: ताप के बढ़ाने पर चालक पदार्थों का वैद्युत प्रतिरोध बढ़ता है जबकि वैद्युत चालकता घटती है। चालक में बहुत अधिक संख्या में मुक्त इलेक्ट्रॉन होते हैं। ताप बढ़ाने से मुक्त इलेक्ट्रॉनों की औसत गतिज ऊर्जा बढ़ती है जिससे इनकी धनायनों से संघट्टों की संख्या बढ़ती है, फलत: चालक का प्रतिरोध बढ़ जाता है तथा चालकता घटती है।

व्याख्या: ताँबा मुख्य रूप से विद्युत चालन के लिए प्रयोग किया जाता है, क्योंकि इसकी विद्युत प्रतिरोधकता निम्न होती है।

व्याख्या: आवेश के गति या प्रवाह में होने पर उसे विद्युत धारा (इलेक्ट्रिक करेण्ट) कहते हैं। इसकी SI इकाई एम्पीयर है। एक कूलांम प्रति सेकेण्ड की दर से प्रवाहित विद्युत आवेश को एक एम्पीयर धारा कहेंगे।

  • विद्युत आवेश का SI मात्रक कुलॉम (C) होता है।
  • विद्युत धारा के अल्प परिमाण को मिली एम्पियर और माइक्रो एम्पियर में व्यक्त किया जाता है।
    • 1mA = 10-3A
    • 1μA = 10-6A

व्याख्या: यदि समान विभव वाली दो आवेशित वस्तु एक संवाहक तार के माध्यम से जुड़ी हैं, तो धारा प्रवाहित नहीं होगी। विद्युत आवेश के प्रवाह की दर के रूप में धारा के प्रवाह को परिभाषित किया जाता है। जब विद्युत आवेश एक दिशा में प्रवाहित होता है, तो धारा विपरीत दिशा में प्रवाहित होती है।

व्याख्या: दिष्टकारी (Ractifier) ऐसी युक्ति है जो प्रत्यावर्ती धारा (AC) को दिष्ट धारा (DC) में बदलने का कार्य करती है। उल्लेखनीय है कि DC को AC में बदलने वाली युक्ति को इनवर्टर कहते हैं।

व्याख्या: एक भू-सम्पर्कित तार भूमि को चालन पथ प्रदान करता है जो एक विद्युतीय उपकरण में सामान्य धारा वहन पथ से स्वतंत्र होता है। यह विद्युतीय झटके के प्रति सुरक्षा प्रदान करता है। भू-सम्पर्कित तार का उद्देश्य अतिरिक्त विद्युत आवेश को जाने के लिए एक सुरक्षित स्थान देना है।

व्याख्या: विद्युत उपकरण में अर्थ (Earth) का उपयोग सुरक्षा के लिए होता है। पत्येक भवन में वैद्युतिक वायरिंग की स्थापना के अंतर्गत एक 'अर्थ' भी अनिवार्य रूप में स्थापित किया जता है। 'अर्थ' की स्थापना मनुष्य के जीवन, भवन एवं मशीनों की सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सभी विद्युत चालित मशीनों, उपकरणों, स्टार्टर्स, मेन स्विचेज आदि के धात्विक आवरणों को 'अर्थ' किया जाता है। 'अर्थ' संयोजन का प्रतिरोध बहुत कम होता है और इसलिए 'लीकेज धारा' पृथ्वी में चली जाती है।

व्याख्या: वोल्टमीटर का प्रयोग परिपथ के किन्ही दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर मापने में किया जाता है। इसे परिपथ में सदैव समानान्तर क्रम में लगाया जाता है। एक आदर्श वोल्टमीटर का प्रतिरोध अनन्त होना चाहिए।

व्याख्या: किरचॉफ के धारा नियम (KCL) के अनुसार, एक सामान्य बिंदु पर मिलने वाले विद्युत धाराओं का बीजगणितीय योग शून्य है अर्थात् एक नोड में प्रवेश करने वाली धाराओं का योग नोड से निकलने वाले धाराओं के योग के बराबर होता है।

इस नियम को 'किरचॉफ का संधि नियम', 'किरचॉफ का बिन्दु नियम', 'किरचॉफ का जंक्सन का नियम' और किरचॉफ का प्रथम नियम भी कहते हैं।


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