विद्युत ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर व्याख्या सहित | Electricity GK Quiz (Set-3)

विद्युत धारा (Electric current) से ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ, जो प्रतियोगी परीक्षा जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC के लिए महत्वपूर्ण है।

विद्युत धारा समान्य ज्ञान

व्याख्या: तड़ित (Lightning) या "आकाशीय बिजली" वायुमण्डल में विद्युत आवेश का डिस्चार्ज होना (एक वस्तु से दूसरी पर स्थानान्तरण) और उससे उत्पन्न कड़कड़ाहट (thunder) को तड़ित कहते हैं।

व्याख्या: तड़ित चालक का आविष्कार बेंजामिन फ्रेंकलिन ने किया। तड़ित चालक (Lightening rod or lightening conductor) एक धातु की चालक छड़ होती है, जिसे ऊँचे भवनों की छत पर आकाशीय विद्युत से रक्षा के लिये लगाया जाता है। तड़ित चालक का उपरी सिरा नुकीला होता है और इसे भवनों के सबसे ऊपरी हिस्से में जड़ दिया जाता है। इसे ताँबे के तार से जोड़कर, उस को नीचे लाकर धरती में गाड़ कर, इसके आखिरी सिरे पर कोयला और नमक मिलाकर, उस आखिरी सिरे का अन्त किया जाता है।

व्याख्या: क्योंकि विद्युत बल्ब का तंतु एक उच्च प्रतिरोध के तार (coil) से बना होता है। तंतु धारा के उच्च परिरोध के कारण गर्म होकर उष्णता और प्रकाश का निर्माण करता है। वहीं अगर विद्युत धारा का वहन करने वाली तार एक सुचालक होता हैं, कम या ज्यादा प्रतिरोध होने पर भी वो गर्म नहीं होता।

व्याख्या: सिलिनियम विद्युत का मंद चालक नहीं है अपितु यह विद्युत का अच्छा सुचालक है। जबकि ब्रोमीन (द्रव), सल्फर तथा फास्फोरस विद्युत के मंद चालक की तरह कार्य करते हैं।

व्याख्या: एक मानक शुष्क सेल में एक जिंक एनोड होता है, जो आमतौर पर एक बेलनाकार बर्तन के रूप में होता है, जिसमें एक केंद्रीय रॉड के रूप में कार्बन कैथोड होता है। शुष्क सेल में अमोनियम क्लोराइड और जिंक क्लोराइड का प्रयोग विद्युत अपघट्यों के रूप में प्रयोग होता है।

व्याख्या: परमाणु उर्जा से विद्युत उत्पादन के लिए रिएक्टर में युरेनियम का उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है। युरेनियम एक दुर्लभ तत्व है जो प्रकृति में मुक्त अवस्था में नहीं पाया जाता है। इसे आशाधातु भी कहा जाता है। भारत में युरेनियम का सर्वाधिक उत्पादन झारखण्ड राज्य करता है।

व्याख्या: एम्पियर विद्युत धारा को मापने की इकाई है। यदि किसी चालक तार में एक एम्पियर की धारा को प्रवाहित हो रही है, तो इसका अर्थ है कि उस तार में सेकंड 6.25 x 1018 इलेक्ट्रान एक सिरे से प्रविष्ट होते हैं तथा इतने ही इलेक्ट्रान प्रति सेकंड दूसरे सिरे से बाहर निकल जाते हैं।

व्याख्या: कृत्रिम उपग्रह में विद्युत उर्जा का स्रोत सौर सेल्स होता है। इन्ही सौर सेल्स के माध्यम से कृत्रिम उपग्रह उर्जा प्राप्त करता है।

व्याख्या: विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलने की युक्ति विद्युत मोटर है। विद्युत मोटर (electric motor) एक विद्युतयांत्रिक मशीन है जो विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलती है; अर्थात इसे उपयुक्त विद्युत स्रोत से जोड़ने पर यह घूमने लगती है जिससे इससे जुड़ी मशीन या यन्त्र भी घूमने लगती है। अर्थात यह विद्युत जनित्र का उल्टा काम करती है जो यांत्रिक ऊर्जा लेकर विद्युत उर्जा पैदा करता है। कुछ मोटरें अलग-अलग परिस्थितियों में मोटर या जनरेटर (जनित्र) दोनो की तरह भी काम करती हैं।

व्याख्या: रासायनिक उर्जा का विद्युत उर्जा में रूपांतरण इलेक्ट्रोलाइसिस द्वारा होता है। किसी यौगिक की द्रवित अवस्था या घोल की अवस्था में विद्युत धारा प्रवाहित कर अपघटित करने की क्रिया को वैद्युत अपघटन कहते हैं।

वैद्युत अपघटन वैद्युत धारा का एक रासायनिक प्रभाव है। जब शुद्ध धातुओं में वैद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो वे अपघटित नहीं होती, परन्तु कुछ पदार्थ ऐसे होते है, कि जब उनमें वैद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो वे अपघटित हो जाते हैं, तथा रासायनिक प्रभाव दर्शाते हैं, वैद्युत अपघट्य कहलाते हैं। जैसे अम्लीय जल नमक का जल में विलयन आदि वैद्युत अपघट्य के ऋण एवं धन आयन उपस्थित करते हैं तथा वैद्युत धारा का प्रवाह इन्हीं आयनों की गति के कारण होता है।

व्याख्या: एलेक्ट्रॉनिकी में एकीकृत परिपथ या एकीपरि (इन्टीग्रेटेड सर्किट (IC)) को सूक्ष्मपरिपथ (माइक्रोसर्किट), सूक्ष्मचिप, सिलिकॉन चिप, या केवल चिप के नाम से भी जाना जाता है। यह एक अर्धचालक पदार्थ के अन्दर बना हुआ एलेक्ट्रॉनिक परिपथ ही होता है जिसमें प्रतिरोध, संधारित्र आदि पैसिव कम्पोनेन्ट (निष्क्रिय घटक) के अलावा डायोड, ट्रान्जिस्टर आदि अर्धचालक अवयव निर्मित किये जाते हैं।

व्याख्या: दिष्टकारी (Ractifier) ऐसी युक्ति है जो प्रत्यावर्ती धारा (AC) को दिष्ट धारा (DC) में बदलने का कार्य करती है। उल्लेखनीय है कि DC को AC में बदलने वाली युक्ति को इनवर्टर कहते हैं।

व्याख्या: उपयोग ट्रान्सफार्मर का मुख्य उपयोग विद्युत शक्ति को अधिक वोल्टता से कम वोल्टता में या कम वोल्टता से अधिक वोल्टता में बदलना है । ऐसा करने से विद्युत उर्जा के उपयोग में सुविधा और दक्षता आती है।

व्याख्या: प्रतिदीप्ति नली (Fluorescent Lamp) में सर्वाधिक सामान्यतः निम्नदाब युक्त पारा-वाष्प (Mercury Vapour) और ऑर्गन गैस भरी जाती है। कभी-कभी जीनॉन, नियॉन अथवा क्रिप्टॉन का भी प्रयोग किया जाता है।

व्याख्या: कोई खराबी या रिसाव होने पर भूक्षरण को डायवर्ट (विचलित) करने के लिए भूसम्पर्क पिन (आधार सिरा) दिया जाता है। यही कारण है कि सॉकेट को प्लग में डालने के दौरान सबसे पहले भूसम्पर्क पिन सॉकेट संचालित होता है।

व्याख्या: एक मकान में दो बल्ब लगे हैं उनमें से एक दुसरे अधिक प्रकाश देता है क्योंकि अधिक प्रकाश वाले बल्ब में रेजिस्टेंस अधिक है।

व्याख्या:शक्ति : विद्युत ऊर्जा द्वारा किए गए कार्य की दर को शक्ति कहा जाता है। इसे P से दर्शाया जाता है। शक्ति की SI इकाई वाट (W) है। वाट एक छोटी इकाई है इसीलिए विद्युत ऊर्जा के लिए किलोवाट-घंटा को इकाई के रूप में उपयोग किया जाता है।

जब एक-किलोवाट भार 1 घंटे के लिए कार्य करता है तो खपत ऊर्जा को 1 इकाई बिजली कहा जाता है। एक किलोवाट घंटा का मान 3.6 x 106 जूल होता है।

व्याख्या: फ्लूरोसेट लैंप में चोक का प्रयोग उच्च विभव (Voltage) उत्प्रेरित करने के लिए किया जाता है। प्लूरोसेंट लैंप में यह उच्च विभव (High Valtage) (1000 V लगभग) लैंप की प्लेटों के बीच उत्पन्न किया जाता है, जिससे इनके बीच विद्युत निस्सरण (Electrical Discharge) उत्पन्न होता है। जिससे उत्पन्न होने वाले पराबैंगनी विकिरण लैंप की आंतरिक सफेद सतह पर लगे फॉस्फॉर्म (Phosphors) को उत्तेजित कर देते हैं जो प्रकाश की विभिन्न आवृत्तियों की किरणें उत्पन्न करते हैं।

व्याख्या: यदि किसी प्रारुपी पदार्थ का विद्युत प्रतिरोध गिरकर शून्य हो जाता है तो उस पदार्थ को अतिचालक कहते हैं। जब किसी मैटेरियल को 0°k तक ठंडा किया जाता है तो उसका प्रतिरोध पूर्णतः शून्य प्रतिरोधकता प्रदर्शित करते हैं। उनके इस गुण को अतिचालकता (superconductivity) कहते हैं।

शून्य प्रतिरोधकता के अलावा अतिचालकता की दशा में पदार्थ के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र भी शून्य हो जाता है जिसे मेसनर प्रभाव (Meissner effect) के नाम से जाना जाता है। किसी प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवान्तर तथा उससे प्रवाहित विद्युत धारा के अनुपात को उसका विद्युत प्रतिरोध (electrical resistannce) कहते हैं। इसे ओह्म में मापा जाता है। इसकी प्रतिलोमीय मात्रा है विद्युत चालकता, जिसकी इकाई है साइमन्स।

व्याख्या: किसी तार का प्रतिरोध R = \(ρL \over A\) (जहां ρ = प्रतिरोधकता, L= लंबाई, A = क्षेत्रफल) स्पष्ट है कि लंबाई बढ़ने पर तार का प्रतिरोध भी बढ़ेगा।

व्याख्या: यह गतिज ऊर्जा की वह मात्रा है, जो एक इलेक्ट्रॉन द्वारा निर्वात में एक वोल्ट का विभवांतर पार करने पर प्राप्त की जाती है। सरल शब्दों में, यह 1 वोल्ट तथा 1 एलेक्ट्रानिक आवेश (e) के गुणनफल के बराबर होती है, जहाँ एक वोल्ट = एक जूल प्रति कूलम्ब है।

व्याख्या: बुलबुले को ऋणात्मक आवेश दिया जाए या धनात्मक आवेश, दोनों ही स्थितियों में त्रिज्या बढ़ेगी क्योंकि जब इसे धनात्मक आवेश दिया जाएगा, तो फिर से आवेश एक दूसरे को प्रतिकर्षित करेंगे और इससे बुलबुले का विस्तार होगा और त्रिज्या बढ़ जाएगी।

व्याख्या: एक डायनेमो (ग्रीक शब्द डायनामिस से व्युत्पन्न हुआ है; इसका अर्थ है पावर या शक्ति), मूल रूप से विद्युत जनरेटर का दूसरा नाम है। आमतौर पर इसका तात्पर्य एक जनरेटर या जनित्र से होता है जो कम्यूटेटर के उपयोग से दिष्ट धारा (direct current) उत्पन्न करता है। डायनेमो पहले विद्युत जनरेटर थे जो उद्योग के लिए विद्युत शक्ति के उत्पादन में सक्षम थे। डायनेमो के सिद्धांत के आधार पर ही बाद में कई अन्य विद्युत उत्पादन करने वाले रूपांतरक उपकरणों का विकास हुआ, जिसमें विद्युत मोटर, प्रत्यावर्ती धारा जनित्र और रोटरी कन्वर्टर शामिल हैं।

व्याख्या: जब एक चालक से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो वह चालक एक चुम्बक की तरह व्यवहार करने लगता है। अत: एक विद्युत धारावाही चालक को वैद्युत चुम्बक या विद्युत चुम्बक या इलेक्ट्रोमैगनेट (Electromagnet) कहते हैं।

व्याख्या: किसी चालक/प्रतिरोधक का प्रतिरोध मापने वाले यंत्र को ओममापी (ओममीटर) कहते हैं।

व्याख्या: जब एक कांच की छड़ को एक रेशम के कपड़े से रगड़ा जाता है, तो दोनों पदार्थ पर विपरीत स्वभाव वाले चार्ज दिखाई देते हैं। यह घटना ऊर्जा संरक्षण के नियम के अनुरूप है। एक समान घटना कई अन्य द्रव्यों के साथ देखी जाती है।


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