विद्युत ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर व्याख्या सहित | Electricity GK Quiz (Set-2)

विद्युत धारा (Electric current) से ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ, जो प्रतियोगी परीक्षा जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC के लिए महत्वपूर्ण है।

विद्युत धारा समान्य ज्ञान

व्याख्या:

  • R = 440Ω तथा V = 110V
  • विद्युत धारा (I) = \(\frac{V}{R}\) = \(\frac{110}{440}\) = \(\frac{1}{4}\) = 0.25A

व्याख्या: किसी प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवान्तर तथा उससे प्रवाहित विद्युत धारा के अनुपात को उसका विद्युत प्रतिरोध (Electrical resistannce) कहते हैं। इसे ओह्म (Ω) में मापा जाता है। इसकी प्रतिलोमीय मात्रा है विद्युत चालकता, जिसकी इकाई है साइमन्स। V वस्तु के आर-पार का विभवांतर है, वोल्ट में मापा गया।

व्याख्या: प्रतिरोधों को इस प्रकार जोड़ा जाए कि हर प्रतिरोध पर विभवान्तर समान रहे, तो यह प्रतिरोधों का समान्तर क्रम संयोजन होता है। अर्थात प्रतिरोधों का समान्तर क्रम में संयोजन की पहचान प्रत्येक प्रतिरोध पर विभवान्तर का समान होना है। न्यूनतम प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए इस संयोजन का प्रयोग करते हैं। घरों में लगे पंखे, बल्ब, ट्यूब आदि समानांतर क्रम में ही लगे रहते हैं।

व्याख्या: ओम के नियम (Ohm's Law) के अनुसार यदि ताप आदि भौतिक अवस्थायें नियत रखीं जाए तो किसी प्रतिरोधक (या, अन्य ओमीय युक्ति) के सिरों के बीच उत्पन्न विभवान्तर उससे प्रवाहित धारा के समानुपाती होता है।

  • वोल्टेज (V) = धारा (I) × प्रतिरोध (R)
  • प्रतिरोध की SI मात्रक ओम है और इसे Ω द्वारा दर्शाया जाता है।

व्याख्या: हीटर के तार एक तरह के मिश्र धातु से बने होते हैं, जिसे नाइक्रोम के नाम से जाना जाता है। नाइक्रोम में निकिल और क्रोमियम का मिश्रण होता है। यह मिश्र धातु विद्युत प्रतिरोधकता, उच्च गलनांक और जंग प्रतिरोध के लिए जाना जाता है।

व्याख्या: ओम के नियम (Ohm's Law) के अनुसार यदि ताप आदि भौतिक अवस्थायें नियत रखीं जाए तो किसी प्रतिरोधक (या, अन्य ओमीय युक्ति) के सिरों के बीच उत्पन्न विभवान्तर उससे प्रवाहित धारा के समानुपाती होता है।

  • वोल्टेज (V) = धारा (I) × प्रतिरोध (R)
  • प्रतिरोध की SI मात्रक ओम है और इसे Ω द्वारा दर्शाया जाता है।

ओम के नियम के अनुसार, वोल्टेज धारा और किसी सामग्री के प्रतिरोध के लिए आनुपातिक है। इसलिए, कह सकते हैं कि ओम का नियम तीनों वोल्टेज, धारा और प्रतिरोध को परिभाषित करता है।

व्याख्या: विशिष्ट प्रतिरोध (प्रतिरोधकता): किसी पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध उस पदार्थ द्वारा बने एकांक लम्बाई एवं एकांक अनुप्रस्थ परिच्छेद क्षेत्रफल वाले तार के प्रतिरोध के बराबर होता है।

  • SI पद्धति में इसका मात्रक ओम-मीटर होता है।
  • विशिष्ट प्रतिरोध का विमीय सूत्र [ML3T-3A-2] है।

व्याख्या: एक तार की लम्बाई L मीटर है तार को खीचकर उसकी लम्बाई 2L मीटर कर दी जाती है अब तार का प्रतिरोध पहले का दोगुना हो जायेगा।

व्याख्या: शुष्क सेल (बैटरी) में अमोनियम क्लोराइड और जिंक क्लोराइड विद्युत अपघट्यों के रूप में प्रयोग होता है। शुष्क सेल (dry cell) एक प्रकार के विद्युतरासायनिक सेल है जो कम बिजली से चल सकने वाले पोर्टेबल विद्युत-युक्तियों (जैसे ट्रांजिस्टर रेडियो, टार्च, कैलकुलेटर आदि) में प्रयुक्त होते हैं।

इसके अन्दर जो विद्युत अपघट्य (electrolyte) उपयोग में लाया जाता है वह लेई-जैसा कम नमी वाला होता है। इसमें किसी द्रव का प्रयोग नहीं किया जाता जिसके कारण इसे 'शुष्क' सेल कहा जाता है। (कार आदि में प्रयुक्त बैटरियों में प्रयुक्त विद्युत अपघट्य द्रव के रूप में होता है।) चूंकि इसमें कुछ भी चूने (लीक) लायक द्रव नहीं होता, पोर्टेबल युक्तियों में इसका उपयोग सुविधाजनक होता है।

व्याख्या: किसी विद्युत परिपथ में जिस दर से विद्युत उर्जा स्थानान्तरित होती है उसे विद्युत शक्ति (Electric power) कहते हैं।

  • शक्ति (P) = 100 वाट = 100/1000 किलोवाट = 0.1 किलोवाट तथा समय (t) = 10 घंटे
  • विद्युत ऊर्जा (E) = विद्युत शक्ति (P) × समय (t) = 0.1 किलोवाट × 10 घंटे = 1 किलोवाट

1 यूनिट यानी 1 किलोवॉट प्रति घंटा या 1000 वॉट का कोई उपकरण 1 घंटे इस्तेमाल करते हैं तो उससे 1 यूनिट बिजली खपत होती है।

व्याख्या: कार की बैटरी में असिस्टेंट वाला मिल्क सल्फ्यूरिक एसिड (H2SO4) होता है। बैटरी एसिड सल्फ्यूरिक एसिड को 37% एकाग्रता स्तर प्राप्त करने के लिए पानी से तनुकृत किया जाता है।

गन्धकाम्ल (सल्फ्युरिक एसिड) का प्रयोग विभिन्न उद्योगों में किया जाता है जैसे - अपशिष्ट जल प्रसंस्करण, सफाई एजेंटों का उत्पादन, खनिजों का प्रसंस्करण, विस्फोटकों का उत्पादन, डिटर्जेंट और एल्यूमीनियम सल्फेट्स के निर्माण के लिए कागज उद्योग।

व्याख्या: शुष्क सेल या शुष्क बैटरी, शुष्क सेल का एनोड और कैथोड का कार्य चित्र, किस धातु का बना होता है: वे बैट्री या सेल जिनमें तुलनात्मक रूप से बहुत कम नमी होती है अर्थात इनमें विद्युत अपघट्य पदार्थ में नमी बहुत कम होती है और इसलिए ही इन सेलों या बैटरीयों को शुष्क सेल कहा जाता है।

व्याख्या: यशदीकरण (Galvanization) या गैल्वानीकरण या यशदलेपन एक धातुकार्मिक प्रक्रम है जिसमें इस्पात या लोहे के उपर जस्ते की परत चढ़ा दी जाती है। इससे इन धातुओं का क्षरण (विशेषत: जंग लगना) रूक जाता है।

यद्यपि यशदीकरण की प्रक्रिया स्वयं एक गैर-विद्युतरासायनिक प्रक्रिया है किन्तु फिर भी यह प्रक्रिया एक विद्युतरासायनिक उद्देश्य की पूर्ति करती है। यह प्रकिया अधिकांश यूरोपीय भाषाओं मे गैल्वेनाइजेशन कहलाती है और इसका यह नाम इतालवी वैज्ञानिक लुईगी गैल्वानी के नाम पर पड़ा है।

व्याख्या: फैराडे के वैद्युत अपघटन सम्बन्धी दो नियम हैं:

  1. वैद्युत अपघटन की क्रिया में किसी इलेक्ट्रोड पर मुक्त हुए पदार्थ की मात्रा, सम्पूर्ण प्रवाहित आवेश के अनुक्रमानुपाती होती है।
  2. यदि विभिन्न वैद्युत अपघटयों के समान धारा, समान समय तक प्रवाहित की जाये तो मुक्त हुए तत्वों के द्रव्यमान उनके रासायनिक तुल्यांको के अनुक्रमानुपाती होते हैं।

व्याख्या: फैराडे के वैद्युत अपघटन सम्बन्धी दो नियम हैं
1. वैद्युत अपघटन की क्रिया में किसी इलेक्ट्रोड पर मुक्त हुए पदार्थ की मात्रा, सम्पूर्ण प्रवाहित आवेश के अनुक्रमानुपाती होती है।
2. यदि विभिन्न वैद्युत अपघटयों के समान धारा, समान समय तक प्रवाहित की जाये तो मुक्त हुए तत्वों के द्रव्यमान उनके रासायनिक तुल्यांको के अनुक्रमानुपाती होते हैं।

व्याख्या: एक फ्यूज तार अत्यधिक धारा प्रवाह के समय विद्युत परिपथ को तोड़ने का कार्य करता है। फ्यूज तार का गलनांक कम होता है तथा उसे परिपथ के साथ श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है।

व्याख्या: विद्युत फ्यूज में इस्तेमाल किया जाने वाला पदार्थ टिन और सीसा का एक मिश्रधातु होता है इस मिश्रधातु में निम्न विशिष्ट प्रतिरोध एवं निम्न गलनांक होना चाहिए।

व्याख्या: विद्युत परिपथों की सुरक्षा के लिए सबसे आवश्यक युक्ति फ्यूज है। फ्यूज ऐसे तार का टुकड़ा होता है, जिसके पदार्थ का गलनांक बहुत कम होता हे। जब परिपथ में अतिभारण या लघुपथन के कारण बहुत अधिक धारा प्रवाहित हो जाती है, तब फ्यूज का तार गरम होकर पिघल जाता है, जिसके फलस्वरूप परिपथ टूट जाता है और उसमें धारा प्रवाहित होनी बंद हो जाती है। फ्यूज सदैव विद्युमन्य तार में लगाया जाता है। यह विद्युत के ऊष्मीय प्रभाव के सिद्धांत पर कार्य करता है।

व्याख्या: बल्ब के भीतर ऑक्सीजन नहीं होता है, जिस वजह से जब बल्ब टूटता है तब एक धमाके कि आवाज के साथ इनर्ट गैस हवा में मिल जाता हैं। ये एक केमिकल लोचा है। यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि बल्ब में जो फिलामेंट जलता है वो असल में बिजली के द्वारा उत्पन ऊर्जा(heat) के कारण होता है।

व्याख्या: ताकि हवा टंगस्टन से reaction करके उसके आक्साइड न बना सके अन्यथा आक्साइड बनने से टंगस्टन टूट जायेगा। फिर भी इस तरह के बल्बो का जीवनकाल कम ही होता है, अतः हवा निकालने के स्थान पर बल्ब मे nonreactive गैस(हीलियम,नियॉन आदि) भर दी जाती


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