यांत्रिकी ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर व्याख्या सहित | Mechanics GK Quiz (Set-4)

यांत्रिकी (Mechanics) से ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ, जो प्रतियोगी परीक्षा जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC के लिए महत्वपूर्ण है।

यांत्रिकी समान्य ज्ञान

व्याख्या: जब लिफ्ट त्वरित गति से नीचे की ओर जा रही हो, तो लिफ्ट में स्थित किसी व्यक्ति का प्रत्यक्ष भार, उसके वास्तविक भार से कम होता है। किसी तल पर हमारा भार उस ताल द्वारा हमारे ऊपर लगाए गए प्रतिक्रिया बल के बराबर होता है। अब लिफ्ट त्वरित गति से नीचे की ओर आती है, तो लिफ्ट द्वारा हमारे ऊपर आरोपित प्रतिक्रिया बल का मान हमारे वास्तविक भार से कम हो जाता है। इसलिए हमे अपना भार कम महसूस होता है।

व्याख्या: तुल्यकाली उपग्रह की ऊंचाई पृथ्वी की सतह से लगभग 36000 किमी है। यह एक ऐसी कक्षा में घूमता है, जो पृथ्वी के विषुवतीय तल के साथ संरेखित होता है। इसके घूमने की दिशा पृथ्वी के समान ही है यानि पश्चिम से पूर्व की ओर।

व्याख्या: "जब पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण शून्य हो जाता है, तो गुरुत्वाकर्षण "g" के कारण त्वरण भी शून्य हो जाता है। इसलिए, वस्तु का भार शून्य हो जायेगा, परन्तु द्रव्यमान वही रहेगा।

निकाय का भार (W): यह उस बल का माप है जिसके साथ द्रव्यमान "m" की एक वस्तु पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल से आकर्षित होती है।

व्याख्या: यदि पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल अचानक लुप्त हो जाता है तो वस्तु का भार शून्य हो जाएगा परन्तु द्रव्यमान वही रहेगा। किसी वस्तु का भार W = mg यदि g = 0, तो, w = 0। हम देखते हैं कि जब कोई व्यक्ति पृथ्वी पर हो तो उसका द्रव्यमान वही रहेगा और चंद्रमा पर हो तो भी वाही रहेगा लेकिन उसका भार चंद्रमा पर उसके पृथ्वी पर जो भार था उसका 1/6 हो जाएगा।

व्याख्या: लोलक द्वारा माध्य स्थिति के दोनों ओर एक चक्कर लगाने में लगा समय आवर्तकाल कहलाता है। इसे T से प्रदर्शित करते हैं इसका मात्रक सेकेण्ड है।

सरल लोलक के दोलन की समयावधि लोलक की लंबाई के समानुपाती होती है। यदि लोलक की लंबाई बढ़ा दी जाए तो लोलक की समयावधि बढ़ जाती है।

  • पेंडुलम का आवर्तकाल (T) = 2π √l/g

व्याख्या: गर्मियों में लोलक की लम्बाई बढ़ जाने से दोलन का समय बढ़ जाता है। अत: उष्मीय प्रसार के कारण लोलक की लम्बाई बढ़ने से आवर्तकाल बढ़ जाएगा जिससे घड़ी सुस्त हो जाएगी।

व्याख्या: सरल लोलक का आवर्तकाल लम्बाई के वर्गमूल के समानुपाती होता है। अगर लंबाई को चार गुना कर दिया जाएगा तो आवर्तकाल √4 गुना यानी 2 गुना हो जाएगा।

  • पेंडुलम का आवर्तकाल (T) = 2π √l/g

व्याख्या: T = 2π √l/g होता है. इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि चंद्रमा पर लोलक घड़ी ले जाने पर उसका आवर्तकाल बढ़ जाएगा, क्योंकि चंद्रमा पर g का मान पृथ्वी के g के मान का 1/6 गुना है। अर्थात चंद्रमा पर पेंडुलम घड़ी सुस्त हो जाएगी।

व्याख्या:

  • गतिज ऊर्जा (E) = \(\frac{1}{2}mv^2\) × \(\frac{m}{m}\)

  • गतिज ऊर्जा (E) = \(\frac{1}{2m}m^2v^2\) = \(\frac{1}{2m}(mv)^2\) = \(\frac{p^2}{2m}\)

  • (संवेग (p) = mv)

व्याख्या: यांत्रिकी में प्रत्यास्थता (Elasticity) पदार्थों के उस गुण को कहते हैं जिसके कारण उस पर वाह्य बल लगाने पर उसमें विकृति (Deformation) आती है, परन्तु बल हटाने पर वह अपनी मूल स्थिति में आ जाता है।

प्रत्यास्थता की सीमा के भीतर, स्पर्श रेखीय प्रतिबल (अपरूपण प्रतिबल) तथा अपरूपण विकृति के अनुपात को दृढ़ता प्रत्यास्थता गुणांक कहते हैं। इसे η से प्रदर्शित करते हैं। दृढ़ता प्रत्यास्थता गुणांक (Modulus of elasticity) का मात्रक न्यूटन/मीटर2 एवं विमीय सूत्र [ML-1T-2] होता है।

व्याख्या: तेल की एक छोटी बून्द पानी पर फैल जाती है, क्यूंकि तेल का पृष्ठ तनाव अधिक होता है। मिट्टी का तेल पानी के ऊपर इसलिए तैरता है क्योंकि उसका घनत्व पानी के घनत्व से कम होता है। द्रवों को गर्म करने पर उनके आयतन में वृद्धि परन्तु घनत्व में कमी होती है। समुद्र के खारे पानी का घनत्व नदी के पानी के घनत्व से अधिक होता है।

व्याख्या: द्रव के स्वतंत्र पृष्ठ में कम-से-कम क्षेत्रफल प्राप्त करने की प्रवृत्ति होती है, जिनके कारण उसका पृष्ठ सदैव तनाव की स्थिति में रहती है, जिसे पृष्ठ तनाव (Surface tension) कहा जाता हैं।

किसी द्रव का पृष्ठ तनाव वह बल है, जो द्रव के पृष्ठ पर खींची काल्पनिक रेखा की इकाई लंबाई पर रेखा के लंबवत कार्य करता है। पृष्ठ तनाव की इकाई N/m है।

  • पृष्ठ तनाव = बल/लंबाई (N/m)
  • इसका आयाम [M1L0T-2] है।

व्याख्या: वह गुण जिसके कारण द्रव अपने मुक्त पृष्ठीय क्षेत्रफल को कम करने का प्रयास करता है, जिसे पृष्ठीय तनाव कहा जाता है। एक गोलाकार आकृति में, पृष्ठीय क्षेत्रफल न्यूनतम होता है और इस कारण से वर्षा की बूंदें गोलाकार होती हैं।

व्याख्या: पानी की बूँदों के गोल होने का कारण भी पृष्ठ तनाव है। यों तो पानी जिस पात्र में रखा जाता है उसका आकार ले लेता है, पर जब वह स्वतंत्र रूप से गिरता है तो धार जैसा लगता है, क्योंकि गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण जैसे–जैसे उसकी मात्रा धरती की ओर जाती है उसी क्रम में आकार लेती है।

व्याख्या: पानी पर मिट्टी का तेल छिड़क कर मच्छरों के विकास या प्रजनन को रोका जा सकता है, क्योंकि जब हम मिट्टी के तेल का छिड़काव करते हैं तो लार्वा (छोटे मच्छर) को ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद हो जाती है और वे पानी में मर जाते हैं।

व्याख्या: द्रव का स्वतंत्र पृष्ठ सदैव तनाव में रहता है तथा उसमें कम-से-कम क्षेत्रफल प्राप्त करने की प्रवृति होती है। द्रव के पृष्ठ का यह तनाव ही पृष्ठ तनाव कहलाता है। पृष्ठ तनाव के कारण ही पानी से बाहर निकालने पर शेविंग ब्रश के बाल आपस में चिपक जाते हैं।

व्याख्या: एक व्यक्ति पूर्णतः चिकने बर्फ के क्षैतिज समतल के मध्य में विराम स्थिति में है न्युटन के तीसरे नियम का उपयोग करके वह अपने आपको तट तक ला सकता है।

वस्तु के बीच अन्योन्य क्रिया (परस्पर क्रिया) के अध्ययन के आधार पर न्यूटन ने तृतीय नियम का निरुपण किया जिसके अनुसार "प्रत्येक क्रिया की सदैव समान और विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है।" यहाँ क्रिया और प्रतिक्रिया से तात्पर्य बल से है।

व्याख्या: जब डिटर्जेंट को पानी में मिलाया जाता है, तो इससे पानी का पृष्ठ तनाव कम हो जाता है । पानी की सतह के तनाव को कम करने वाले यौगिकों को सर्फेक्टेंट कहा जाता है, जो पानी के अणुओं को एक दूसरे से अलग करके काम करते हैं।

पानी में सभी तरल पदार्थों की तुलना में सबसे अधिक पृष्ठ तनाव होता है। पानी का उच्च पृष्ठ तनाव पानी के अणुओं में हाइड्रोजन बंधन के कारण होता है। पानी में वाष्पीकरण की असाधारण उच्च ऊष्मा भी होती है।

व्याख्या: संवातक (Ventilator) कमरे की छत के निकट लगाए जाते है, क्योंकि कमरे में मौजूद लोगों के श्वसन के कारण कमरे में हवा गर्म हो जाती है। गर्म हवा हल्की होने के कारण ऊपर की ओर चली जाती है और छत के निकट वेंटिलेटर कमरे से इस गर्म हवा को बाहर निकालने में मदद करते हैं और इसका तापमान समान बनाते हैं।

व्याख्या: अपमार्जक रासायनिक रूप से लम्बी हाइड्रोकार्बन युक्त शोधन अभिकर्ता होते हैं। अपमार्जक जल की कठोरता के लिए उत्तरदायी आयनों कैल्सियम एवं मैग्नीशियम के साथ अवक्षेप नहीं देते हैं। अपमार्जक जल के पृष्ठ तनाव को कम कर देते हैं और अपमार्जक मिला जल कपड़े के धागों में सरलतापूर्वक घुस जाता है जिससे कपड़े का तेल एवं गर्द सफलतापूर्वक जल के सहारे अलग हो जाते हैं।


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