यांत्रिकी ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर व्याख्या सहित | Mechanics GK Quiz (Set-3)

यांत्रिकी (Mechanics) से ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ, जो प्रतियोगी परीक्षा जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC के लिए महत्वपूर्ण है।

यांत्रिकी समान्य ज्ञान

व्याख्या: साबुन के बुलबले के अंदर का दाब वायुमण्डलीय दाब से अधिक होता है। साबुन के घोल के बुलबुले के अंदर दाब आधिक्य साबुन के घोल के पृष्ठ तनाव पर तथा साबुन के बुलबुले की त्रिज्या पर निर्भर करता है।

व्याख्या: जैसे-जैसे गुब्बारा वायुमंडल में ऊँचाई की ओर बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे ही वायुमंडल में वायु का दबाव एवं घनत्व क्रमश: कम होते जाते हैं इस प्रकार एक विशेष ऊँचाई पर एक एसी स्थिति आती है जहाँ पर वायु का दबाव एवं घनत्व अत्यंत कम हो जाता है अत: गुब्बारे के आमाप (Size) में वृद्धि होगी।

व्याख्या: वायुमंडल का घनत्व ऊंचाई के साथ बदलता रहता है। यह समुद्र तल पर अधिकतम होता है और जैसे-जैसे हम ऊपर जाते हैं तेजी से घटता जाता है। इसीलिए वायु के घनत्व में इस कमी के कारण पर्वतारोहियों को सांस लेने में समस्या का अनुभव होता है। ऊंचाई पर सांस लेने में सक्षम होने के लिए उन्हें अपने साथ ऑक्सीजन सिलेंडर ले जाना पड़ता है।

व्याख्या: हवा के दबाव में कमी के कारण, हाइड्रोजन से भरा एक गुब्बारा हवा में ऊपर जाने पर फट जाता है। हाइड्रोजन हवा की तुलना में एक हल्की गैस है जो गुब्बारे को हवा में ऊपर उठने में मदद करता है लेकिन जैसे ही यह ऊपर जाता है गुब्बारे के चारों ओर हवा का दबाव कम हो जाता है और गुब्बारा फट जाता है।

व्याख्या: कुकर प्रेशर कुकर में खाना जल्दी पकता है क्योंकि खाना पकने के दौरान बनने वाली भाप इसमें बाहर नहीं निकल पाती है। आंच के कारण जैसे-जैसे पानी का क्वथनांक बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे कुकर के अंदर का दबाव या प्रेशर भी बढ़ता जाता है। यही भाप धीरे-धीरे कुकर में मौजूद खाद्य पदार्थ पर दबाव बढ़ाती जाती है जिससे वो जल्दी पक जाते हैं।

व्याख्या: सूर्य पर ऊर्जा का निर्माण उसके अन्दर होने वाले नाभिकीय संलयन अभिक्रिया से होता है। इस अभिक्रिया में दो नाभिक मिलकर एक नए नाभिक का निर्माण करते है जिसका द्रव्यमान दोनो नाभिकों के द्रव्यमान के योग से कम होता है और ये द्रव्यमान में कमी ऊर्जा में रूपांतरित हो जाती है।

व्याख्या: एक डायनेमो (ग्रीक शब्द डायनामिस से व्युत्पन्न हुआ है; इसका अर्थ है पावर या शक्ति), मूल रूप से विद्युत जनरेटर का दूसरा नाम है। आमतौर पर इसका तात्पर्य एक जनरेटर या जनित्र से होता है जो कम्यूटेटर के उपयोग से दिष्ट धारा (Direct current) उत्पन्न करता है।

व्याख्या: सौर-संचालित फोटोवोल्टिक पैनल सूर्य से प्रकाश के फोटॉन का उपयोग करके सिलिकॉन कोशिकाओं में उत्तेजक इलेक्ट्रॉनों द्वारा सूर्य की किरणों को विद्युत उर्जा में परिवर्तित करते हैं।

  • स्प्रिंग में संकुचित या फैलाव होने पर अधिक स्थितिज ऊर्जा होती है।
  • एक स्टील की गेंद में पृथ्वी पर गिरने के बाद की तुलना में जमीन से ऊपर उठने पर अधिक स्थितिज ऊर्जा होती है।

व्याख्या: जब एक चल वस्तु की वेग दुगुनी हो जाती है तो उसकी गतिज ऊर्जा चौगुनी हो जाती है

  • K = ½m × v2
  • K' = ½m × (2v)2 = ½m × 4v2 = 4(½mv2)

व्याख्या: उर्जा संरक्षण उर्जा संरक्षण का नियम भौतिकी का एक प्रयोगाधारित नियम है। इसके अनुसार किसी अयुक्त निकाय की कुल उर्जा समय के साथ नियत रहती है। अर्थात् उर्जा का न तो निर्माण सम्भव है न ही विनाश; केवल इसका रूप बदला जा सकता है।

व्याख्या: पास्कल का नियम- जब किसी बंद पात्र में रखे द्रव के किसी एक भाग पर संतुलन अवस्था में दाब लगाया जाता है तो बिना क्षय हुए संपूर्ण द्रव का सभी दिशाओं में समान रूप से संचरित हो जाता है। इसे द्रव के दाब का संचरण नियम भी कहते हैं।

पास्कल नियम का उपयोग विभिन्न द्रव चालित मशीनों जैसे द्रविक - प्रेस, रिवेटक, जैक लिफ्ट तथा क्रेन आदि होता है।

व्याख्या: यदि पटरी का कोई बैंकिंग नहीं होता है, तो यह अभिकेन्द्र बल जो पहिये के रिम और रेल के बीच घर्षण से प्राप्त होता है, जो आमतौर पर ट्रेन के पटरी से हटने का कारण बन सकता है। इसलिए रेलवे पटरी को घुमावदार बनाया जाता है, ताकि आवश्यक अभिकेन्द्र बल ट्रेन के क्षैतिज घटक और ट्रेन के वजन से प्राप्त किया जा सकता है।

व्याख्या: यदि कोई साइकिल चालक मुड़ने की दिशा में झुकता है, तो उस पर लगने वाला सामान्य बल अतिरिक्त अभिकेन्द्रीय बल प्रदान करता है । यदि कोई साइकिल चालक मुड़ता नहीं है, तो वह मोड़ की दूसरी दिशा में गिर जाएगा। इसलिए, इस पर काबू पाने के लिए, साइकिल चालक मोड़ के दौरान झुक जाएगा।

व्याख्या: अपकेन्द्रीय बल (Centrifugal Force) वह बल होता है जिसके कारण किसी गतिशील वस्तु में, केंद्र से दूर भागने की प्रवृत्ति होती है। यह वो आभासी बल होता है जो अभिकेन्द्रीय बल के समान तथा विपरीत दिशा में कार्य करता है।

व्याख्या: जन पानी की बाल्टी काफी तेजी से उर्ध्वाधर वृत्त में घुमाई जाती है तब पानी बाल्टी से उसकी उचतम स्थिति से भी नही गिरता है क्यूंकि अपकेन्द्र बल पानी के वजन से अधिक होता है

व्याख्या: भूसमकालिक कक्षा (Geosynchronous orbit या GSO) धरती के चारों ओर स्थित वह दीर्घवृत्ताकार कक्षा है जिसमें घूमने वाले पिण्ड (जैसे, कृत्रिम उपग्रह) का आवर्तकाल 1 दिन (धरती के घूर्णन काल के बराबर = 23 घण्टा, 56 मिनट, 4 सेकेण्ड) होता है।

भूस्थैतिक उपग्रह: यह एक पृथ्वी की परिक्रमा करने वाला उपग्रह है जिसे सीधे भूमध्य रेखा के ऊपर एक निश्चित ऊंचाई पर रखा जाता है। यह पश्चिम से पूर्व की ओर अर्थात पृथ्वी जिस दिशा में घूमती है उसी दिशा में घूमता है।

व्याख्या: शरीर विराम की स्थिति से जड़त्व प्राप्त करता है और गुरुत्वाकर्षण के विपरीत जोर देता है, इसलिए यहां वजन शून्य हो जाता है और हमारा द्रव्यमान हमें भारी लगता है।


Correct Answers:

CLOSE
0/20
Incorrect Answer..!
Correct Answer..!
Previous Post Next Post
If you find any error or want to give any suggestion, please write to us via Feedback form.