यांत्रिकी ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर व्याख्या सहित | Mechanics GK Quiz (Set-1)

यांत्रिकी (Mechanics) से ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ, जो प्रतियोगी परीक्षा जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC के लिए महत्वपूर्ण है।

यांत्रिकी समान्य ज्ञान

व्याख्या: न्यूटन के गति के प्रथम नियम को "जड़त्व का नियम" (Law of Inertia) भी कहा जाता है। इसके अनुसार, "प्रत्येक पिंड तब तक अपनी विरामावस्था अथवा सरल रेखा में एकसमान गति की अवस्था में रहता है, जब तक कोई बाहा बल उसे अन्यथा व्यवहार करने के लिए विवश नहीं करता।"

व्याख्या: वह प्रतिक्रिया बल जो परिमाण में अभिकेंद्रीय बल के बराबर होता है परंतु जिसकी दिशा अभिकेंद्रीय बल के विपरीत (अर्थात केंद्र से बाहर की ओर) होती है, अपकेंद्रीय बल (Centrifugal force) कहलाता है। कपड़ा साफ करने की मशीन, दूध से मक्खन निकालने की मशीन आदि अपकेंद्रीय बल के सिद्धांत पर कार्य करते हैं।

व्याख्या: यदि किसी चली हुई वस्तु के वेग को दो गुना कर दिया जाय तो उसका/उसकी गतिज ऊर्जा चार गुना हो जाती है।

व्याख्या: किसी पिंड का भार (Weight) धरती के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण निर्धारित होता है। जबकि, पिंड का द्रव्यमान (Mass) पिंड में उपस्थित पदार्थ की मात्रा से होता है। अतः पिंड के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकल जाने के बाद उसमें किसी प्रकार का भार नहीं रहता। परंतु पदार्थ तो रहता ही है, इसलिए द्रव्यमान वही रहता है।

व्याख्या: न्यूटन के गति विषयक प्रथम नियम के अनुसार किसी भी स्थिर या गतिशील वस्तु की स्थिति और दिशा में तब तक कोई परिवर्तन नहीं होता जब तक उस पर कोई वाह्य बल सक्रिय न हो।

व्याख्या: जब तक एक पिंड पर असंतुलित बल लगाया जाता है, तब तक इसकी गति में निरंतर परिवर्तन होता रहता है। न्यूटन के गति के दूसरे नियम में कहा गया है कि किसी वस्तु के संवेग के परिवर्तन की दर बल की दिशा में लागू बल के समानुपाती होती है। F = ma, जहाँ F लागू बल, m पिंड का द्रव्यमान, और a उत्पादित त्वरण है।

व्याख्या: तृतीय नियम का अर्थ है कि किसी बल के संगत एक और बल है जो उसके समान और विपरीत है। न्यूटन ने इस नियम को इस्तेमाल करके संवेग संरक्षण के नियम का वर्णन किया, लेकिन असल में संवेग संरक्षण एक अधिक मूलभूत सिद्धांत है। कई उदहारण हैं जिनमें संवेग संरक्षित होता है लेकिन तृतीय नियम मान्य नहीं है।

व्याख्या: जल मे तैरना न्यूटन की गति के तृतीय नियम के कारण सम्भव है। यह सोचना ज़रूरी है कि क्रिया और प्रतिक्रिया हर समय दो अलग वस्तुओं पर लागू होती है। गति का तृतीय नियम यह इंगित करता है की जब एक वस्तु किसी दुसरे वास्तु पर बल का प्रयोग करता है, तत्क्षण ही वह दूसरा वस्तु पहले वस्तु पर वापस बल लगाता है।

व्याख्या: बल, किसी निकाय पर लगाने के बाद होने वाली अंत: क्रिया जो निकाय की विराम अवस्था या गति की अवस्था को बदलती है अथवा बदलने की कोशिश करती है बल कहलाती है। बल की परिभाषा न्यूटन के गति का पहला नियम से बताई जा सकती है।

    भौतिकी में, बल एक सदिश राशि है जिससे किसी पिण्ड का वेग बदल सकता है।
  • न्यूटन के गति के द्वितीय नियम के अनुसार, बल संवेग परिवर्तन की दर के अनुपाती है।
  • बल से त्रिविम पिण्ड का विरूपण या घूर्णन भी हो सकता है, या दाब में बदलाव हो सकता है।
  • जब बल से कोणीय वेग में बदलाव होता है, उसे बल आघूर्ण कहा जाता है।

व्याख्या: जड़त्व के कारण ही पिंड अपनी अवस्था परिवर्तन का विरोध करता है। स्थिर है तो स्थिर रहना चाहता है, यदि गतिमान है तो गतिमान। यह सिद्धांत न्यूटन ने दिया था। वस्तु का द्रव्यमान जितना अधिक होगा, उसकी अवस्था में परिवर्तन के लिए उतना ही अधिक बल लगाना पड़ेगा। अत: किसी वस्तु का द्रव्यमान ही उसके जड़त्व की माप है।

व्याख्या: कोई वस्तु विराम की अवस्था में है, तो वह विराम की अवस्था में ही रहेगी और यदि वह एक समान गति से किसी सीढ़ी रेखा में चल रही है, तो वैसे ही चलती रहेगी जब तक कि उस पर कोई बाहरी बल लगाकर उसकी अवस्था में परिवर्तन न किया जाए। अर्थात सभी वस्तुएं अपनी प्रारंभिक अवस्था को बनाए रखना चाहती है। इसलिए न्यूटन के प्रथम नियम को 'जड़त्व का नियम' भी कहा जाता है।

बल वह बाह्य कारक है, जिसके द्वारा किसी वस्तु की विराम अथवा गति की अवस्था में परिवर्तन किया जाता है। अत: न्यूटन की गति का प्रथम नियम बल की परिभाषा (Definition of force) देता है।

व्याख्या: गाड़ी खींचता हुआ घोड़ापृथ्वी द्वारा घोड़े के पैरों पर आरोपित बल के कारण आगे बढ़ता है।

व्याख्या: रॉकेट एक प्रकार का वाहन है जिसके उड़ने का सिद्धान्त न्यूटन के गति के तीसरे नियम क्रिया तथा बराबर एवं विपरीत प्रतिक्रिया पर आधारित है। तेज गति से गर्म वायु को पीछे की ओर फेंकने पर रॉकेट को आगे की दिशा में समान अनुपात का बल मिलता है।

व्याख्या: अश्व, यदि एकाएक चलना प्रारंभ कर दे, तो अश्वारोही के गिरने की आशंका का कारण विश्राम जड़त्व होता है, क्योकि एकाएक चलने के कारण अश्वारोही के शरीर के ऊपर का भाग जो स्वतंत्र होता है, पीछे गिर सकता है, क्योंकि अश्वारोही के शरीर का उर्ध्व भाग विराम के जड़त्व के कारण विराम अवस्था में बना रहना चाहता है।

व्याख्या: क्रिकेट के खेल में तेजी से आती हुई गेंद को पकड़ते समय खिलाड़ी अपने हाथ को पीछे की ओर खींचता है, क्योंकि ऐसा करने से समयान्तराल का मान बढ़ जाता है। जिससे बल का मान कम हो जाता है। फलस्वरूप जिससे हाथ को कम चोट लगती है।

व्याख्या: न्यूटन के दूसरे नियम से, किसी पिण्ड के संवेग परिवर्तन की दर आरोपित बल के समानुपाती होती है तथा बल की दिशा में घटित होता है। जो यह दर्शाता है कि बल (F), द्रव्यमान (m) तथा त्वरण (a) के गुणनफल के समानुपातिक होता है।

व्याख्या: ध्रुवों पर पृथ्वी की त्रिज्या भूमध्य रेखा से कम होती है इसलिए जैसे ही हम भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाते हैं, g का मान बढ़ता है। जब हम भूमध्य रेखा से ध्रुवों तक जाते हैं, तब घूर्णन का प्रभाव कम हो जाता है और ध्रुव पर शून्य हो जाता है, इसलिए g का मान बढ़ जाता है।

व्याख्या: बर्फ जमने की प्रक्रिया के दौरान जल का घनत्व घटेगा और जल के आयतन में वृद्धि होगी।


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