नाभिकीय भौतिकी ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर व्याख्या सहित | Nuclear Physics GK Quiz (Set-1)

नाभिकीय भौतिकी (Nuclear Physics) से ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ, जो प्रतियोगी परीक्षा जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC के लिए महत्वपूर्ण है।

नाभिकीय भौतिकी समान्य ज्ञान

व्याख्या: परमाणु किसी तत्व का सबसे छोटा कण है जिसे सरल पदार्थों या छोटे कणों में विभाजित नहीं किया जा सकता है। सभी परमाणु तीन अलग-अलग उप-परमाणु कणों, इलेक्ट्रॉनों, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से बने होते हैं।

  • परमाणु नाभिक में विद्युतीय रूप से धनात्मक प्रोटॉन और विद्युत रूप से तटस्थ न्यूट्रॉन होते हैं।
  • प्रोटॉन धनात्मक रूप से आवेशित होते हैं, जबकि न्यूट्रॉन उदासीन होते हैं।
  • इलेक्ट्रॉन ऋणात्मक रूप से आवेशित कण होते हैं जो समान्यतः एक परमाणु के नाभिक की परिक्रमा करते हैं।
  • इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन या न्यूट्रॉन से बहुत छोटे होते हैं।

व्याख्या: न्यूट्रॉन की खोज ब्रिटिश भौतिक वैज्ञानिक जेम्स चैडविक ने 1932 में की थी। न्यूट्रॉन एक आवेश रहित मूलभूत कण है, जो परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन के साथ पाये जाते हैं।

  • न्यूट्रॉन 'n से दर्शाया जाता है।
  • न्यूट्रॉन एक उपपरमाण्विक कण है जो की सभी प्रकार के पदार्थों के परमाणु के नाभिक में पाया जाता है।
  • इलेक्ट्रॉन की खोज जे.जे. थॉमसन ने 1897 में की थी।
  • प्रोटोन की खोज ई. रदरफोर्ड ने 1909 में की थी।

व्याख्या: न्यूट्रान की खोज वर्ष 1932 में चैडविक ने की थी। उन्होंने पता लगाया कि बेरेलियम (Be) तथा अन्य परमाणुओं पर यदि तीव्र गति वाले कण की बम वर्षा (bombardment) की जाए तब उसमें से विद्युत उदासीन कण निकलते हैं, जिन्हें 'न्यूट्रान' (neutron) कहते हैं।

व्याख्या: हिलियम के परमाणु में दो प्रोटॉन होते हैं इसलिए उसका परमाणु क्रमांक भी 2 है। इसके अलावा इस परमाणु में दो न्यूट्रॉन भी होते हैं जिसके कारण इसकी द्रव्यमान संख्या 4 होती है (दो प्रोटॉन और दो न्यूट्रॉन)

व्याख्या: नाभिक का व्यास 10-15 मीटर की कोटि का होता है। नाभिक के चारो ओर इलेक्ट्रान निश्चित कक्षाओं मे घूमते रहते हैं जिनका कुल ऋण आवेश, नाभिक के धन आवेश के बराबर होता है। पूरा परमाणु सामान्य अवस्था मे आवेशरहित होता है। परमाणु की त्रिज्या लगभग 10-10 m होती है

व्याख्या: इसका द्रव्यमान इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान के समान होता है, किंतु दोनो में अंतर यह है कि इलेक्ट्रॉन ऋण आवेश युक्त कण है तथा पॉजिट्रॉन धन आवेश युक्त कण है। इसकी खोज सन 1932 में कार्ल डी एंडरसन ने की थी।

व्याख्या: हाइड्रोजन का परमाणु क्रमांक 1 है। अत: इसमें प्रोटानों की संख्या 1 होगी। हाइड्रोजन परमाणु रासायनिक तत्व हाइड्रोजन का एक परमाणु है। विद्युत तटस्थ परमाणु में एक सकारात्मक चार्ज प्रोटॉन होता है और एक एकल नकारात्मक आरोप लगाया इलेक्ट्रॉन जो कूल्ब बल द्वारा नाभिक के लिए बाध्य है।

व्याख्या: जे थोमसन द्वारा 1897 इलेक्ट्रॉन की खोज के बाद इलेक्ट्रॉन को प्राथमिक कण माना जाने लगा और बताया गया की यह सबसे छोटा कण है , बाद प्रयोगों से पता चला की परमाणु केवल इलेक्ट्रॉन्स से ही नही बना होता इसमें नाभिक भी होता है। रदरफोर्ड ने 1911 में नाभिक की खोज की और बताया की परमाणु में इलेक्ट्रान के अलावा नाभिक भी होता है।

व्याख्या: किसी तत्व का परमाणु क्रमांक उसके तत्व के नाभिक में स्थित प्रोटॉनों की संख्या के बराबर होता है। इसे Z प्रतीक से प्रदर्शित किया जाता है। किसी आवेशरहित परमाणु पर एलेक्ट्रॉनों की संख्या भी परमाणु क्रमांक के बराबर होती है।

व्याख्या: न्यूट्रॉन परमाणु के केन्द्र में एक घने केन्द्रक में पाए जाते हैं जबकि इलेक्ट्रॉन इस केन्द्रक के आसपास चक्कर काटते रहते हैं। प्रोटॉन और न्यूट्रॉन चूँकि नाभिक में पाए जाते हैं इसलिए इन्हें नाभिकीय कण (न्यूक्लिऑन) भी कहते हैं।

व्याख्या: इलेक्ट्रॉन, एक यूनिट ऋणावेश वहन करता है। प्रोटॉन, एक यूनिट धनावेश वहन करता है। हीलियम परमाणु का नाभिक दो यूनिट धनावेश वहन करता है।

व्याख्या: वे परमाणु जिनमें प्रोटॉन की संख्या समान लेकिन न्यूट्रॉन की संख्या भिन्न-भिन्न होती है, समस्थानिक (Isotope) कहलाते हैं। क्योंकि किसी दिए गए तत्व के लिए न्यूट्रॉन की संख्या भिन्न हो सकती है, किसी तत्व के विभिन्न परमाणुओं की द्रव्यमान संख्या भी भिन्न हो सकती है।

व्याख्या: समस्थानिक एक ही तत्व के परमाणु जिनकी परमाणु संख्या समान होती हैं, परन्तु भार अलग-अलग होता है, उन्हें समस्थानिक कहा जाता है। इनमें प्रत्येक परमाणु में समान प्रोटोन होते हैं। जबकि न्यूट्रॉन की संख्या अलग अलग रहती है।

व्याख्या: किसी भी तत्व के आइसोटोप्स के अणु-केन्द्रक में न्यूट्रांस की संख्या भिन्न होती है तथा प्रोटोन्स की संख्या समान होती है।

व्याख्या: भिन्न-भिन्न तत्वों के वे परमाणु जिनके परमाणु क्रमांक भिन्न-भिन्न परन्तु द्रव्यमान संख्या समान होती है, समभारिक कहलाते हैं। समभारिकों में प्रोटॉनों की संख्यायें भिन्न-भिन्न होती हैं परन्तु न्यूट्रॉनों व प्रोटॉनों की संख्याओं का योग समान होता है। कार्बन तथा नाइट्रोजन की द्रव्यमान संख्या एक ही 14 हैं। अतः ये दोनों तत्त्व समभारिक हैं। इसी प्रकर ऑर्गन की द्रव्यमान संख्या 40 और कैल्सियम की द्रव्यमान संख्या भी 40 होने के कारण दोनों ही युग्म समभारिक हैं।

व्याख्या: वह प्रक्रिया जिसमे एक भारी नाभिक दो लगभग बराबर नाभिकों में टूट जाता हैं विखण्डन (fission) कहलाती हैं। इसी अभिक्रिया के आधार पर बहुत से परमाणु रिएक्टर या परमाणु भट्ठियाँ बनायी गयीं हैं जो विद्युत उर्जा का उत्पादन करतीं हैं।

व्याख्या: नाभिकीय विखंडन - जब युरेनियम-235 पर मंद गति के न्यूट्राननो की बमबारी की जाती है तो इसका भारी नाभिक विभक्त हो जाता है और साथ ही बहुत अधिक उर्जा उत्सर्जित होती है। इस अभिक्रिया को नाभिकीय विखंडन कहते हैं। परमाणु बम अनियंत्रित नाभिकीय विखंडन अभिक्रिया पर आधारित है।

प्रथम परमाणु बम 1945 में बनाया गया था। जिसका विस्फोट द्वितीय विश्व युद्ध में 6 अगस्त 1945 को जापान के हीरोशिमा और दूसरा विस्फोट 9 अगस्त 1945 को नागासाकी पर किया गया था।

व्याख्या: हाइड्रोजन बम का निर्माण एडवर्ड टेलर ने किया। इस बम का आविष्कार अमेरिकी वैज्ञानिकों द्वारा 1952 में किया गया था। यह बम नाभिकीय संलयन की प्रक्रिया पर आधारित है।

व्याख्या: परमाणु भट्ठी या 'न्यूक्लियर रिएक्टर' (nuclear reactor) वह युक्ति है जिसके अन्दर नाभिकीय शृंखला अभिक्रियाएँ (nuclear chain reaction) आरम्भ की जाती हैं तथा उन्हें नियंत्रित करते हुए जारी रखा जाता है।

प्रथम नाभिकीय रिएक्टर वैज्ञानिक एनरीको फर्मी के निर्देशन में अमेरिका के शिकागो विश्वविद्यालय में सन 1942 में बनाया गया था। नाभिकीय रिएक्टर में विखंडन की श्रृंखला अभिक्रिया को नियंत्रित रखने के लिए कैडमियम या बोरोन की लम्बी छड़ों का उपयोग किया जाता है।

व्याख्या: रेडियोधर्मी पदार्थ से अल्फ़ा, बीटा तथा गामा किरणों का उत्सर्जन होता है। किसी रेडियोएक्टिव तत्व के नाभिक से एक अल्फ़ा कण के निकलने पर उसके परमाणु क्रमांक में 2 एवं परमाणु भार में 4 की कमी हो जाती है। एक बीटा कण के निष्कासन पर परमाणु क्रमांक में 1 की वृद्धि हो जाती है, परमाणु भार में कोई परिवर्तन नहीं होता है। गामा कणों के निकलने पर तत्व के परमाणु भार एवं परमाणु क्रमांक में कोई परिवर्तन नहीं होता है।


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