चुंबकत्व ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर व्याख्या सहित | Magnetism GK Quiz (Set-2)

चुंबकत्व (Magnetism) से ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ, जो प्रतियोगी परीक्षा जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC के लिए महत्वपूर्ण है।

चुंबकत्व समान्य ज्ञान

व्याख्या: जो द्रव्य चुम्बक से आकर्षित होता हो और जिन्हें चुम्बकित किया जा सकता है उन्हें लौह चुम्बकीय द्रव्य कहा जाता है। लोहा, कोबाल्ट, इस्पात, निकेलअ उर इसकी मिस्रधातु आदि लौह चुम्बकीय द्रव्य है। एल्युमिनियम एक अचुम्बकीय पदार्थ है यह चुम्बक द्वारा आकर्षित नहीं होता है।

व्याख्या: प्रतिचुम्बकीय पदार्थ वे हैं जिनमें बाहर से आरोपित चुम्बकीय क्षेत्र के उल्टी दिशा में चुम्बकीय क्षेत्र प्रेरित होता है।

बिस्मथ प्रति चुम्बकीय है। बिस्मथ एक रासायनिक तत्व है। अपने समूह में सबसे बड़ा तत्व तथा परमाणु आकार बड़ा होने के कारण इस इसकी नाभिक से दूरी बढ़ जाती है जिसके कारण नाभिक और बाह इलेक्ट्रानों के लिये आकर्षण बल कम हो जाता है 15 में वर्ग में यह एक ऐसा तत्व है जो अपररूपता प्रदर्शित नहीं करता है तथा यह उन तत्वों की अपेक्षा अशुद्धि चमकदार होता है

व्याख्या: एक शक्तिशाली चुम्बक केवल लोहा एवं उसकी मिश्रधातुओं को आकर्षित करता है किन्तु किसी को प्रतिकर्षित नही करता है।

व्याख्या: मुक्त रूप से अपने गुरुत्व केंद्र पर आलम्बित चुम्बकीय सुई क्षैतिज के साथ जो कोण बनाती है उसे नमन कोण कहते है।किसी स्थान पर नमन कोण उस स्थान के चुम्बकीय बल क्षेत्र की दिशा और क्षैतिज दिशा के बीच का कोण होता है। पृथ्वी के चुम्बकीय ध्रुव पर नमन कोण 90° होता है और विषुवत रेखा पर यह शून्य होता है। पृथ्वी के पृष्ठ पर शून्य नमन कोण वाले स्थानों से होकर गुजरने वाली रेखा को चुम्बकीय विषुवत रेखा कहते हैं। नमन कोण का निर्धारण नतिमापी से होता है।

व्याख्या: विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव की खोज हंस क्रिश्चियन ओर्स्टेड ने 1820 में की थी। ओर्स्टेड ने अपने परिणामों को एक पुस्तिका में प्रकाशित किया, जिसे निजी तौर पर भौतिकविदों और वैज्ञानिक समाजों में वितरित किया गया था। उनके परिणाम मुख्यतः गुणात्मक थे, लेकिन प्रभाव स्पष्ट था- विद्युत धारा एक चुंबकीय शक्ति उत्पन्न करती है।

जब किसी चालक में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो उसके चारों ओर एक चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। इस घटना को विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव कहा जाता है। इसका उपयोग विद्युत मोटर, विद्युत घंटी, टेलीफोन आदि में किया जाता है। इसमें विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है।

व्याख्या: पृथ्वी के चुम्बकीय ध्रुव पर नमन कोण 90° होता है और विषुवत रेखा पर यह शून्य होता है। पृथ्वी के पृष्ठ पर शून्य नमन कोण वाले स्थानों से होकर गुजरने वाली रेखा को चुम्बकीय विषुवत रेखा कहते हैं।नमन कोण का निर्धारण नातिमापी से होता है।

व्याख्या: मुक्त रूप से लटकी चुम्बकीय सुई अक्ष भौगोलिक अक्ष के साथ 18° का कोण बनाता है।

व्याख्या: कोई भी चुंबक सदैव उत्तर-दक्षिण दिशा में ही ठहरता है। उसका उत्तरी ध्रुव उत्तर की ओर तथा दक्षिण ध्रुव दक्षिण की ओर होता है। इस प्रकार भौगोलिक ओर चुंबकीय दिशाओं के संदर्भ में एक स्थिर चुंबक हमेशा उत्तर-उत्तर तथा दक्षिण-दक्षिण दिशा दर्शाता है।

व्याख्या: चुंबकीय क्षेत्र शक्ति और चुंबकीय फ्लक्स घनत्व सीधे एक दूसरे से संबंधित हैं। इस संबंध को सूत्र B = μH के माध्यम से व्यक्त किया जा सकता है। जहां, μ सापेक्ष पारगम्यता है।

व्याख्या: किसी अवांछित चुम्बकीय क्षेत्र को कम करना या समाप्त करना विचुम्बकन कहलाता है। चुम्बकीय शैथिल्य के कारण चुम्बकीय क्षेत्र का मान बिलकुल शून्य कर देना प्रायः सम्भव नहीं होता है। इसलिये विचुम्बकन के द्वारा अधिशेष चुम्बकीय क्षेत्र को बहुत कम 'ज्ञात' क्षेत्र तक कम कर दिया जाता है।

व्याख्या: चुम्बकीय सुई एक छोटा चुम्बक होता है। इसका जो सिरा उत्तर की ओर संकेत करता है, उसे उत्तर ध्रुव और जो दक्षिण की ओर संकेत करता है, उसे दक्षिण ध्रुव कहते हैं। सजातीय ध्रुव एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं, जबकि विजातीय ध्रुव एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं।

व्याख्या: फ्लेमिंग वामहस्त नियम या फ्लेमिंग के बायें हाथ का नियम (Fleming's left hand rule) एक स्मृतिसहायक विधि है जो चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित किसी धारावाही चालक पर लगने वाले चुम्बकीय बल की दिशा बताने के लिये प्रयोग किया जाता है। यदि तर्जनी क्षेत्र की दिशा दर्शाती है और मध्यमिका धारा की दिशा, तो अंगूठा बल की दिशा। इसका आविष्कार जॉन एम्ब्रोस फ्लेमिंग ने किया था। इसका उपयोग विद्युत मोटर्स के लिए किया जाता है।

व्याख्या: विद्युत जनित्र (ईलेक्ट्रिक जनरेटर) एक ऐसी युक्ति है जो यांत्रिक उर्जा को विद्युत उर्जा में बदलने के काम आती है। इसके लिये यह प्रायः माईकल फैराडे के विद्युतचुम्बकीय प्रेरण (Electromagnetic Induction) के सिद्धान्त का प्रयोग करती है। विद्युत मोटर, इसके विपरीत विद्युत उर्जा को यांत्रिक उर्जा में बदलने का कार्य करती है। विद्युत मोटर एवं विद्युत जनित्र में बहुत कुछ समान होता है और कई बार एक ही मशीन बिना किसी परिवर्तन के दोनो की तरह कार्य कर सकती है।

व्याख्या: डायनेमो या विद्युत जनित्र की खोज माइकल फैराडे ने की थी। डायनेमो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है। इसका सिद्धांत विद्युत चुम्बकीय प्रेरण पर आधारित है।

यह परिघटना जिसमें चुंबकीय क्षेत्र विद्युत वाहक बल (emf) को प्रेरित करता है, विद्युत चुंबकीय प्रेरण कहलाती है।

व्याख्या: नरम लोहा ट्रांसफार्मर के कोर के लिए सर्वोत्तम सामग्री प्रदान करता है क्योंकि इसकी पारगम्यता (μ) बहुत अधिक होती है। इसका हिस्टैरिसीस वक्र छोटे क्षेत्रफल का होता है तथा इसकी निरोधी क्षमता बहुत कम होती है।

व्याख्या: विद्युतचुम्बकीय प्रेरण समय के साथ परिवर्तित होने वाले चुम्बकीय क्षेत्र में रखे किसी परिपथ (जैसे कोई कुंडली) में प्रेरित विद्युतधारा की परिघटना है। चुम्बकीय क्षेत्र कुंडली तथा कुंडली के पास रखे चुम्बक के बीच आपेक्षिक गति के कारण परिवर्तित हो सकता है।

विद्युतवाही चालक भी चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है जो इसमें प्रवाहित होने वाली विद्युतधारा में परिवर्तन के साथ परिवर्तित होता है। इसलिए यदि कोई कुंडली किसी धारावाही चालक के निकट रखी जाए तो धारावाही चालक में प्रवाहित होने वाली विद्युतधारा में परिवर्तन के कारण कुंडली में प्रेरित विद्युतधारा उत्पन्न होती है।

व्याख्या: परिवर्तक (ट्रांसफार्मर) एक ऐसा यंत्र है जो विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है। इसका मुख्य कार्य प्रत्यावर्ती वोल्टेज (AC) को घटाने या बढ़ाने का होता है।

व्याख्या: लेंज का नियम (Lenz's law) के अनुसार: 'प्रेरित धारा की दिशा सदा ऐसी होती है जो उस कारण का विरोध करती है जिससे वह स्वयं उत्पन्न होती है।' इस नियम का प्रतिपादन सन् 1833 में हिनरिक लेंज (Heinrich Lenz) ने किया था।

व्याख्या: सामान्यत: किसी चुम्बक के दो ध्रुव होते हैं - उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव। तीसरा ध्रुव इन दो ध्रुवों का परिणामी ध्रुव होता है।

व्याख्या: पृथ्वी एक बहुत बड़ा चुम्बक है इसका चुम्बकीय क्षेत्र दक्षिण से उत्तर दिशा में विस्तृत होता है।

व्याख्या: पृथ्वी के परिणामी चुंबकीय क्षेत्र अर्थात ऊर्ध्वाधर दिशा और क्षैतिज के बीच बनने वाले कोण को नमन या नति कोण कहा जाता है। पृथ्वी के चुम्बकीय ध्रुव पर नमन कोण 90° होता है और विषुवत रेखा पर यह शून्य होता है।

व्याख्या: चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के गुण हैं: चुंबक के विशिष्ट गुणों में से एक उसकी चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं हैं। रेखाएँ उत्तरी ध्रुव से चुम्बक से निकलती हुई प्रतीत होती हैं। रेखाएँ दक्षिणी ध्रुव से चुंबक की ओर बढ़ती हुई प्रतीत होती हैं। ये चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं कभी भी एक-दूसरे को नहीं काटतीं। प्रत्येक बिंदु पर स्पर्शरेखा उस बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा बताती है।

चुंबक के अंदर, रेखाएँ दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव तक जाती हैं। चुंबक के बाहर, रेखाएँ उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव तक जाती हैं। इसलिए, चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं हमेशा एक बंद लूप में दिखाई देती हैं।

किसी क्षेत्र में मौजूद चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं का घनत्व उस बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की शक्ति बताता है। इसलिए, एक समान चुंबकीय क्षेत्र में, चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं समान दूरी पर और एक दूसरे के समानांतर होती हैं।


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