ध्वनि तरंग ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर व्याख्या सहित | Sound wave GK Quiz (Set-1)

ध्वनि तरंग (Sound wave) से ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ, जो प्रतियोगी परीक्षा जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC के लिए महत्वपूर्ण है।

ध्वनि तरंग समान्य ज्ञान

व्याख्या: ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्ध्य इसलिए होती है क्योंकि इन तरंगों में माध्यम के कणों का विस्थापन विक्षोभ के संचरण की दिशा के समांतर होता है। कण एक स्थान से दूसरे स्थान तक गति नहीं करते बल्कि अपनी विराम अवस्था से आगे पीछे दोलन करते हैं। क्योंकि ध्वनि तरंगें इसी प्रकार संचारित होती हैं।

व्याख्या: ध्वनि की चाल उस माध्यम की प्रकृति पर निर्भर करती है, जिसमें होकर वह गुजरती है। ध्वनि की चाल भिन्न-भिन्न माध्यमों में भिन्‍न-भिन्‍न होती है। गैसों में ध्वनि अत्यंत धीमी गति से, द्रवों में तीव्र गति से और ठोसों में तीव्रतमम गति से गमन करती है। ध्वनि निर्वात में गमन नहीं कर सकती। ध्वनि वायु की अपेक्षा स्टील में लगभग 15 गुना तीव्र गति से गमन कर सकती है। स्पष्ट है कि ध्वनि का वेग इस्पात में अधिकतम होगा।

व्याख्या: अवश्रव्य तरंगें (Infrasonic waves) : 20Hz से नीचे से आवृत्ति वाली ध्वनि तरंगों को अवश्रव्य तरंगें कहते हैं। इसे हमारा कान नहीं सुन सकता है।

व्याख्या: पराश्रव्य (Ultrasound) शब्द उन ध्वनि तरंगों के लिए उपयोग में लाया जाता है जिसकी आवृत्ति इतनी अधिक होती है कि वह मनुष्य के कानों को सुनाई नहीं देती। इसका दूसरा नाम सोनोग्राफी है। पराश्रव्य ध्वनि की आवृत्ति 20000Hz से अधिक होती है। पराध्वनि ध्वनि तरंगें होती हैं, जिनकी आवृत्ति श्रव्य आवृत्ति से अधिक होती है।

  • साधारणतया मानव श्रवणशक्ति का परास 20 से लेकर 20,000 कंपन प्रति सेकंड तक होता है।

व्याख्या: ध्वनि की गति, माध्यम के घनत्व एवं प्रत्यास्थता पर निर्भर करता है। जिस माध्यम का घनत्व एवं प्रत्यास्थता अधिक होती है, उसमें ध्वनि की गति अधिक होती है। 20 डिग्री के तापक्रम पर लोहे में ध्वनि की गति अधिकतम होगी।

व्याख्या: ध्वनि तरंगों के संचरण के लिए किसी न किसी माध्यम की आवश्यकता होती है। ध्वनि तरंगें ठोस, द्रव तथा गैस तीनों माध्यम में चल सकती हैं। ध्वनि तरंगों का वेग ठोसों में अधिकतम, द्रवों में उससे कम तथा गैसों में न्यूनतम होता है।

व्याख्या: ध्वनि तरंगें यांत्रिक तरंगें कहलाती हैं, क्योकि उनके संचरण के लिए द्रव्यात्मक माध्यम (ठोस, द्रव या गैस/वायु) की आवश्यकता होती है। वायु या गैस में ध्वनि तरंग अनुदैर्ध्य होती है, क्योंकि इस माध्यम के घटक तरंग की गति की दिशा के अनुदिश दोलन करते हैं।

अनुदैर्घ्य तरंगे वे तरंगें हैं जिनमें माध्यम के कणों का विस्थापन तरंग की गति की दिशा या उसके विपरीत दिशा में ही होता है। यांत्रिक अनुदैर्घ्य तरंगों को 'संपीडन तरंगें' भी कहते हैं क्योंकि इन तरंगों के संचरण के कारण माध्यम के अन्दर संपीडन और विरलन का निर्माण होता है।

व्याख्या: ध्वनि के संचरण के लिए किसी न किसी माध्यम की आवश्यकता होती है। निर्वात में माध्यम की अनुपस्थिति के कारण ध्वनि तरंगें संचरण नहीं कर पाती हैं।

व्याख्या: ध्वनि का तारत्व (Pitch) आवृत्ति पर निर्भर करता है जबकि ध्वनि की प्रबलता (Loudness) ध्वनि तरंगों के आयाम पर आधारित होती है।

व्याख्या: ध्वनि एक स्थान से दूसरे स्थान तक तरंगों के रूप में गमन करती है। ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य यांत्रिक तरंगें होती हैं। जब ध्वनि एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाती है, तो ध्वनि की चाल तथा तरंगदैर्ध्य बदल जाती है, जबकि आवृत्ति नहीं बदलती है।

व्याख्या: श्रव्य (sonic) 20 Hz से 20 kHz, के बीच की आवृत्तियों वाली ध्वनि सामान्य मानव को सुनाई देती है। अतिध्वनिक (Hypersonic) 1 GHz से अधिक आवृत्ति की ध्वनि किसी माध्यम में केवल आंशिक रूप से ही संचरित (प्रोपेगेट) हो पाती है।

व्याख्या: ध्वनि तरंगों के संचरण के लिए द्रव्यात्मक माध्यम का होना आवश्यक है, परंतु चन्द्रमा पर वायुमंडल नहीं होने के कारण वहां द्रव्यात्मक माध्यम नहीं है, इसलिए चन्द्रमा पर ध्वनि तरंगों का संचरण नहीं हो पाता। फलत: चन्द्रमा के धरातल पर दो व्यक्ति एक-दूसरे की बात को नहीं सुन सकते हैं।

व्याख्या: चमगादड़ उड़टे समय पराध्वनि तरंगों को उत्पन्न करते है। यह तरंगे जब किसी वस्तु से टकराती है तो इन वस्तुओं से परावर्तित होकर पुन: चमगादड़ द्वारा ग्रहण कर ली जाती है जिससे उसे सामने अवरोध का पता चल जता है तथा वह इनसे अपने रक्षा करता हुआ रात्रि में उड़ता है।

व्याख्या: हृदय अपश्रव्य आवृत्ति पर कंपन करता है, जिसे सुनने के लिए स्टेथेस्कोप का प्रयोग किया जाता है। ध्वनि की गति ठोस में सर्वाधिक होती है। मैक संख्या सामान्यतः: किसी पिण्ड की गति को वर्णित करने हेतु प्रयुक्त की जाती है, जब वह पिण्ड ध्वनि की गति या उससे अधिक गति से विचरण कर रहा हो। पराश्रव्य ध्वनि की आवृत्ति 20,000 हर्ट्ज से अधिक होती है।

व्याख्या: ध्वनि की प्रबलता को डेसीबल (dB) में मापा जाता है। ध्वनि की प्रबलता ध्वनि तरंगों की तीव्रता से निर्धारित होती है। तीव्रता ध्वनि तरंगों में ऊर्जा की मात्रा का मापन है। डेसीबल (dB) माप की सहायक इकाई बेल का दसवां हिस्सा है।

प्रति इकाई समय में माध्यम के किसी दिए गए क्षेत्र से स्थानांतरित होने वाली ऊर्जा की मात्रा को ध्वनि तरंग की तीव्रता के रूप में जाना जाता है। माध्यम के कणों के कंपन का आयाम जितना अधिक होगा, इसके माध्यम से ऊर्जा के परिवहन की दर उतनी ही अधिक होगी, और ध्वनि तरंग उतनी ही अधिक तीव्र होगी।

व्याख्या: ध्वनि तरंगें हवा की तुलना में स्टील के माध्यम से 17 गुना तेजी से यात्रा करती हैं। स्टील में ध्वनि की सटीक गति 5,960 मीटर प्रति सेकंड (13,332 मील प्रति घंटे) है!

व्याख्या: वास्तव में हवा में प्रवाहित विद्युत-धारा से बहुत अधिक गरमी पैदा होती है। हवा में गरमी आने से यह अत्याधिक तेजी से फैलती है और इसके लाखों करोड़ अणु आपस में टकराते हैं। इन अणुओं के आपस में टकराने से ही गरज की आवाज उत्पन्न होती है। प्रकाश की गति अधिक होने से बिजली की चमक हमें पहले दिखाई देती है। ध्वनि की गति प्रकाश की गति से कम होने के कारण बादलों की गरज हम तक देर से पहुँचती है।

व्याख्या: किसी माध्यम (हवा, जल , लोहा) में ध्वनि प्रति सेकेण्ड में जितनी दूरी तय करती है उसे उस माध्यम में ध्वनि की चाल कहते है। वायु में ध्वनि की चाल लगभग 332 मीटर प्रति सेकेण्ड है। ठोस में ध्वनि की चाल सबसे अधिक तथा निर्वात में सबसे कम चाल होती है। वायु की आर्द्रता बढ़ने से उसमें ध्वनि का वेग बढ़ जाता है। ध्वनि के बेग पर दाब का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। ध्वनि की तीव्रता मापने की इकाई डेसीबल है।

व्याख्या: किसी माध्यम (हवा, जल , लोहा) में ध्वनि प्रति सेकेण्ड में जितनी दूरी तय करती है उसे उस माध्यम में ध्वनि की चाल कहते है। वायु में ध्वनि की चाल लगभग 332 मीटर प्रति सेकेण्ड है। ठोस में ध्वनि की चाल सबसे अधिक तथा निर्वात में सबसे कम चाल होती है।


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