ध्वनि तरंग ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर व्याख्या सहित | Sound wave GK Quiz (Set-2)

ध्वनि तरंग (Sound wave) से ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ, जो प्रतियोगी परीक्षा जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC के लिए महत्वपूर्ण है।

ध्वनि तरंग समान्य ज्ञान

व्याख्या: किसी माध्यम (हवा, जल , लोहा) में ध्वनि प्रति सेकेण्ड में जितनी दूरी तय करती है उसे उस माध्यम में ध्वनि की चाल कहते है। वायु में ध्वनि की चाल लगभग 332 मीटर प्रति सेकेण्ड है। ठोस में ध्वनि की चाल सबसे अधिक तथा निर्वात में कोई वायुमंडल नहीं होता है इसलिए निर्वात में कोई माध्यम उपलब्ध नहीं होता है। अतः निर्वात में ध्वनि की चाल शून्य के बराबर होती है।

व्याख्या: स्थिर तापमान पर दाब, ध्वनि का वेग दाब पर निर्भर नहीं करता है। माध्यम के तापमान में वृद्धि से ध्वनि का वेग बढ़ जाता है। इसलिए, ध्वनि का वेग आर्द्रता पर निर्भर करता है, हालांकि उत्पादित परिवर्तन बहुत कम है।

व्याख्या: पराध्वनिक विमान (सुपरसॉनिक एयरक्राफ्ट) उन विमानों को कहते हैं जो ध्वनि के वेग से भी अधिक वेग से उड़ सकते हैं। इनका उपयोग प्रायः अनुसंधान एवं सैनिक उपयोग के लिये हुआ है। लड़ाकू विमान, पराध्वनिक विमान के सबसे सामान्य उदाहरण हैं। जो विमान ध्वनि के वेग के पाँच गुना से भी अधिक वेग (5 मैक से अधिक) से उड़ते हैं उन्हें प्रायः अतिपराध्वनिक विमान (Hypersonic aircraft) कहते हैं। मैक एक इकाई है जिसका उपयोग सुपरसोनिक चाल मापने के लिए किया जाता है।

व्याख्या: किसी तरल माध्यम (Liquid/Gas) में किसी ऑब्जेक्ट की गति को ध्वनि की गति से तुलना करने के लिए मैक संख्या का उपयोग किया जाता है। मैक संख्या, उस तरल माध्यम में किसी ऑब्जेक्ट की गति और उसी माध्यम में ध्वनि की गति का अनुपात है। अथवा तरल गतिकी तथा ताप विचरण में प्रयुक्त होने वाली एक विमाहीन संख्या। किसी माध्यम में किसी पिंड की चाल व ध्वनि पर पड़ने वाले दाब व ताप के प्रभाव के बाद ध्वनि की चाल का अनुपात को उस माध्यम में मैक संख्या कहते है।

  • मैक संख्या = वस्तु की चाल/ध्वनि की चाल

व्याख्या: तरल गतिकी तथा ताप विचरण में प्रयुक्त होने वाली एक विमाहीन संख्या। किसी माध्यम में किसी पिंड की चाल व ध्वनि पर पड़ने वाले दाब व ताप के प्रभाव के बाद ध्वनि की चाल का अनुपात को उस माध्यम में मैक संख्या कहते है। मैक अंकों का प्रयोग वायुयानों में वेग के सम्बन्ध में किया जाता है।

व्याख्या: साधारण बातचीत की ध्वनि की तीव्रता 30 – 40 डेसीबल, जोर से बातचीत की तीव्रता 50 – 60 डेसीबल तथा जेट विमान के तरंग की तीव्रता 140 – 150 डेसीबल होती है।

व्याख्या: तारत्व, ध्वनि का वह लक्षण है जिसके कारण ध्वनि को मोटा या तीक्ष्ण कहा जाता है। तारत्व आवृति पर निर्भर करता है। जैसे जैसे ध्वनि की आवृति बढ़ती जाती है वैसे वैसे ध्वनि का तारत्व बढ़ता जाता है तथा ध्वनि तीक्ष्ण अथवा पतली होती जाती है। ध्वनि की वह विशेषता जो एक मादा ध्वनि को नर ध्वनि से भिन्न करती ही तारत्व कहलाती है।

व्याख्या: बच्चों एवं स्त्रियों की पतली आवाज तारत्व अधिक होने के कारण ही होती है। पुरुषों की मोटी आवाज तारत्व कम होने के कारण होती है। चिड़ियों की आवाज मच्छरों की भनभनाहट अधिक तारत्व की ध्वनियों के उदारहण है।

व्याख्या: सितार और बांसुरी पर एक ही स्वर बजाया जाए तो उनसे उत्पन्न ध्वनि में अंतर केवल ध्वनि गुणता के अंतर के कारण किया जा सकता है। ध्वनि गुणता का वह लक्षण जिसके कारण समान तीव्रता तथा समान तारत्व की ध्वनियों में अंतर प्रतीत होता है।

व्याख्या: ध्रुवण (Polarization) अनुप्रस्थ तरंगों (जैसे, प्रकाश) का गुण है जो उनके दोलनों की दिशा (orientation) से सम्बन्धित है। ध्रुव का अर्थ है 'निश्चित'। ध्रुवित तरंग में किसी सीमित रूप में ही दोलन होते हैं जबकि अध्रुवित तरंग में सभी दिशाओं में समान रूप से दोलन होता है।

व्याख्या: जब किसी ध्वनि स्रोत और श्रोता के बीच आपेक्षिक गति होती है तो श्रोता को जो ध्वनि सुनाई पड़ती है उसकी आवृत्ति मूल आवृति से कम या अधिक होती है। इसीको डॉप्लर प्रभाव (Doppler effect) कहते हैं।

व्याख्या: ध्रुवण (Polarization) अनुप्रस्थ तरंगों (जैसे, प्रकाश) का गुण है जो उनके दोलनों की दिशा (orientation) से सम्बन्धित है। ध्रुव का अर्थ है 'निश्चित'। ध्रुवित तरंग में किसी सीमित रूप में ही दोलन होते हैं जबकि अध्रुवित तरंग में सभी दिशाओं में समान रूप से दोलन होता है।

व्याख्या: जब किसी स्रोत से उत्पन्न ध्वनि आगे जाकर किसी वस्तु (जैसे दीवार) से टकराकर पुन: स्रोत के पास वापस लौटती है तो इसे प्रतिध्वनि (echo) कहते हैं। वस्तुत: यह ध्वनि के परावर्तन का परिणाम है जो कुछ देर बात स्रोत के पास वापस पहुंच जाती है।

व्याख्या: स्पष्ट प्रतिध्वनि सुनने के लिए परावर्तक तल व ध्वनि स्रोत सतह के बीच की न्यूनतम दूरी 17 मीटर या 56 फीट होनी चाहिए।

व्याख्या: रडार (RADAR-Radio Detection And Ranging) का अविष्कार टेलर और लिओ यिंग ने 1922 में किया था। इसका उपयोग वायुयान ,जलयान ,मोटरगाड़ियों का पता करने में किया जाता है।

रडार में मैग्नेट्रॉन से रेडियो तरंगे को छोड़ा जाता है और इसमें उपस्थित एंटीना की सहयता से इन तरंगो को फैलाया जाता है।

जब ये रेडियो तरंगे किसी वस्तु से टकराकर वापिस रडार तक पहुँचती है इन्हे एंटीना के द्वारा ग्रहण किया जाता है तो इन रेडिओ तरंगो को रिसीव करके उससे प्राप्त जानकारी को स्क्रीन पर दिखया जाता है की वह वस्तु किस दिशा में और कितनी दुरी पर तथा किस गति से चल रही है इससे टारगेट का पता लग जाता है।

व्याख्या: स्पष्ट प्रतिध्वनि सुनने के लिए मूल ध्वनि तथा परावर्तित ध्वनि के बीच कम से कम 0.1 s का समय अंतराल अवश्य होना चाहिए। स्पष्ट प्रतिध्वनि सुनने के लिए अवरोध्क की ध्वनि स्रोत से न्यूनतम दूरी ध्वनि द्वारा तय की गई कुल दूरी की आधी अर्थात् 17 m अवश्य होनी चाहिए।

व्याख्या: अच्छे ऑडीटोरियम की दीवारें छत व् फर्श किसी रेशेदार पदार्थ कालीन ग्लास फाइबर आदि से ढकेरहते है इसका उद्देश्य होता है क्योंकि ध्वनि का अवशोषण करके प्रतिध्वनि को रोकना ही इसका उद्देश्य होता है।

व्याख्या: हमारे द्वारा सुनी जाने वाली कोई भी ध्वनि मस्तिष्क में 0.1 सेकंड  या (1/10) सेकंड तक बनी रहती है। इसे श्रवण शक्ति का स्थायित्व कहा जाता है।

व्याख्या: जब किसी स्रोत से उत्पन्न ध्वनि आगे जाकर किसी वस्तु (जैसे दीवार, पहाड़) से टकराकर पुन: स्रोत के पास वापस लौटती है तो इसे प्रतिध्वनि (echo) कहते हैं। वस्तुत: यह ध्वनि के परावर्तन का परिणाम है जो कुछ देर बात स्रोत के पास वापस पहुंच जाती है। प्रतिध्वनि सुनने के लिए श्रोता व परावर्तक के बीच कम-से-कम दूरी 17 मीटर होनी चाहिये।यदि यह दूरी इससे कम होगी, तो दोनो ध्वनियॉ मिल जायेंगी व हमे प्रतिध्वनि नहीं सुनाई देगी।

व्याख्या: स्पष्ट प्रतिध्वनि सुनने के लिए परावर्तक तल व ध्वनि स्रोत सतह के बीच की न्यूनतम दूरी 17 मीटर या 56 फीट होनी चाहिए।


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