यांत्रिकी (Mechanics) से संबंधित सभी विषय के बारे में एवं महत्वपूर्ण तथ्य

यांत्रिकी

यांत्रिकी (Mechanics): भौतिक विज्ञान इस शाखा में वस्तुओं या पिंडों पर बल लगाने या विस्थापित करने पर पिंडों के व्यवहार में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है।

भार एवं द्रव्यमान

भार (Weight): किसी वस्तु पर पृथ्वी द्वारा लगाए गए गुरुत्वाकर्षण बल को उस वस्तु का भार या वजन कहलाता है। इसकी SI मात्रक न्यूटन (N) है। भार किसी वस्तु पर लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल (g) का परिणाम है। गुरुत्वाकर्षण बल का मान जगह के हिसाब से अलग-अलग होता है, इसीलिए भार का माप भी अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग होता है। यह एक सदिश राशि है।

द्रव्यमान (Mass): किसी वस्तु या पदार्थ के परिमाण को उस वस्तु का द्रव्यमान कहलाता है। द्रव्यमान की SI मात्रक किलोग्राम (kg) है। किसी वस्तु का द्रव्यमान सभी जगहों पर नियत (स्थिर) रहता है। यह एक अदिश राशि है।

दूरी एवं विस्थापन

दूरी (Distance): किसी वस्तु द्वारा निश्चित समय मे तय किए गए मार्ग की संपूर्ण लम्बाई दूरी कहलाता हैं। यह एक अदिश राशि है। गतिशील वस्तु द्वारा तय की गई दूरी शून्य नहीं हो सकता है।

विस्थापन (Displacement): किसी विशेष दिशा में गतिशील वस्तु की प्रारंभिक एवं अंतिम स्थितियों की लंबवत दूरी को विस्थापन कहते हैं। दूसरे शब्दों मे, विस्थापन गतिशील वस्तु की प्रारंभिक एवं अंतिम स्थितियों के बीच की न्यूनतम दूरी है। यह एक सदिश राशि है। विस्थापन शून्य हो सकता है, जब गतिशील वस्तु एक निश्चित दूरी तय करने के बाद अंततः प्रारंभिक स्थान पर आ जाती है।

चाल, वेग एवं त्वरण

चाल (Speed): किसी वस्तु द्वारा इकाई समय में तय की गई दूरी को चाल कहते है। चाल एक अदिश राशि है एवं इसका SI मात्रक मीटर/सेकेंड (m/s) होता है।

\(Speed = \frac{Distance}{Time}\)

वेग (Velocity): किसी गतिशील वस्तु द्वारा इकाई समय मे एक निश्चित दिश में तय की गई दूरी को वेग कहते हैI अर्थात् गतिशील वस्तु के इकाई समय में हुए विस्थापन को वस्तु का वेग कहते हैं। यह एक सदिश राशि है एवं इसका भी SI मात्रक मीटर/सेकेंड (m/s) होता है।

\(Speed = \frac{Displacement}{Time}\)

त्वरण (Acceleration): किसी गतिमान वस्तु के वेग में प्रति इकाई समय अंतराल में होने वाले परिवर्तन को उस वस्तु का त्वरण कहा जाता है। अर्थात् वेग परिवर्तन की दर को त्वरण कहा जाता हैं। यह एक सदिश राशि है एवं इसका SI मात्रक मीटर/सेकेण्ड2 (m/s2) होता है।

\(a = \frac{v - u}{t}\)

जहाँ a त्वरण, u प्रारंभिक वेग, v अंतिम वेग एवं t समय है।

न्यूटन के गति के नियम

सर आइजैक न्यूटन ने पिंडों अथवा वस्तुओं के गति का वर्णन करने के लिए तीन नियमों को परिभाषित किये है। इसे न्यूटन के गति का नियम कहा जाता है। इस नियमों को इन्होंने ने सन् 1687 में अपनी पुस्तक प्रिंसिपिया में प्रतिपादित किया।

न्यूटन के गति के प्रथम नियम

इस नियम के अनुसार, यदि कोई वस्तु विराम अवस्था में है या एक सीधी रेखा में समान वेग से चल रही है, तो उसकी विराम अवस्था या एकसमान गति की अवस्था में तभी परिवर्तन होता है, जब उस पर कोई बाहरी बल लगाया जाता है। इस नियम को जड़त्व का नियम भी कहा जाता हैं।

जड़त्व का नियम: किसी वस्तु की बाह्य बल की अनुपस्थिति में अपनी विराम अवस्था या एकसमान गति बनाए रखने की प्रवृत्ति को "जड़त्व" कहा जाता है। यह नियम गैलिलियो द्वारा दिया गया था। द्रव्यमान किसी वस्तु के जड़त्व का माप होता है। यदि किसी वस्तु का द्रव्यमान अधिक है तो उस वस्तु की गति का प्रतिरोध भी अधिक होगा।

न्यूटन के गति के द्वितीय नियम

प्रथम नियम के अनुसार, किसी वस्तु पर बाहरी बल लगाने से उस वस्तु की गति मे परिवर्तन होता है। वस्तु की गति में परिवर्तन की दर को "त्वरण" काहा जाता हैं।

इस नियम के अनुसार, किसी वस्तु के संवेग में परिवर्तन की दर उस वस्तु पर लगाए गए बल के सीधे आनुपातिक होती है और यह उसी दिशा में होती है जिस दिशा में बल कार्य करता है। इस प्रकार, "किसी वस्तु पर लगाया गया बल (F) उस वस्तु के द्रव्यमान (m) और बल की दिशा में उत्पन्न त्वरण (a) के गुणनफल के बराबर होता है।"

बल (F) = द्रव्यमान (m) × त्वरण (a)

बल का मात्रक Kgm/s2 या N (न्यूटन) होता है। एक किलोग्राम द्रव्यमान वाली वस्तु को एक मीटर प्रति सेकंड वर्ग (m/s2) की दर से त्वरित करने के लिए आवश्यक बल को "एक न्यूटन" कहते है।

न्यूटन के गति के तृतीय नियम

इस नियम के अनुसार, जब एक वस्तु दूसरी वस्तु पर बल लगाती है तो ऐसी स्थिति में दूसरी वस्तु भी पहली वस्तु पर विपरीत दिशा में समान बल लगाती है। अर्थात् प्रत्येक क्रिया की बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है। इस प्रकार, इस नियम को "क्रिया - प्रतिक्रिया का नियम" भी कहते है।

संवेग

संवेग (Momentum): किसी वस्तु के द्रव्यमान और वेग के गुणनफल को वस्तु का संवेग कहा जाता है। यह एक सदिश राशि है। इसकी दिशा वेग के समान ही होती है। प्रत्येक गतिशील वस्तु में संवेग होता है। इसे P द्वारा निरूपित किया जाता है। इसका मात्रक किग्र. मीटर/सेकेण्ड (kg m/s) होता है।

संवेग (P) = द्रव्यमान (m) × वेग (v)

संवेग संरक्षण का नियम: यदि एक या एक से अधिक वस्तुओं के निकाय पर कोई बाह्य बल आरोपित न हो तो निकाय कुल का संवेग अपरिवर्तित (संरक्षित) रहता है।

कार्य

कार्य (Work): यदि किसी वस्तु पर बल लगाया जाता है तो वस्तु की स्थिति में विस्थापन होता है, जिसे कार्य कहा जाता है। यदि वस्तु पर बल लगाने पर बल की दिशा में शून्य विस्थापन हो तो कोई कार्य नहीं माना जायेगा।

किसी वस्तु पर किए गए कार्य की मान, लगाये गये बल (F) तथा बल की दिशा में वस्तु के विस्थापन (s) के गुणनफल के बराबर होता है।

कार्य (W) = F × s

कार्य एक अदिश राशि है तथा इसका SI मात्रक जूल होता है। यदि किसी वस्तु पर 1 न्यूटन बल लगाने पर बल की दिशा में वस्तु 1 मीटर विस्थापित होता है तो किया गया कार्य 1 जूल होगा।

यांत्रिक ऊर्जा

यांत्रिक ऊर्जा (Mechanical Energy): किसी यांत्रिक प्रणाली के किसी भी घटक में निहित गतिज ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जा के योग को यांत्रिक ऊर्जा कहा जाता है।

यांत्रिक ऊर्जा = गतिज ऊर्जा + स्थितिज ऊर्जा

गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy): यह ऊर्जा का वह रूप है जो किसी वस्तु में उसकी गति के कारण होती है। गतिज ऊर्जा किसी गतिशील वस्तु के गुण और न केवल उसकी गति पर बल्कि वस्तु के द्रव्यमान पर भी निर्भर करती है। गतिज ऊर्जा वस्तु के द्रव्यमान और उसके वेग के वर्ग के गुणनफल के आधे के बराबर होती है।

गतिज ऊर्जा = \(\frac{1}{2}mv^2\)
जहाँ m वस्तु का द्रव्यमान एवं v वेग है।

स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy): यह ऊर्जा का वह रूप है, जो किसी वस्तु या निकाय में उसकी अवस्था या स्थिति के कारण होता है। जैसे एक खिंचे हुए या दबे हुए स्प्रिंग में स्थितिज ऊर्जा होती है।

स्थितिज ऊर्जा = mgh
जहाँ m द्रव्यमान, g गुरुत्वीय त्वरण एवं h ऊँचाई है।

यांत्रिकी : महत्वपूर्ण तथ्य

यांत्रिकी से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य: ये सभी तथ्य विगत वर्षों में हुए प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए सवाल से दिए गए हैं। हमें उम्मीद है कि यह आपके लिए उपयोगी होगा। यांत्रिकी से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित हैं-

  • प्रक्षालन मशीन (Washing Machine) की कार्यप्रणाली अपकेंद्रीकरण (Centrifugation) सिद्धांत पर आधारित है।
  • पदार्थ के संवेग और वेग के अनुपात में जो भौतिक राशि प्राप्त की जाती है, वह द्रव्यमान हैं।
  • बल द्रव्यमान और त्वरण का गुणनफल है।
  • ऊर्जा संरक्षण का आशय है कि ऊर्जा का न तो सृजन हो सकता है और न ही विनाश।
  • हवाओं की केवल गतिज ऊर्जा होती है।
  • जल में तैरना न्यूटन की गति के तृतीय नियम से संबंधित है।
  • न्यूटन के पहले नियम को जड़त्व का नियम भी कहते है।
  • यदि हम भू मध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाते है तो g का मान बढ़ता है।
  • जल के जमने पर इसका घनत्व कम हो जाता है और यह इसका आयतन बढ़ जाता है।
  • जब एक ठोस पिंड को पानी में डुबोया जाता है तो उसके भार में कमी विस्थापित पानी के भार के बराबर होता है।
  • बर्फ पानी में तैरती है लेकिन एल्कोहल में डूब जाती है, क्योंकि बर्फ पानी से हल्की एवं एल्कोहल से भारी होता है।
  • 4°C तापमान पर जल का घनत्व सर्वाधिक होता है।
  • रेल की पटरी के नीचे लकड़ी या कंक्रीट की चौड़ी पट्टियाँ लगाईं जाती है, क्योंकि रेलगाड़ी द्वारा लगाया गया दाब कम हो जाएगा।
  • डायनेमो यांत्रिक उर्जा को विद्युत उर्जा में परिवर्तित करता है।
  • यदि वस्तु की गति दोगुनी हो जाती है तो उसकी गतिज ऊर्जा चौगुनी हो जायेगी।
  • वाहनों में द्रवचालित ब्रेकों का इस्तेमाल वस्तुत: पास्कल के नियम का सीधा अनुप्रयोग है।
  • पृथ्वी तल से 11.2 किमी/से. न्यूनतम वेग से प्रक्षेपित किये जाने पर कोई राकेट पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण को पार करके अन्तरिक्ष में चला जायेगा।
  • एक लोलक की आवर्त काल लोकल की लंबाई पर निर्भर करता है।

यह सभी देखें: यांत्रिकी ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर व्याख्या सहित - Mechanics GK Quiz

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