परमाणु संरचना ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर व्याख्या सहित | Atomic structure GK Quiz (Set-1)

परमाणु संरचना (Atomic structure) से ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ, जो प्रतियोगी परीक्षा जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC के लिए महत्वपूर्ण है।

परमाणु संरचना समान्य ज्ञान

व्याख्या: परमाणु (Atom) पदार्थ का वह लघुतम भाग है, जिसमें पदार्थ के सभी गुण विद्यमान रहते हैं। यह रासायनिक अभिक्रियाओं में भाग लेता है, परन्तु स्वतंत्र अवस्था में नहीं रह सकता। परमाणु के केन्द्र में एक नाभिक (nucleus) होता है, जिसमें प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन स्थित होते हैं।

प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन विद्युत-उदासीन कण होता है। परमाणु में इलेक्ट्रॉन, नाभिक के चारों ओर एक निश्चित कक्षा में चक्कर लगाते हैं, जिन्हें ‘ऊर्जा-स्तर’ (energy-level) कहते हैं।

व्याख्या: सन् 1808 में जॉन डाल्टन नामक एक ब्रिटिश स्कूल अध्यापक ने पहली बार वैज्ञानिक आधार पर परमाणु सिद्धांत को प्रस्तुत किया, जो द्रव्यों के अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण सिद्धांत साबित हुआ।

डाल्टन ने अपने सिद्धांत को द्रव्यमान के संरक्षण के नियम और निरंतर संरचना के नियम पर आधारित किया। इसे स्थिर संघटन के नियम और बहु अनुपात के नियम के रूप में भी जाना जाता है।

डाल्टन के परमाणु सिद्धांत: सभी पदार्थ परमाणुओं से बने होते हैं और सभी यौगिक परिभाषित अनुपात में परमाणु संयोजनों से बने होते हैं।

व्याख्या: न्यूट्रॉन की खोज जेम्स चैडविक ने 1931 में की थी। न्यूट्रॉन एक आवेश रहित मूलभूत कण है, जो परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन के साथ पाये जाते हैं। इसे n से दर्शाया जाता है।

व्याख्या: रसायन विज्ञान एवं भौतिकी में सभी तत्वों का अलग-अलग परमाणु क्रमांक (atomic number) है जो एक तत्व को दूसरे तत्व से अलग करता है। किसी तत्व का परमाणु क्रमांक उसके तत्व के नाभिक में स्थित प्रोटॉनों की संख्या के बराबर होता है। इसे Z प्रतीक से प्रदर्शित किया जाता है। किसी आवेशरहित परमाणु पर एलेक्ट्रॉनों की संख्या भी परमाणु क्रमांक के बराबर होती है। रासायनिक तत्वों को उनके बढते हुए परमाणु क्रमांक के क्रम में विशेष नियम से सजाने पर आवर्त सारणी का निर्माण होता है जिससे अनेक रासायनिक एवं भौतिक गुण स्वयं स्पष्ट हो जाते हैं।

व्याख्या: न्यूट्रॉन एक आवेश रहित मूलभूत कण है, जो परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन के साथ पाये जाते हैं। जेम्स चेडविक ने इनकी खोज की थी। इसे n प्रतीक चिन्ह द्वारा दर्शाया जाता है।

व्याख्या: किसी तत्व के प्रत्येक परमाणु में समान संख्या में प्रोटॉन होते हैं, जो परमाणु संख्या (Z) है। तटस्थ परमाणुओं में इलेक्ट्रॉनों और प्रोटॉन की संख्या समान होती है।

व्याख्या: रॉबर्ट एंड्रयूज मिलिकन (1868 -1953) ने इलेक्ट्रॉन पर आवेश के निर्धारण के लिए एक विधि तैयार की, जो तेल बूँद प्रयोग कहलाता है। उन्होंने पाया कि इलेक्ट्रॉन पर आवेश - 1.6 × 10-19 C, विद्युत् आवेश का नवीनतम मान 1.602176 ×10-19 C है।

व्याख्या: इलेक्ट्रान पर 1.6 x 10-19 C का ऋणात्मक आवेश होता है, जबकि इसका द्रव्यमान 9.1 x 10-31 kg होता है।

व्याख्या: रदरफोर्ड प्रकीर्णन अर्नेस्ट रदरफोर्ड द्वारा 1911 में प्रतिपादित भौतिक परिघटना है, जिसे बाद में परमाणु का रदरफोर्ड मॉडल (प्रतिमान) नाम से जाना जाने लगा और बाद में बोर मॉडल। रदरफोर्ड प्रकीर्णन को कई बार कुलाम्ब प्रकीर्णन की विशेष अवस्था भी कहा जाता है क्योंकि यह केवल स्थैतिक (कुलाम्ब) बलों पर लागू होता है और कणों के मध्य न्यूनतम दूरी इसके विभव द्वारा निर्धारित होती है। सोने के नाभिक (gold nuclie) व अल्फा कणों के मध्य चिरसम्मत रदरफोर्ड प्रकीर्णन प्रत्यास्थ प्रकीर्णन का एक उदाहरण है क्योंकि इसमें आपतित कण व प्रकीर्णित कण के ऊर्जा व वेग समान होते हैं।

व्याख्या: परमाणु विद्युततः उदासीन रूप में होते है। एक परमाणु किसी भी साधारण से पदार्थ की सबसे छोटी घटक इकाई है जिसमे एक रासायनिक तत्व के गुण होते हैं। हर ठोस, तरल, गैस, और प्लाज्मा तटस्थ या आयनन परमाणुओं से बना है। परमाणुओं बहुत छोटे हैं; विशिष्ट आकार लगभग 100 pm (एक मीटर का एक दस अरबवें) हैं। हालांकि, परमाणुओं में अच्छी तरह परिभाषित सीमा नहीं होते है, और उनके आकार को परिभाषित करने के लिए अलग अलग तरीके होते हैं, जो कि अलग लेकिन काफी करीब मूल्य देते हैं।

व्याख्या: इलेक्ट्रॉन की खोज 1897 में ब्रिटेन के महान भौतिकविद जे. जे थोमसन द्वारा की गयी थी।

व्याख्या: गोल्डस्टीन ने 1886 में एक नए विकिरण की खोज की, जिसे उन्होंने 'केनाल रे' का नाम दिया। ये किरणें धनावेशित विकिरण थीं, जिसके द्वारा अंततः दूसरे अवपरमाणुक कणों की खोज हुई। इन कणों का आवेश इलेक्ट्रॉन के आवेश के बराबर, किंतु विपरीत था।

प्रोटॉन ग्रीक शब्द है, और यह नाम 1920 में अर्नेस्ट रदरफोर्ड द्वारा हाइड्रोजन नाभिक को दिया गया था। पिछले वर्षों में, रदरफोर्ड ने पता लगाया था कि हाइड्रोजन नाभिक (सबसे हल्के नाभिक के रूप में जाना जाता है) को नाभिक से निकाला जा सकता है।

व्याख्या: न्यूट्रॉन की खोज जेम्स चैडविक ने 1931 में की थी। न्यूट्रॉन एक आवेश रहित मूलभूत कण है, जो परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन के साथ पाये जाते हैं। इसे n से दर्शाया जाता है।

व्याख्या: इलेक्ट्रॉन या विद्युदणु ऋणात्मक वैद्युत आवेश युक्त मूलभूत उपपरमाणविक कण है। यह परमाणु में नाभिक के चारो ओर चक्कर लगाता हैं। इसका द्रव्यमान सबसे छोटे परमाणु (हाइड्रोजन) से भी हजारगुना कम होता है। परम्परागत रूप से इसके आवेश को ऋणात्मक माना जाता है और इसका मान -1 परमाणु इकाई (e) निर्धारित किया गया है। इस पर -1.6E-19 कूलाम्ब परिमाण का ऋण आवेश होता है।

व्याख्या: पाजीट्रोन (e+) या पोजीटिव इलेक्ट्रोन (धन आवेश युक्त इलेक्ट्रोन) परमाणु में पाया जाने वाला एक मौलिक कण है। यह धन आवेश युक्त इलेक्ट्रोन है। इसके गुण इलेक्ट्रोन के समान होते किन्तु दोनो में अंतर यह है कि इलेक्ट्रोन ऋण आवेश युक्त कण है तथा पोजीट्रोन धन आवेश युक्त कण है।

इसका द्रव्यमान इलेक्ट्रोन के द्रव्यमान के समान होता है। इसकी खोज सन 1932 में कार्ल डी एंडरसन ने की थी। इसका विद्युत आवेश +1.602176487(40)×10-19 कूलाम्ब होता है। इसकी घूर्णन गति आधी होती है। पोजिट्रोन को β+ चिन्ह से भी दर्शाते है। जब पोजिट्रोन तथा इलेक्ट्रोन की टक्कर होती है तो दोनो नष्ट हो जाते हैं और दो गामा किरण फोटान उत्पन्न होती है।

व्याख्या: नाभिक की आधुनिक अवधारणा सबसे पहले रदरफोर्ड ने सन 1911 में प्रतिपादित की। नाभिक, परमाणु के मध्य स्थित धनात्मक वैद्युत आवेश युक्त अत्यन्त ठोस क्षेत्र होता है। नाभिक, नाभिकीय कणों प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन से बने होते है। इस कण को नूक्लियान्स कहते है। प्रोटॉन व न्यूट्रॉन दोनो का द्रव्यमान लगभग बराबर होता है और दोनों का आंतरिक कोणीय संवेग (स्पिन) 1/2 होता है।

व्याख्या: सत्येंद्र नाथ बोस एक भारतीय वैज्ञानिक जिसका नाम एक विशिष्ठ मूल के कण के साथ जुड़ा है।

व्याख्या: न्यूट्रॉन की खोज जेम्स चैडविक ने 1931 में की थी। न्यूट्रॉन एक आवेश रहित मूलभूत कण है, जो परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन के साथ पाये जाते हैं। इसे n से दर्शाया जाता है

व्याख्या: सबसे प्रचुर मात्रा में आइसोटोप, हाइड्रोजन -1, प्रोटियम, या हल्के हाइड्रोजन में कोई न्यूट्रॉन नहीं है और यह केवल एक प्रोटॉन और एक इलेक्ट्रॉन है।

व्याख्या: लुई विक्टर पियरे रेमंड डी ब्रोगली, एक फ्रांसीसी भौतिक विज्ञानी थे, जिन्होंने क्वांटम सिद्धांत में महत्वपूर्ण योगदान दिया। अपने 1924 के पीएचडी थीसिस में, उन्होंने इलेक्ट्रॉनों की तरंग प्रकृति को पोस्ट किया और सुझाव दिया कि सभी पदार्थों में तरंग गुण हैं। इस अवधारणा को डे ब्रोगली परिकल्पना के रूप में जाना जाता है


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