चुंबकत्व ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर व्याख्या सहित | Magnetism GK Quiz (Set-1)

चुंबकत्व (Magnetism) से ऑब्जेक्टिव प्रश्न एवं उत्तर विस्तृत समाधान के साथ, जो प्रतियोगी परीक्षा जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC के लिए महत्वपूर्ण है।

चुंबकत्व समान्य ज्ञान

व्याख्या: स्टील कठिनता से चुम्बक बनता है और कठिनता से ही अपने चुम्बकत्व को छोड़ता है। अत: स्थायी चुम्बक बनाने के लिए स्टील का उपयोग किया जता है। उदाहरण के लिए लाउडस्पीकर, दिक्सूचक, गैल्वेनोमीटर आदि के स्थाई चुम्बक स्टील के ही बनाए जाते हैं।

व्याख्या: नर्म लोहा शीघ्र ही चुम्बक बन जाता है और शीघ्र ही इसका चुम्बकत्व समाप्त भी हो जाता है। इसलिए अस्थाई चुम्बक बनाने के लिए नर्म लोहे का प्रयोग किया जाता है। विद्युत चुम्बक नर्म लोहे के ही बनाए होते हैं। विद्युत घण्टी, ट्रांसफार्मर क्रोड, डायनामों आदि में नर्म लोहे का ही उपयोग किया जाता है।

व्याख्या: विद्युत चुम्बक नर्म लोहे के बनाये जाते है क्योंकि, उसकी चुंबकीय प्रवृत्ति (magnetic susceptibility) बहुत होती है जिस कारण यह बाह्य चुंबकीय क्षेत्र के प्रभाव से आसानी से चुंबकित हो जाता है। इस्पात उतनी आसानी से चुंबकित नहीं होता है जितनी आसानी से नरम लोहा।

व्याख्या: एक चुंबक को दो टुकड़ों में काटते हैं, तो चुंबक में दोनों ध्रुव होते हैं - उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव जो एक चुंबक के रूप में कार्य करता है।

व्याख्या: चुम्बक की शक्ति बीच में कमजोर और सिरे पर अधिक मजबूत होती है। बल की रेखाएँ त्रि-आयामी होती हैं, जो एक बार चुंबक को सभी तरफ से घेरती हैं। समान ध्रुव प्रतिकर्षित करते हैं और विपरीत ध्रुव आकर्षित करते हैं। जब चुंबक के विपरीत ध्रुवों को एक साथ लाया जाता है, तो बल की रेखाएं जुड़ जाती हैं और चुंबक एक साथ खिंच जाते हैं। जब चुम्बक के समान ध्रुवों को एक साथ लाया जाता है, तो बल की रेखाएँ एक दूसरे से दूर हो जाती हैं और चुम्बक एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं। यह आकर्षण और प्रतिकर्षण बार चुंबक के ध्रुवों (सिरों) पर होता है।

व्याख्या: किसी चुम्बक को बीच से तोड़ देने पर इसके ध्रुव अलग-अलग नहीं होते, बल्कि टूटे हुए भाग पुनः चुम्बक बन जाते हैं तथा प्रत्येक भाग में उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुव उत्पन्न हो जाते हैं। अतः एक अकेले चुम्बकीय ध्रुव का कोई अस्तित्व नहीं होता है।

व्याख्या: किसी चुम्बक के चारों ओर का वह क्षेत्र, जिसमें दूसरा चुम्बक आकर्षण या प्रतिकर्षण बल का अनुभव करता है, उस चुम्बक का चुंबकीय क्षेत्र कहलाता है। चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा, चुम्बकीय सुई से निर्धारित की जाती है। चुम्बकीय क्षेत्र का मात्रक गौस होता है।

व्याख्या: चुम्बकीय अभिवाह या चुम्बकीय फ्लक्स (Magnetic flux) वह भौतिक राशि है जो किसी तल (जैसे किसी चालक तार की कुण्डली) से होकर गुजरने वाले चुम्बकीय क्षेत्र का सम्पूर्ण परिमाण की माप है। इसे संक्षेप में Φm से निरूपित किया जाता है। इसका SI मात्रक वेबर (weber) है ; व्युत्पन्न मात्रक वोल्ट-सेकेण्ड है तथा CGS मात्रक 'मैक्सवेल' है।

व्याख्या: सामान्यतः पदार्थों में कुछ-न-कुछ चुम्बकीय गुण पाये जाते हैं। जिसके आधार पर पदार्थों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है-

प्रति-चुम्बकीय पदार्थ: प्रति-चुम्बकीय पदार्थ वे पदार्थ होते हैं, जो चुम्बकीय क्षेत्र में रखे जाने पर क्षेत्र के विपरीत दिशा में चुम्बकित हो जाते हैं। जस्ता, विस्मथ, तांबा, चांदी, सोना, हीरा, नमक, जल आदि प्रति चुम्बकीय पदार्थों के उदाहरण हैं।

अनुचुम्बकीय पदार्थ: अनुचुम्बकीय पदार्थ वे पदार्थ हैं, जो चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर क्षेत्र की दिशा में मामूली से चुम्बकित हो जाते हैं। सोडियम, अल्युमिनियम, मैंगनीज, कॉपर क्लोराइड आदि अनुचुम्बकीय पदार्थों के उदाहरण हैं।

लौह-चुम्बकीय पदार्थ: कुछ पदार्थ चुम्बकीय क्षेत्र में रखे जाने पर क्षेत्र की दिशा में प्रबल रूप से चुम्बकित हो जाते हैं, इन्हें लौहचुम्बकीय पदार्थ कहते हैं। लोहा, कोबाल्ट, निकिल तथा मैग्नेटाइट (Fe3O4) इत्यादि लौहचुम्बकीय पदार्थ हैं।

व्याख्या: कुछ पदार्थ चुम्बकीय क्षेत्र में रखे जाने पर क्षेत्र की दिशा में प्रबल रूप से चुम्बकित हो जाते हैं, इन्हें लौहचुम्बकीय पदार्थ कहते हैं। लोहा, कोबाल्ट, निकिल तथा मैग्नेटाइट (Fe3O4) इत्यादि लौहचुम्बकीय पदार्थ हैं।

लौह चुम्बकीय पदार्थों के भीतर परमाणुओं की असंख्य, अतिसूक्ष्म संरचनाओं को डोमेन कहा जाता है। लौह-चुम्बकीय पदार्थों का चुम्बकीय गुण, इन्हीं डोमेनों के परस्पर प्रतिस्थापन व घूर्णन के फलस्वरूप होता है।

व्याख्या: लौह चुम्बकीय पदार्थों के भीतर परमाणुओं के असंख्य व अतिसूक्ष्म संरचनाओं को डोमेन कहा जाता है। इस डोमेन में 1018 से लेकर 1021 तक परमाणु होते हैं। लौह-चुम्बकीय पदार्थों का चुम्बकीय गुण इन्हीं डोमेनों के परस्पर प्रतिस्थापन व घूर्णन के फलस्वरूप होता है।

व्याख्या: फेरोमाग्नेटिज्म मूल तंत्र है जिसके द्वारा कुछ सामग्री (जैसे लौह) स्थायी चुंबक बनाते हैं, या चुंबक को आकर्षित होते हैं। भौतिकी में, चुंबकत्व के कई अलग-अलग प्रकार प्रतिष्ठित हैं। फेरोमाग्नेटिज्म (इसी तरह के प्रभाव फेरिमैग्नेटिज्म के साथ) सबसे मजबूत प्रकार है और रोजमर्रा की जिंदगी में होने वाले चुंबकों में चुंबकत्व की सामान्य घटना के लिए ज़िम्मेदार है।

व्याख्या: मुक्त रूप से निलंबित चुंबकीय सुई उत्तर-दक्षिण दिशा में टिकती है। मुक्त रूप से लटकी चुंबकीय सुई का अक्ष भौगोलिक अक्ष के साथ 18° का कोण बनाता है।

व्याख्या: चुंबकीय कम्पास की सुई हमेशा चुंबकीय उत्तर दिशा की ओर इंगित करती है तथा चुंबक सदैव उत्तर तथा दक्षिण दिशा में स्थिर होता है।

व्याख्या: पीतल एक अचुम्बकीय पदार्थ है। पीतल एक अलौह, लाल धातु और एक मिश्र धातु है जो तांबे और जस्ता से बनी होती है। विभिन्न वांछित यांत्रिक और विद्युत गुणों को प्राप्त करने के लिए तांबे और जस्ता के अनुपात को अलग-अलग किया जा सकता है।

व्याख्या: स्टील की अधिक धारण क्षमता के कारण उसे चुंबकित करना कठिन है जबकि कच्चे लोहे को आसानी से चुंबकित किया जा सकता है।

व्याख्या: स्वतंत्रतापूर्वक लटका हुआ चुम्बक सदैव उत्तर दक्षिण दिशा में ठहरता है - यदि पीतल की रकाब में एक चुम्बक रखकर उसे बिना बट धागे से इस प्रकार लटकाया जाए कि वह क्षैतिज तल से स्वतंत्रतापूर्वक घूम सके तो वह सदैव उत्तर-दक्षिण दिशा में ठहरता है यदि चुम्बक को इस दिशा से थोड़ा घुमा भी दें तब भी चुम्बक घूमकर पुन: उसी दिशा में आ जाता है।

व्याख्या: वे पदार्थ जो कम से ज्यादा चुम्बकीय क्षेत्र की ओर गति करते तथा जिनकी उपस्थिति से चुंबकीय क्षेत्र का मान कम हो जाता है, उन पदार्थों को अनुचुम्बकीय पदार्थ कहते हैं। उदाहरण : एल्युमिनियम, सोडियम, ऑक्सीजन आदि।

व्याख्या: चुम्बकीय याम्योत्तर व सत्य याम्योत्तर के बीच क्षैतिज कोण चुम्बकीय दिक्पात कहलाता है।


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